कोरोना संक्रमण काल में संयुक्त परिवार की प्रासंगिकता हुई साबित
मानव जीवन की सबसे पहली और महत्वपूर्ण इकाई परिवार होती है
जागरण संवाददाता, चरखी दादरी : मानव जीवन की सबसे पहली और महत्वपूर्ण इकाई परिवार होती है। जिससे मनुष्य अपने जीवन को सफल बनाने व समाज में रहने के सभी गुण सीखता है। परिवार शब्द को हम कई रूपों में परिभाषित कर सकते हैं। परिवार मुख्य रूप से दो प्रकार के होते हैं, एकल और संयुक्त परिवार। दादरी जनता पीजी कालेज के प्राचार्य डा. यशवीर सिंह का कहना है कि मौजूदा परि²श्य को ध्यान में रखते हुए संयुक्त परिवार ही सबसे महत्वपूर्ण है। उनका कहना है कि संयुक्त परिवार का हर एक सदस्य एक-दूसरे से आंतरिक भाव से जुड़ा होता है। सभी एक दूसरे के सुख-दुख में काम आते हैं। संयुक्त परिवार सदस्यों का ही नहीं भावनाओं का भी जोड़ माना जा सकता है। संयुक्त परिवार में घर के बड़े सदस्य छोटे सदस्यों को अपना अनुभव सिखाते हैं। मौजूदा कोरोना काल में लोगों को संयुक्त परिवारों की कमी खलती दिखाई दे रही है। इस महामारी के दौर में परिवार के सदस्यों के सिवाय एक-दूसरे के नजदीक नहीं जा रहा। परिवार का महत्व समझने का इससे अच्छा उदाहरण नहीं मिल सकता। एकल परिवार में खुद तक सिमट जाते हैं लोग
बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ अभियान की प्रांतीय संयोजिका व समाजसेविका मंजू वत्स का कहना है कि संयुक्त परिवार में शक्ति एकत्रित हो जाती है, जबकि एकल परिवार में शक्तियां बंट जाती है। वर्तमान कोरोना काल में कोरोना पीड़ित एकल परिवारों में कोई खाना पकाने वाला, सेवा करने वाला नहीं है जबकि संयुक्त परिवार में ऐसा कभी महसूस ही नहीं होता। उनका कहना है कि संयुक्त परिवार से समाज में सकारात्मक संदेश जाता है। जबकि एकल परिवारों में लोग बस खुद तक ही सिमट कर रह जाते हैं। पति, पत्नी और एक-दो बच्चे। बच्चे भी उच्च शिक्षा प्राप्त कर दूसरे शहरों या देशों में चले जाते हैं। पीछे मां, बाप बुढ़ापे में अकेले ठोकरें खाते हैं। ऐसे में लोगों को परिवार के साथ मिलकर संयुक्त रहना चाहिए। जिससे समाज व देश को मजबूत बनाया जा सके।