बिना गुरु, व्यक्ति का जीवन दिशाहीन : दीक्षित
चरखी दादरी : जीवन में गुरु का स्थान विशेष होता है। जिसके जीवन में गुरु न
जागरण संवाददाता, चरखी दादरी :
जीवन में गुरु का स्थान विशेष होता है। जिसके जीवन में गुरु नहीं होता वह व्यक्ति दिशाहीन हो जाता है। यह बात आचार्य गौरव दीक्षित ने गांव पैंतावास के शिव मंदिर में चल रही श्रीमद्भागवत कथा के छठे दिन उपस्थित श्रद्धालुओं को संबोधित करते हुए कही।
उन्होंने कहा कि गुरु जीवन में मार्ग प्रशस्त करता है। हमारे जीवन में जब चारों तरफ से अंधकार छा जाता है, कोई मार्ग दिखाई नहीं देता तब गुरू ज्योति के रूप में प्रकाश करते हुए हमें मार्ग का बोध कराते हैं। छठे दिन की कथा में विशेष रूप से आचार्य राधे राधे ने भगवान कन्हैया के विवाह का वर्णन करते हुए कहा कि कुंडलपुर नरेश की पुत्री रूकमणी भगवान कन्हैया के यश एवं प्रताप को सुनकर मन ही मन पति रूप में वरण कर लेती हैं। ¨कतु उनका भाई रूकमी अपने मित्र शिशपाल से रूकमणी का विवाह निश्चित करता है। तब रुकमणि पालीवाल गोत्र के एक ब्राह्मण के हाथों 7 श्लोकों में पत्र लिखकर भगवान कन्हैया को अपने मन की समस्त बातों को बताते हुए निवेदन करती हैं कि आप शीघ्र आकर हमें स्वीकार करें। रुकमणि के निवेदन पर भगवान कन्हैया कुंडलपुर आकर के रुकमणी का हरण कर रुकमणि को अपनी मुख्य पटरानी के रूप में स्वीकार करते हैं।
मंदिर के महंत योगी सेवा नाथ ने बताया कि एक बार जीव को भगवान की ओर जाने की देरी है जब जीव भगवान की शरण में जाता है। उन्होंने बताया कथा के विश्राम दिवस पर डेरा सुल्तानपुर से महंत योगी बाबा संतोष नाथ का विशेष सानिध्य एवं आशीर्वाद सभी भक्तों को प्राप्त होगा। शुक्रवार की कथा में मुख्य यजमान की भूमिका निभाते हुए अनिल कुमार के पुत्र हर्षित ने भागवत भगवान का पूजन कर आशीर्वाद प्राप्त किया।
आज की कथा में राजकुमार, बलवंत, जय वीर, सुरेश, हरदीप, संदीप, राजपाल, मास्टर धर्मपाल, राहुल उर्फ गोपीनाथ, पवन, कृष्ण अख्तियारपुर सहित अनेक श्रद्धालुओं ने भाग लिया।