एमएसएमई : नियम-शर्तें हावी, कैसे चलेगी उद्योगों की गाड़ी
लॉकडाउन की वजह से संकट में आए एमएसएमई (सूक्ष्म लघु एवं मध्यम उद्योग) को राहत देने के लिए केंद्र सरकार ने बड़े राहत पैकेज की घोषणा तो कर दी लेकिन हकीकत में बैंक प्रबंधनों की मनमानी के चलते उद्योगपति परेशान हैं।
प्रवीन कौशिक, फरीदाबाद : लॉकडाउन की वजह से संकट में आए एमएसएमई (सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्योग) को राहत देने के लिए केंद्र सरकार ने बड़े राहत पैकेज की घोषणा तो कर दी लेकिन हकीकत में बैंक प्रबंधनों की मनमानी के चलते उद्योगपति परेशान हैं। तमाम तरह के नियम व शर्तों के जाल में उलझे उद्योगपति परेशान हैं। उद्योगपतियों के अनुसार बैंक नए लोन की तरह तमाम दस्तावेज की मांग कर रहा है। इतना ही नहीं कई ऐसे दस्तावेज मांगे जा रहे हैं जिनका इंतजाम नहीं किया जा सकता। इसलिए काफी संख्या में उद्योगपति लोन के लिए आवेदन ही नहीं कर रहे हैं।
एमएसएमई का दायरा बढ़ने के बाद हजारों नई औद्योगिक इकाईयां अब एमएसएमई के अंतर्गत आ गई हैं। बता दें केंद्र सरकार ने घोषणा की थी कि 29 फरवरी 2020 को जिस उद्योगपति का जितना लोन बकाया है, उसका 20 फीसद और लोन के रूप में दिया जाएगा। 2600 से अधिक ने किया आवेदन
कोविड-19 में वैश्विक महामारी कोरोना से प्रभावित सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्योगों के लिए 29 जून 2020 तक 2518 आवेदकों के 124 करोड़ 68 लाख रुपये के लोन स्वीकृत किए जा चुके हैं। जिनमें से 88 करोड़ 68 लाख रुपये का लोन दिया जा चुका है। जबकि कुल 2600 से अधिक आवेदन आए हैं। अभी लोन के लिए आवेदन का आना जारी है। पहले तो केंद्र सरकार की इस स्कीम में खामियां थी। यह लोन 25 करोड़ से अधिक टर्न ओवर वाले उद्योगों के लिए नहीं दिया जा रहा है। इसलिए अधिक उद्योग इसका लाभ नहीं ले पा रहे हैं। साथ ही अब बैंकों में कई प्रकार के अतिरिक्त दस्तावेज मांगे जा रहे हैं। इससे उद्योगपति परेशान हैं। इस समस्या का जल्द समाधान होना जरूरी है।
-राजीव चावला, चेयरमैन, एमएसएमई ऑफ इंडिया। मैंने खुद लोन के लिए आवेदन किया है। लेकिन बैंक प्रबंधन लोन देने के लिए नई प्रक्रिया के तहत पूरे दस्तावेज मांग रहे हैं। कई ऐसी जानकारी मांगी जा रही है जो लॉकडाउन के समय की है। इस दौरान फैक्ट्रियां बंद थी, इसलिए जानकारी देने में दिक्कत हो रही है। बैंक प्रबंधकों को नियम व शर्तें आसान करनी होंगी तभी केंद्र सरकार की घोषणा का असली फायदा होगा।
-रवि भूषण खत्री, अध्यक्ष लघु उद्योग भारती। यदि किसी भी स्तर पर कोई परेशानी आ रही है, तो उसका निदान करने का भी प्रयास किया जा रहा है। लोन की मूल राशि पर 1 साल तक कोई किस्त नहीं देनी होगी। अगले 4 वर्ष में इसका पूर्ण भुगतान करना होगा। बैंक प्रबंधन इस लोन के लिए कोई भी फीस या प्रोसेसिग चार्ज नहीं लेंगे। इन लोन पर किसी भी अन्य गारंटी या प्रतिभूति जमा करने की भी आवश्यकता नहीं है।
-अलभ्य मिश्रा, मुख्य प्रबंधक, जिला अग्रणी कार्यालय, कैनरा बैंक।