घर के बाहर भारी पुलिस बल व डाक्टरों की टीम देखकर पड़े चौक ..

जागरण संवाददाता भिवानी जिले में मानहेरू व संडवा गांव में दिल्ली मरकज से आए तो व्यक्तियों की

By JagranEdited By: Publish:Thu, 25 Mar 2021 11:07 AM (IST) Updated:Thu, 25 Mar 2021 11:07 AM (IST)
घर के बाहर भारी पुलिस बल व डाक्टरों की टीम देखकर पड़े चौक ..
घर के बाहर भारी पुलिस बल व डाक्टरों की टीम देखकर पड़े चौक ..

जागरण संवाददाता, भिवानी : जिले में मानहेरू व संडवा गांव में दिल्ली मरकज से आए तो व्यक्तियों की कोरोना रिपोर्ट 4 अप्रैल 2020 को पॉजीटिव मिले थे। एक पॉजीटिव तोशाम क्षेत्र के गांव संड़वा से है तो दूसरा गांव मानहेरू से था। दोनों ही नीजामुदीन के मरकज में शामिल होकर लौटे थे। देर रात साढ़े 11 बजे के बाद आई पीजीआई से आई रिपोर्ट के बाद स्वास्थ्य विभाग में हड़कंप मच गया। रातों रात दोनों के परिजनों को स्वास्थ्य विभाग की टीम घरों से लेकर आई और क्वारंटाइन सेंटर लोहानी भेजा गया। गांव मानहेरू वासी 52 वर्षीय निजामुद्दीन और संडवा वासी 28 वर्षीय अबदुल्ला आज भी उस वक्त को याद कर रो पड़ते है। दोनों ने बताया कि पुलिस की गाड़ियां व स्वास्थ्य विभाग की टीम भारी दलबल के साथ ऐसे पहुंची थी, जैसे हम जेल तोड़कर भागे हुए हो। उन्हें खुद को नहीं पता था कि वह कोरोना पॉजिटिव हो चुके है। बिना कोई सामान लिए उन्हें एंबुलेंस में बैठा लिया। घर के बाहर पर्चा चिपका दिया गया। पड़ोस से लेकर रिश्तेदारों तक का घर में प्रवेश निषेध कर दिया गया। मगर अस्पताल पहुंचने पर जिस तरह से चिकित्सकों ने उनका इलाज शुरू किया और एक-एक बाद बताई तो मन को शांति मिली। चिकित्सकों की मेहनत व खुदा की रेहमत से ठीक होकर अपने घर पहुंचे। ये वक्त वास्तव में उन्हें ही नहीं पूरी पीढ़ी को याद रहेगा।

बच्चों के पास जाने से लगने लगा था डर.. बेटी पूछती थी पापा घर कब आओगे

फोटो : 24बीडब्ल्यूएन 34

जागरण संवाददाता, भिवानी : डाक्टर बनने के बाद कोरोना काल में जो अनुभव मिला वो पूरी जिदगी याद रहेगा। 15 साल की नौकरी के दौरान कभी डर नहीं लगा, लेकिन कोरोना संक्रमण काल में मन के अंदर एक अजीब सा डर था।बेशक उसे किसी को कह ना सकते हो और उसके बाद विभाग ने बड़ी जिम्मेदारी सौंप दी। डा. राजेश ने कोरोना काल के समय को याद करते हुए बताया कि विभाग ने उन्हें कोरोना संक्रमितों का इलाज, उनकी सूची तैयार करने, मरीजों का लाने से लेकर हर जिम्मेदारी सौंपते हुए कोविड-19 कोर्डिनेटर बनाया। जिले में सबसे पहले तीन

मरीज एक साथ मिले। दिल्ली मरकज से आए तीन व्यक्ति संक्रमित मिले थे। इन्हें घर से लेकर आए तो स्वास्थ्य विभाग का अमले के साथ पुलिस फोर्स थी। इसके बाद डर था कि लेने के लिए जाए तो उन पर कोई पत्थर ना बरसा दे, लेकिन ऐसा नही हुआ। तीनों मरीजों ने पूरा सहयोग किया। कई जगह परेशानी हुई लोग संक्रमित मिलने के बाद भी अस्पताल के आइसोलेशन वार्ड में चलने को तैयार नहीं हुए। पुलिस की मदद से उन्हें एंबुलेंस से लाया गया। बाद में वह ठीक होकर जाते तो दुआएं देते थे। विभाग ने भी ऐसे मरीजों को फूलों के बुग्गे तक भेंट किए। जिसे लेकर भी लोग नाराज हो गए तो सामान्य इलाज कर उन्हें घर में क्वारंटाइन करना शुरू कर दिया। काफी दिनों तक घर नहीं जाते तो पांच साल की बेटी का घर से फोन आता था कि पापा आप घर क्यों नहीं आते। मुंह से कोई जवाब नहीं बनता था। हंसी में बात टालनी पड़ती थी।

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