वाल्मीकि महासभा ने मनाई मातादीन जयंती

जागरण संवाददाता भिवानी वाल्मीकि महासभा हरियाणा के बैनर तले नेहरू पार्क में मातादीन भंगी क

By JagranEdited By: Publish:Mon, 30 Nov 2020 04:44 AM (IST) Updated:Mon, 30 Nov 2020 04:44 AM (IST)
वाल्मीकि महासभा ने मनाई मातादीन जयंती
वाल्मीकि महासभा ने मनाई मातादीन जयंती

जागरण संवाददाता, भिवानी: वाल्मीकि महासभा हरियाणा के बैनर तले नेहरू पार्क में मातादीन भंगी की जयंती मनाई और उनके आदर्श जीवन में उतारने का आह्वान किया। जयंती कार्यक्रम महासभा के प्रदेश महासचिव हरियाणा वाल्मीकि महासभा के करनैल सिंह बागड़ी की अध्यक्षता में हुआ। कार्यक्रम में मुख्यातिथि के रूप में राष्ट्रीय कुम्हार महसभा नई दिल्ली के राष्ट्रीय प्रवक्ता गणेश लाल वर्मा भी उपस्थित थे।

प्रवक्ता गणेशी लाल वर्मा व करनैल सिंह बागड़ी ने मातादीन भंगी के जीवन पर प्रकाश डालते हुए कहा कि 1857 की क्रांति को घोषित तौर पर पहला स्वतंत्रता संग्राम का युद्ध माना जाता है। भारतीय इतिहासकारों की ओर से इस पूरी क्रांति का श्रेय मंगल पांडे को दे दिया जाता है, लेकिन असल में इस क्रांति के सूत्रधार मातादीन भंगी थे। माना जाता है कि मातादीन भंगी मूलत: मेरठ के रहने वाले थे। लेकिन रोजी-रोटी के लिए इनके पूर्वजों ने यूपी के कई शहरों की खाक छानी और एक समय बंगाल में जाकर बस गए। उस समय की सामाजिक परिस्थितियों के कारण वे पढ़-लिख नहीं पाए थे। हिन्दू धर्म व्यवस्था एक भंगी को पढऩे का अधिकार नहीं देती थी। हालांकि मातादीन के पुरखे शुरू से ही अंग्रेजों के संपर्क में आने से सरकारी नौकरी में रहे थे। शीघ्र ही मातीदीन को भी बैरकपुर फैक्ट्री में खलासी की नौकरी मिल गई। यहां अंग्रेज सेना के सिपाहियों के लिए कारतूस बनाए जाते थे। अंग्रेजी फौज के निकट रहने के कारण मातादीन के जीवन पर उसका खासा असर पड़ा था। अनुशासन, संयम, स्वाभिमान, स्पष्टवादिता आदि गुण उन्होंने सैनिकों की संगत से ही पाए थे। उन्होंने मातादीन के जीवन संघर्ष को याद किया और लोगों से आह्वान किया कि मातादीन की तरह जीवन मे संघर्ष करके ही मुकाम हासिल किया जा सकता है। इस अवसर पर जगदीश प्रसाद कौशिक व रामकिशन वर्मा, सुखदेव सिंह पूर्व जेलर, महाबीर यादव, बाबू लाल वर्मा, श्याम लाल चारण वाल्मीकि, कमल कागडा, नरेश अठवाल, ज्ञान सिंह बागड़ी, महेंद्र सिंह बागड़ी उपस्थित थे।

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