सेवा कर दिल को जो सुकून मिला वो कभी जिदगी में भूल नहीं सकता
अशोक ढिकाव भिवानी कोरोना काल जिसे याद कर आज भी दिल सहम सा जाता है लेकिन लोगों की से
अशोक ढिकाव, भिवानी
कोरोना काल जिसे याद कर आज भी दिल सहम सा जाता है, लेकिन लोगों की सेवा कर दिल को जो सुकून मिला वो भी जिदगी में कभी भूल नहीं सकता। बेशक मौत का डर सता रहा था, लेकिन सेवा करने के दायित्व ने कभी पीछे नहीं हटने दिया। उस समय चाहे रात की ड्यूटी लगी हो या फिर दिन में कभी ना-नुकर नहीं किया। यह कहना है कि एंबुलेंस में चिकित्सा सहायक के रूप में काम करने वाले चौ. बंसीलाल सामान्य अस्पताल के योगेश का। उसने बताया कि उस घड़ी को जब भी याद करते है तो सहम जरूर जाते है, लेकिन चिकित्सा स्टाफ ने मिलकर जो जज्बे के साथ अपना कार्य किया उसमें मैं भी पीछे कभी नही रहा। कोरोना संक्रमित को घर लाकर आइसोलेट करना हो या फिर हालत खराब होने पर उसे पीजीआइ ले जाने के समय अपनी जान की परवाह किए बिना एंबुलेंस में उसी पूरी सेवा की। चिकित्सकों के साथ सहायक के रूप में काम किया। मरीज को दाखिल करवाने पर पता चलता कि वह ठीक होकर गया है तो दिल को तसल्ली मिलती थी। हां घर वाले परेशान जरूर रहते है। 15 दिन की ड्यूटी करने के बाद 15 दिन क्वंरटाइन रहना पड़ता था। कुल मिलाकर परिजनों से लंबे समय तक ही दूर रहना पड़ा। घर वालों से केवल फोन पर ही बात हो पाती थी। काफी दिनों तक तो घर जाते समय डर लगने लगा कि कहीं मेरी वजह से परिवार भी इस महामारी की चपेट में ना आ जाए। बेशक जिदगी दाव पर लगी थी और परेशानी हो रही थी, लेकिन कभी ड्यूटी से अपना ना कटवाने या बहाने बाजी नहीं की। शहर हो या गांव हर जगह जाना पड़ता। लोग एंबुलेंस देखकर सहम जाते थे कि पड़ोस में कोई मरीज मिला है तब आई है एंबुलेंस। अब कोरोना काल खत्म हो गया है, लेकिन कोरोना संक्रमण खत्म नहीं हुआ है। ऐसे में सावधानी बरतनी अभी जरूरी है। तब जाकर कोरोना पर आगामी कुछ महीनों में इस पर जीत हासिल की जा सकती है।