आठवीं तक स्कूल बंद करने को लेकर स्कूल संचालकों व सरकार के बीच टकराव बढ़ने के बने आसार

कोरोना संक्रमण के बढ़ते मामलों के मद्देनजर सरकार की ओर

By JagranEdited By: Publish:Mon, 12 Apr 2021 08:06 AM (IST) Updated:Mon, 12 Apr 2021 08:06 AM (IST)
आठवीं तक स्कूल बंद करने को लेकर स्कूल संचालकों व सरकार के बीच टकराव बढ़ने के बने आसार
आठवीं तक स्कूल बंद करने को लेकर स्कूल संचालकों व सरकार के बीच टकराव बढ़ने के बने आसार

जागरण संवाददाता, चरखी दादरी : कोरोना संक्रमण के बढ़ते मामलों के मद्देनजर सरकार की ओर से 30 अप्रैल तक पहली से आठवीं कक्षा तक स्कूल बंद करने के आदेशों का दादरी जिले में तीखा विरोध होना शुरू हो गया है। इसी को लेकर सोमवार को प्राइवेट स्कूल एसोसिएशन ने बैठक आयोजित करने का निर्णय लिया है। बैठक में सभी निजी स्कूलों के संचालक सरकार द्वारा स्कूल बंद के निर्णय पर अपने विचार रखेंगे।

बताया जा रहा है कि निजी स्कूल संचालक सरकार के स्कूल बंद के निर्णय का विरोध कर स्कूल खोलेंगे। इससे प्रशासन व स्कूल संचालकों के बीच टकराव की आशंकाएं भी जताई जा रही है। वहीं अभिभावकों का भी कहना है कि उनके बच्चों का एक वर्ष तो खराब हो चुका है। ऐसे में अब इसी तरह स्कूल बंद किए जाते रहे तो उनके बच्चों के भविष्य पूरी तरह प्रभावित हो जाएगा। दैनिक जागरण ने अभिभावकों से बातचीत की तो पाया कि अभिभावक पुख्ता प्रबंधों के साथ स्कूल खोलने के पक्ष में हैं। अधिकतर अभिभावकों का कहना है कि सरकार द्वारा अपने राजनीतिक कार्यक्रम, चुनाव, रैलियों इत्यादि का आयोजन बिना नियमों का पालन कर किया जा रहा है और आम जनता व बच्चों के लिए नियम बनाए जा रहे हैं। वहीं ऑनलाइन पढ़ाई के कारण बच्चे पूरा दिन मोबाइल फोन चला रहे हैं। इससे उनकी आंखों व मानसिकता पर प्रभाव पड़ रहा है। बच्चा जो अध्यापक के साथ सीधे संवाद में पढ़ता और सीखता है, वह ऑनलाइन पढ़ाई में नहीं सीख पाता है। सावधानियां हैं तो क्यों बंद किए जा रहे हैं स्कूल

दादरी प्राइवेट स्कूल एसोसिएशन के प्रधान सुरेश सांगवान ने कहा कि कोरोना से बच्चों को सुरक्षित रखने के लिए प्राइवेट स्कूल सभी प्रबंध करते हैं। बच्चों की थर्मल स्क्रीनिग, मास्क और सामुदायिक दूरी का ध्यान रखा जाता है। स्कूल भवन सैनिटाइज किए जाते हैं। जब स्कूल सभी प्रबंध कर रहे हैं तो स्कूल बंद क्यों किए जा रहे हैं। सब कुछ खुला हुआ है सिर्फ और सिर्फ प्राइवेट स्कूल बंद किए जा रहे हैं। ये स्कूलों के साथ नाइंसाफी है। सरकार पर दोहरे मानदंड अपनाने का आरोप

निजी स्कूल संचालक देवेन्द्र सिंह ने कहा कि सरकार दोहरे मापदंड क्यों अपना रही है? स्कूल प्रबंधन करोड़ों के कर्ज तले दब रहे हैं। स्कूल बंद रहे तो खर्च कैसे निकलेगा। निजी स्कूलों की आय के साधन पूरी तरह से खत्म हो गए हैं। कर्जे तले दबे निजी स्कूलों को बंद करने की नौबत आ गई है। जो बच्चों को ट्रांसपोर्ट फैसिलिटी स्कूल द्वारा दी जाती है, उसमें विभिन्न प्रकार के खर्चे आते हैं। रोजी-रोटी पर संकट

प्राइवेट स्कूल एसोसिएशन के ब्लाक प्रधान प्रीतम सिंह ने बताया कि सभी निजी स्कूल कोविड-19 गाइड लाइनों की पालन कर रहे हैं। इसके बाद भी सरकार बार-बार स्कूलों को बंद कर रही है। इसकी वजह से हजारों स्कूल संचालक एवं अध्यापक बेरोजगार हो गए हैं । स्कूल बंद करना समाधान नहीं

प्राचार्य डा. नरसिंह चाहार के अनुसार ज्यादातर स्कूल ग्रामीण क्षेत्रों में हैं। इनमें निम्न व मध्यम वर्ग के बच्चे ही पढ़ रहे हैं। इनमें से 50 फीसद की साल भर से कोई फीस नहीं आई। फिर भी वे उन बच्चों को शिक्षा का अधिकार दे रहे हैं। सरकार की तरफ से दी गई सभी हिदायतों का पालन स्कूलों में किया जा रहा है। इसलिए सरकार को स्कूल बंद के निर्णय को वापिस लेकर कोविड-19 गाइडलाइन की पालना पर जोर देना चाहिए। आदेशों की पालना करना जरूरी : बीईओ

जिला शिक्षा अधिकारी जयप्रकाश संभ्रवाल ने कहा कि सरकार द्वारा पहली से आठवीं कक्षा तक स्कूलों को 30 अप्रैल तक बंद करवाने के आदेश दिए है। उन्होंने दादरी, बाढड़ा, बौंद खंड के बीईओ की ड्यूटियां लगाई हुई है। सरकार के आदेशों की पालना करवाना उनकी जिम्मेदारी है। वे और उनकी टीम सोमवार को स्कूलों का दौरा करेंगे। एडवाइजरी का पालन करें स्कूल : सीएमओ

दादरी के सीएमओ डा. सुदर्शन पंवार ने कहा कि सभी स्कूल संचालक सरकार द्वारा जारी की गई एडवाइजरी की पालना करें। बच्चों के लिए मास्क पहनना, सैनिटाइजर का इस्तेमाल व शारीरिक दूरी बनाए रखना बहुत जरूरी है।

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