मुंहखुर बीमारी से पशुपालक चितित, एक माह में चांग और सैय गांव में 20 पशुओं की मौत

मुंहखुर की बीमारी ने पशुपालकों की चिता बढ़ा दी है। गांव चांग अ

By JagranEdited By: Publish:Sat, 09 Oct 2021 08:35 PM (IST) Updated:Sat, 09 Oct 2021 08:35 PM (IST)
मुंहखुर बीमारी से पशुपालक चितित, एक माह में चांग और सैय गांव में 20 पशुओं की मौत
मुंहखुर बीमारी से पशुपालक चितित, एक माह में चांग और सैय गांव में 20 पशुओं की मौत

जागरण संवाददाता, भिवानी : मुंहखुर की बीमारी ने पशुपालकों की चिता बढ़ा दी है। गांव चांग और सैय में एक माह के दौरान 20 पशु अकाल मौत का शिकार हो चुके हैं। इनमें बैल, कटड़ी, भैंस आदि शामिल हैं। पशु अस्पताल के डाक्टरों की भी यह लापरवाही बताई जा रही है। गांव में इतनी बड़ी संख्या में पशु इस रोग से मौत का शिकार हो रहे हैं तो विभाग को इस पर संज्ञान लेना चाहिए। अभी तक विभाग इस गंभीर होती बीमारी के प्रति अर्लट नहीं है। पशुपालकों में चिता गहराती जा रही है।

मुंहखुर की बीमारी से गांव सैय क्षेत्र में एक महीने में पांच पशुओं की मौत हो चुकी है। पशुपालकों को उनके पशुओं के लिए उचित उपचार नहीं मिल रहा है। ग्रामीण भगवान से मन्नत मांगने के तहत अपने भैंसों का दूध एकत्रित कर गांव में भंडारा भी लगा चुके हैं। यह बीमारी लगातार बढ़ रही है। पशुपालन विभाग इस पर तुरंत प्रभाव से ध्यान दे।

- कैप्टन गूगन सिंह, गांव सैय ----- हमारे बैलों को एक सप्ताह पहले बुखार आया था। चिकित्सकों ने उसके बैलों को मुंहखुर की बीमारी से ग्रस्त बताया। इस बीमारी के कारण बैलों के पांव व शरीर में कीड़े हो गए हैं। पशु अस्पताल में कीड़ों का तेल भी नहीं है। चिकित्सकों ने पर्ची बनाकर दी की हमारे पास दवाई नहीं है बाहर से लेनी होगी। गांव में तेजी से फैल रही इस बीमारी का तुरंत उपचार किया जाए।

- बलजीत सिंह, गांव चांग । ---------- पशुपालन विभाग हर छह महीने में पशुओं को मुंहखुर के टीके लगाता है। इस बार 10 माह बीत चुके हैं अब तक मुंहखुर के टीके नहीं लगाए गए हैं। समय पर टीकाकरण नहीं होने से यह बीमारी पशुओं के लिए जानलेवा साबित हो रही है। चांग पशु अस्पताल में समय पर चिकित्सक मिलने पर भी परेशानी होती है। यहां दवाई भी नहीं है। ऐसे में पशुपालकों को मजबूरी में प्राइवेट मेडिकल शाप से दवाई लेनी पड़ती है।

- ज्ञानी राम, पशुपालक चांग। ------------ मेरी भैंस व कटड़े को एक साथ बुखार आया था। चिकित्सकों से चेक कराया तो बताया कि इसको मुंहखुर की बीमार है। एक सप्ताह तक इलाज करवाने पर कोई आराम नहीं हुआ। इसके बाद भैंस व कटड़े की मौत हो गई। भैंस की मौत होने से करीब एक लाख रुपये का नुकसान हुआ है। समय पर टीकाकरण होता तो यह बीमारी पशुओं में नही आती।

- दलबीर सिंह, पशुपालक चांग -------- मुंहखुर की बीमारी से मेरी भैंस के पाव व शरीर में कीड़े हो गए हैं। सरकारी अस्पताल में सुविधा नहीं है। प्राइवेट भी इलाज करवाया लेकिन पांच दिन बाद भैंस की मौत हो गई। सरकार पशुपालकों को मुआवजा दे और पशुपालन विभाग तुरंत इस बीमारी के उपचार के लिए कदम उठाए।

- नवीन रंगा, पशुपालक, चांग भुतलापाना।

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गांव चांग और सैय में मुंहखुर बीमारी होने की उनके पास कोई सूचना नहीं है। अभी दैनिक जागरण से सूचना मिली है। इसके बारे में अपडेट ली जाएगी और इस बीमारी के उपचार के लिए इन गांवों में मुंहखुर बीमारी से ग्रस्त पशुओं का इलाज शुरू करवाया जाएगा।

- डा. सतप्रकाश वर्मा, उप निदेशक, पशुपालन विभाग।

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