रेलवे अंडरपास में पिछले डेढ़ माह से भरा है पानी, जान जोखिम में डालकर निकलते हैं विद्यार्थी
दादरी की बंद पड़ी सीसीआइ रेलवे क्रासिग पर बने अंडरपास में पिछले काफी दिनों से बरसाती पानी भरा हुआ है।
जागरण संवाददाता, चरखी दादरी : दादरी की बंद पड़ी सीसीआइ रेलवे क्रासिग पर बने अंडरपास में पिछले काफी दिनों से बरसाती पानी भरा हुआ है। अंडरपास में काफी मात्रा में पानी भरा होने के कारण लोग इसका उपयोग नहीं कर पा रहे हैं। गांधी नगर व आसपास की कालोनियों में रहने वाले स्कूली विद्यार्थियों को मजबूरन अपनी जान-जोखिम में डालकर रेल लाइनों को पार कर अपने गंतव्य तक जाना पड़ रहा है। पिछले एक सप्ताह से सीसीआइ रेलवे क्रासिग के समीप ऐसा नजारा दिखाई दे रहा है। विशेषकर दोपहर के समय दादरी के रेलवे स्टेशन पर जब मालगाड़ी खड़ी रहती है उसी दौरान स्कूलों की छुट्टी होती है। जिसके चलते काफी संख्या में छोटे व बड़े विद्यार्थी पैदल ही अपने घरों की तरफ जाते हैं। लेकिन सीसीआइ रेलवे क्रासिग पर बने अंडरपास में काफी मात्रा में पानी भरा होने के कारण गांधी नगर व आसपास की कालोनियों में रहने वाले कुछ विद्यार्थी ट्रैक पर खड़ी ट्रेन के नीचे से तो कुछ विद्यार्थी ट्रेन के उपर से गुजरते हुए दिखाई देते हैं। इस दौरान यदि ट्रेन चल पड़ती तो कोई भी बड़ा हादसा होने की संभावना बनी रहती है। वहीं लोगों की मांग है कि अंडरपास से जल्द से जल्द पानी की निकासी की जानी चाहिए। जिससे लोगों को इसका लाभ मिले और हादसों से बचा जा सके।
करीब तीन माह पहले बना था अंडरपास
गौरतलब है कि कुछ वर्ष पहले सीसीआइ रेलवे क्रासिग बंद होने के बाद से लोगों द्वारा यहां पर अंडरपास बनाने की मांग की जा रही थी। जिसके चलते मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने 18 सितंबर 2016 को सीसीआइ रेलवे क्रासिग पर अंडरपास बनाने की घोषणा की थी। जिसके बाद गत जून माह में रेलवे अंडरपास का निर्माण कार्य पूरा हो गया था। डेढ़ माह से भरा है पानी
स्थानीय दुकानदारों ने बताया कि अगस्त माह में हुई बरसात के बाद ही अंडरपास में पानी भर गया था। हालांकि संबंधित विभाग द्वारा अंडरपास से पानी निकासी के लिए मोटर भी लगाई थी। लेकिन यह मोटर कभी-कभार ही चलाई गई। जिसके चलते अंडरपास से पूरी तरह पानी की निकासी नहीं हो सकी। उसके बाद सितंबर माह में हुई बरसात के बाद तो अंडरपास में करीब चार से पांच फुट तक पानी भरा हुआ है। विभाग द्वारा पानी निकासी के लिए लगाई गई मोटर भी कारगर साबित नहीं हो रही है। जिसके चलते यहां से फिलहाल वाहनों के अलावा पैदल आना-जाना भी नामुमकिन है।