ग्रामीणों ने अपने खर्चे पर 12 लाख एकत्रित कर करवाई पैमाइश, चकबंदी की खामियां होगी दूर

गांव काकड़ोली हुकमी के ग्रामीणों ने आपसी भाईचारे की मिसाल कायम कर

By JagranEdited By: Publish:Mon, 28 Sep 2020 07:45 AM (IST) Updated:Mon, 28 Sep 2020 07:45 AM (IST)
ग्रामीणों ने अपने खर्चे पर 12 लाख एकत्रित कर करवाई पैमाइश, चकबंदी की खामियां होगी दूर
ग्रामीणों ने अपने खर्चे पर 12 लाख एकत्रित कर करवाई पैमाइश, चकबंदी की खामियां होगी दूर

पवन शर्मा, बाढड़ा : गांव काकड़ोली हुकमी के ग्रामीणों ने आपसी भाईचारे की मिसाल कायम करते हुए गांव की चकबंदी की खामियों को कमेटी गठित कर स्वयं के खर्चे पर निजी टीम से पैमाइश करवाने का बीड़ा उठाया है। चकबंदी व राजस्व विभाग द्वारा पैमाइश कार्य के बाद खामियों दुरुस्त न करने से ग्रामीणों ने अपने स्तर पर 12 लाख रुपये की राशि एकत्रित कर निजी टीम से सारी पैमाइश करवाई है।

चकबंदी विभाग ने गांव काकड़ौली हुकमी में तत्कालीन सरपंच सीताराम शर्मा की अध्यक्षता में वर्ष 2008-2010 में 3400 एकड़ भूमि की चकबंदी कार्य पूरा किया था। इसमें कुछ खामियों रहने के बावजूद विभाग ने उनको दूर करने की बजाए सारा रिकार्ड राजस्व विभाग में जमा करवा दिया। इसी के साथ ग्रामीणों के समक्ष भूमि की पैमाइश व अन्य समस्याएं सामने आने लगे थी। जमीनी रिकार्ड व धरातली पैमाइश के मेल नहीं खाने से ग्रामीणों को अपनी भूमि पर कब्जे को लेकर विवाद शुरू हो गया। ग्रामीणों ने राजस्व विभाग से उनके पूरे गांव के जमीनी रिकार्ड को दुरुस्त करने की मांग की तो उन्होंने इसे चकबंदी विभाग की त्रुटि बताते हुए पहले उससे संपर्क करने की बात कहकर वापस भेज दिया। चकबंदी में पैदा हुई रिकार्ड की खामियों को लेकर गांव के बुजुर्गों ने आम पंचायत बुलाकर इस पर गंभीरता से विचार विमर्श किया।

पंचायत में ग्रामीणों ने कहा कि सरकार या प्रशासन पर निर्भर रहने की बजाए वे अपने स्तर पर राशि एकत्रित कर निजी कंप्यूटराइज तरीके से सारी मलकियत की पैमाइश करवा कर इस समस्या से छुटकारा पा सकते हैं। ग्रामीणों ने इस पर सहमति जताई क्योंकि सरकारी सिस्टम पर निर्भर रहने का मतलब था कि गांव को आगामी बीस साल तक चकबंदी सुविधा से वंचित रखना।

ग्रामीणों ने सलाह मशवरा कर गांव के नंबरदार मानवीर श्योराण की अगुवाई में सरपंच देवेंद्र सिंह, दिनेश, रामनिवास, पूर्व सरपंच सीताराम शर्मा, विजय फौजी, रमेश कुमार, कुलदीप सरपंच, रामफल सांगवान, सूबेदार जयबीर सिंह, अतर सिंह टाडा, रामकुमार फौजी, लीलाराम, पंच कृष्ण, मांगेराम जांगड़ा, जयभगवान शमर, दीपक, भूपसिंह इत्यादि 21 सदस्यीय कमेटी का गठन किया। कमेटी ने सहमति से 12 लाख रुपये एकत्रित कर निजी कंप्यूटरीकृत टीम से सेवानिवृत्त कानूनगो, दो सेवानिवृत पटवारी की टीम को लेकर गांव के खेतों में पहुंची। टीम ने मौके पर पैमाइश कर किसान के रिकार्ड व धरातली मिलान करवा कर संतुष्ट करवाया।

पूर्व सरपंच सीताराम शर्मा ने बताया कि विभाग ने भले ही उनका चकबंदी कार्य आधा अधूरा छोड़ दिया हो लेकिन सभी ग्रामीणों ने आपसी सहयोग से इसे पूरा करने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ी। जल्द ही गांव की पैमाइश व कब्जा कार्य पूरा कर लिया जाएगा। गुटबाजी के कारण विलंब

चकबंदी विभाग के पूर्व एसीओ कमल सिंह सैन ने बताया कि गांव में चकबंदी कार्य कई बार कर्मचारियों की पर्याप्त संख्या व लोगों की आपसी गुटबाजी के कारण समय पर पूरी नहीं हो पाती। ग्रामीण इस तरह की पहल करें तो अन्य गांवों में भी चकबंदी कार्य तेज गति पकड़ पाती। चकबंदी से वंचित हैं कई गांव

प्रदेश में बाढड़ा उपमंडल के सबसे अधिक गांव चकबंदी सुविधा से वंचित है जिसमें गांव बेरला, निहालगढ, टोडी, गुडाना, लाड, खोरड़ा, जगरामबास, काकड़ौली हट्ठी , लाडावास, उमरवास इत्यादि इन गांवों का विकास योजनाएं ठप हैं। कई गांवों में तो स्कूलों, शमशान घाट तक आने जाने का भी रास्ता नहीं है। खेतों में आवागमन के लिए आपसी झगड़े होना आम बात है। प्रदेश के चकबंदी विभाग के पास कर्मचारियों की कमी के कारण अभी तक सारा कार्य रामभरोसे चल रहा था। वहीं भाजपा सरकार ने पिछले कार्यकाल में एक हजार विशेष पटवारियों को स्पेशल चकबंदी कार्य का जिम्मा दिया लेकिन उसके बाद भी हालात में सुधार नहीं हो पाया।

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