हंगामा करने के बाद कोरोना संक्रमित को मिली एंबुलेंस
सोमवार को एंबुलेंस नहीं मिलने से परेशान कोरोना संक्रमित महिला मुख्य चिकित्सा अधिकारी कार्यालय पहुंच गई। महिला के हंगामे के बाद उपमुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ.रामभगत निकलकर बाहर आए और उन्होंने एंबुलेंस की व्यवस्था कराई।
जागरण संवाददाता, फरीदाबाद : कोरोना संक्रमितों के मामले में लगातार स्वास्थ्य विभाग की लापरवाही सामने आ रही है। सोमवार को एंबुलेंस नहीं मिलने से परेशान कोरोना संक्रमित महिला मुख्य चिकित्सा अधिकारी कार्यालय पहुंच गई। महिला के संक्रमित होने की जानकारी से मुख्य चिकित्सा अधिकारी कार्यालय में अफरातफरी मच गई। गेट पर तैनात सुरक्षाकर्मी ने उसे मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ.रणदीप सिंह पूनिया से मिलने नहीं दिया। महिला ने जब हंगामा मचाया, तो उपमुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ.रामभगत अपने कक्ष से बाहर आए और उन्होंने एंबुलेंस की व्यवस्था कराई।
चावला कालोनी निवासी 42 वर्षीय महिला ने कुछ दिन पूर्व कोरोना जांच के लिए सैंपल दिया था। उसकी रिपोर्ट मोबाइल एवं नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र पर उपलब्ध नहीं होने पर सोमवार को नागरिक अस्पताल रिपोर्ट लेने पहुंच गई। उसकी रिपोर्ट कोरोना पॉजिटिव थी। इसके बाद वह एंबुलेंस का इंतजार करने लगी। उसका पति एंबुलेंस लेने के लिए इधर-उधर भटकता रहा। एक घंटे परेशान होने के बाद दंपती मुख्य चिकित्सा कार्यालय पहुंच गए। यहां पर उन्हें सुरक्षाकर्मी ने रोक लिया। परेशान महिला अपनी व्यथा चीख-चीखकर बताने लगी। इसके बाद एसएसआइ ऋषिराज गौतम में कार्यालय में मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ.रणदीप सिंह पूनिया को बताया। उन्होंने कोविड सर्विलांस अधिकारी डॉ.रामभगत को भेजा। महिला ने बताया कि वह हृदय रोगी है। सांस लेने में समस्या हो रही है। इसके बाद उन्होंने तुरंत एंबुलेंस की व्यवस्था करवाकर महिला को ईएसआइसी मेडिकल कॉलेज में भर्ती कराया। बॉक्स..
निर्देश बना महज खानापूर्ति
स्वास्थ्य विभाग ने कोरोना रिपोर्ट स्वास्थ्य केंद्रों एवं मोबाइल पर उपलब्ध कराने का प्रावधान किया है, लेकिन हकीकत इसके विपरीत हैं। संदिग्धों को रिपोर्ट लेने के लिए नागरिक अस्पताल आना पड़ रहा है और पॉजिटिव आने के बाद उनसे दुर्व्यवहार होता है। वर्जन..
महिला को एंबुलेंस उपलब्ध करा दी गई थी। व्यवस्थाओं को लगातार बेहतर बनाया जा रहा है। किसी भी मरीज से दुर्व्यवहार नहीं होता है। उन्हें एंबुलेंस आने तक सभी से दूरी बनाने के निर्देश दिए जाते हैं।
-डॉ.रामभगत, उपमुख्य चिकित्सा अधिकारी