कालम : दफ्तरनामा

हरियाणा शहरी विकास प्राधिकरण के अधिकारियों की नाक के नीचे ही उनकी इमारत लुटती रही पर किसी को सुध नहीं।

By JagranEdited By: Publish:Tue, 04 Aug 2020 05:17 PM (IST) Updated:Tue, 04 Aug 2020 05:17 PM (IST)
कालम : दफ्तरनामा
कालम : दफ्तरनामा

लुट गई इमारत, देखते रहे अधिकारी हरियाणा शहरी विकास प्राधिकरण के अधिकारियों की नाक के नीचे ही उनकी इमारत लुटती रही, पर किसी को सुध नहीं। हम बात कर रहे हैं सेक्टर-12 में कराधान और आबकारी विभाग के पुराने कार्यालय की इमारत की। यह इमारत प्राधिकरण की है। इस इमारत को खाली हुए दो साल से अधिक समय हो गया है। इसके बाद इस इमारत से बहुत कुछ लुट चुका है या फिर चोरी हो गया है। जैसे बिजली फिटिग, नल की टोटियां, खिड़की, दरवाजे तक को चोर-लुटेरों ने नहीं छोड़ा है। अब दिन ढलते ही यहां शराबियों की महफिल जमती है। अनैतिक काम भी होते हैं। लगता है प्राधिकरण के अधिकारी गहरी नींद में सोए हुए हैं। शायद इमारत सरकारी है, इसलिए इसे लुटता हुआ देख रहे हैं। अभी भी बहुत कुछ बचा हुआ है। कहीं उन पर यह पंक्तियां चरितार्थ न हो जाएं कि सब कुछ लुटा के होश में आए, तो क्या किया।

नई राह तलाश रहे डीलर औद्योगिक नगरी में बढ़ रहे अवैध कालोनियों के जाल को समेटने के लिए जिला नगर योजनाकार एन्फोर्समेंट रोज तोड़-फोड़ कर रहा है। इससे कालोनी काटने वाले प्रापर्टी डीलरों में हलचल है। वैसे डीलर लल्लू-पंजू नहीं हैं, जो चुपचाप बैठ जाएंगे। अच्छा-खासा रसूख रखते हैं, तभी तो इस धंधे में कूदे हैं। तोड़-फोड़ रुकवाने के लिए वे हर तरह के हथकंडे अपना रहे हैं। कई डीलर सत्तारूढ़ दल के नेताओं की शरण में भी पहुंच गए। जैसे ही दस्ता तोड़-फोड़ के लिए अवैध रूप से विकसित हो रही कालोनी में पहुंचता है, तुरंत सिफारिशी फोन आना शुरू हो जाते हैं। जिला नगर योजनाकार नरेश कुमार का दावा है कि वह किसी की सिफारिश नही मान रहे हैं। दरअसल, अवैध कालोनियों पर सरकार सख्त है, इसलिए अधिकारियों को भी कड़ा संदेश है कि किसी की भी गलत बात के लिए न सुनें। ऐसे में परेशान डीलर नए रास्ते की तलाश में हैं। जांच में पता चलेगा किसके दामन पर दाग

इस समय प्रदेश में अवैध कालोनियों की रजिस्ट्रियों का मामला गर्म है। कई जिलों में लाकडाउन के दौरान बड़ा खेल हुआ है। औद्योगिक नगरी में भी ऐसी रजिस्ट्रियां पूर्व में होती रही हैं, इसलिए यहां के अधिकारी भी शक के दायरे में हैं। सीएम फ्लाइंग ने जांच शुरू की और पिछले दिनों एक टीम यहां से रिकार्ड भी ले गई है। वैसे अपने जिला उपायुक्त यशपाल यादव ने दिसंबर में पदभार संभालते ही कड़ा संदेश दे दिया था कि कोई भी गलत रजिस्ट्री नहीं होनी चाहिए। पता चला है कि जिला उपायुक्त ने पिछले दिनों एक-एक तहसीलदार और नायब तहसीलदार को बुलाकर पूछा कि कोई गड़बड़ तो नहीं है। तहसीलदारों ने इस बात की गारंटी भी दे दी है। अब जिले के मुखिया के सामने तो सभी ने मना कर दिया है, पर जब नीर-क्षीर विवेक के अनुरूप जांच होगी, तभी पता चल सकेगा कि किसके दामन पर दाग है।

कोरोना से निपटकर होगा माफिया का इलाज

कोरोना संक्रमण ने समूचे शासन-प्रशासन को व्यस्त कर दिया है। इसलिए अब सिर्फ और सिर्फ कोरोना ही अधिकारियों के फोकस में है। शायद इसी बात का फायदा गलत सोच रखने वाले उठाने में लगे हुए हैं। हम बात कर रहे हैं औद्योगिक नगरी का फेफड़ा कही जाने वाली अरावली की। अरावली में अवैध निर्माण से लेकर पेड़ों की कटाई, अवैध बोरिग जैसी कई गतिविधियां तेजी से चल रही हैं। सोचा था शायद इस बारे में जिला उपायुक्त को जानकारी नहीं होगी, लेकिन ऐसा नहीं है। एक प्रेसवार्ता में जब जिला उपायुक्त से इस बाबत पूछ लिया गया कि अरावली की तरफ भी देख लो डीसी साहब। यहां माफिया ने आंतक मचाया हुआ है। यह सुनकर तपाक से जिला उपायुक्त ने कहा कि हम अरावली को भूले नहीं हैं। बस कोरोना के चक्कर में थोड़े व्यस्त हो गए हैं। रणनीति तैयार की जा रही है। जल्द माफिया का इलाज हो जाएगा।

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