तेरी सुकन्या नै आंख फोड़ दी, दरगाह म्हं होगा न्याय म्हारा तेरा

चरखी दादरी गांव कमोद में गोसेवार्थ आयोजित सांस्कृतिक कार्यक्रम रविवार

By JagranEdited By: Publish:Mon, 18 Jan 2021 07:16 AM (IST) Updated:Mon, 18 Jan 2021 07:16 AM (IST)
तेरी सुकन्या नै आंख फोड़ दी, दरगाह म्हं होगा न्याय म्हारा तेरा
तेरी सुकन्या नै आंख फोड़ दी, दरगाह म्हं होगा न्याय म्हारा तेरा

जागरण संवाददाता, चरखी दादरी :

गांव कमोद में गोसेवार्थ आयोजित सांस्कृतिक कार्यक्रम रविवार को संपन्न हुआ। सांग उत्सव के अंतिम दिन लोक गायक राजेश थुरानियां एंड पार्टी ने च्वन ऋषि सती सुकन्या का किस्सा सुनाया। जेई संदीप महला सरूपगढ़ ने 21 हजार, गजनूप सिंह कमोद, नरेश मिर्च, विरेंद्र रुदड़ौल, सेठ प्रेम भंडारी बिरहीकलां, जयपाल दलाल छारा, प्रदीप रावलधी, गोरक्षक रविद्र बिराण, संदीप राठी चंपापुरी ने 11-11 हजार रुपये दान राशि भेंट की। इनके अलावा डा. अजय श्योराण काकड़ौली, पंडित अक्षय ढाणी फौगाट, कुलदीप मुनीम रावलधी, ओम नंबरदार चरखी, सोमबीर सिंह रावलधी, डा. सुखविद्र फौगाट मकड़ाना ने 51-51 सौ रुपये समिति को दिए।

समिति के प्रधान रविद्र सिंह, संस्थापक मंजीत दलाल, सरपंच मदन परमार सांवड़, पप्पू चरखी, सुरेंद्र सिंह मौड़ी, रामेश्वर दयाल रंगा झींझर, ललित जांगड़ा ने स्मृति चिह्न भेंट कर अतिथियों को सम्मानित किया। इस मौके पर सोमबीर फतेहगढ़, डा. सुखविद्र फौगाट, हरिप्रकाश, भीम पंडित, हनुमान सिंह भी उपस्थित रहे। लोमश ऋषि ने पांडवों को सुनाई सति की कथा

बनवास मिलने के बाद पांचों पांडव व द्रौपदी जंगलों में भटकते हैं। वे एक रोज लोमश ऋषि के डेरे में जाते हैं तो बताते हैं कि उनकी रानी द्रौपदी दुखिया नारी है। यह सुनकर लोमश ऋषि उन्हें सती सुकन्या व च्वन ऋषि की कथा सुनाए। इस मौके की रागनी-पांडव आए आश्रम के म्हां ले गैल द्रौपदी राणी नै, लोमश ऋषि बतावण लागे एक प्राचीन कहाणी नै सुनकर श्रोता भाव विभोर हो गए। ऋषि ने बताया कि अवधपुरी में राजा सरयाति की एक 12 साल की लड़की सुकन्या ने तपस्या कर रहे च्वन ऋषि की भूलवश आंखें फोड़ दी। ऋषि ने राजा से कहा-या 12 साल रही घर तेरै, इब करदे हवालै मेरै, आंधा करगी तेरी सुकन्या यो दोष चढ़ैगा तेरै। राजा इंकार करने पर ऋषि कहता है- तेरी सुकन्या नै आंख फोड़ दी कर दिया ब्रह्मा दुखी मेरा, दरगाह म्हं राजा सरयाति न्याय होगा म्हारा तेरा। यह सुनकर राजा मजूबरीवश अपनी लड़की सुकन्या की शादी अंधे च्वन ऋषि के साथ कर दिया।

मां ने सुकन्या को बताया पत्नी धर्म

विदाई लेते हुए मां ने सुकन्या से कहा- तेरे भाग म्हं लिखा था सुकन्या तनै अंधा पति मिला, इसकी सेवा करिये बेटी इस म्हं तेरा भला। सुकन्या च्वन ऋषि की सेवा में लग जाती है। एक रोज पानी लेने नर्मदा नदी के तट पर गई तो सखियां मिली। सबने उसके पति से मिलने की जिद्द की। सुकन्या उन्हें कुटिया पर लेकर आई तो बूढ़े ऋषि को देख मखौल करने लगी। सुकन्या कहती है-ना पतिव्रता का धर्म जाणती, बस धर्म दवाई जाणूं सूं, पति की सेवा करया करूं मैं कर्म कमाई जाणूं सूं। च्वन ऋषि व उनके शिष्यों के सवाल जवाब होते हैं। चेला बोल्या बोल गुरु जी, द्वेष बड़ी के ममता, ये दोनों चीज बराबर की सैं, ना नमता कम समता।

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