कितलाना टोल पर धरना जारी, बढ़ती महंगाई और बेरोजगारी के लिए केंद्र, राज्य सरकारों को बताया जिम्मेदार

जागरण संवाददाता चरखी दादरी बढ़ती महंगाई व बेरोजगारी के चलते मजदूर व मध्यम वर्ग का जीवन ब

By JagranEdited By: Publish:Sun, 04 Jul 2021 08:53 AM (IST) Updated:Sun, 04 Jul 2021 08:53 AM (IST)
कितलाना टोल पर धरना जारी, बढ़ती महंगाई और बेरोजगारी के लिए केंद्र, राज्य सरकारों को बताया जिम्मेदार
कितलाना टोल पर धरना जारी, बढ़ती महंगाई और बेरोजगारी के लिए केंद्र, राज्य सरकारों को बताया जिम्मेदार

जागरण संवाददाता, चरखी दादरी : बढ़ती महंगाई व बेरोजगारी के चलते मजदूर व मध्यम वर्ग का जीवन बेहाल हो रहा है। यह बात डा. देवेंद्र बोहरा ने शनिवार को कितलाना टोल पर धरने को संबोधित करते हुए कही। उन्होंने कहा कि कोरोना की पहली लहर में 12 करोड़ लोग बेरोजगार हो गए थे और उससे पहले सरकार के नोटबंदी निर्णय ने औद्योगिक संस्थानों को बर्बाद कर दिया। जिससे करोड़ों लोगों का एकदम रोजगार छूट गया था और प्रवासी मजदूरों के सामने भोजन और आवास की गंभीर समस्या पैदा हो गई थी। अपने अपने गांव में जाने की तमन्ना से यातायात नहीं मिलने के कारण हजारों मजदूर भूख व दुर्घटनाओं के शिकार होकर मौत के मुंह में चले गए। जन जागरण अभियान चलाने वाले डा. अजय बल्हारा ने कहा कि जीएसटी ने महंगाई बढ़ाकर बेरोजगारों का जीना मुहाल कर दिया। उन्होंने कहा कि कोरोना की दूसरी लहर में एक तरफ उपचार के अभाव में लाखों मजदूरों की जिदगी चली गई वहीं 2.2 करोड़ लोग अपनी नौकरी से हाथ धो बैठे। केंद्र सरकार ने एक ही झटके में मजदूर वर्ग को शोषण से सुरक्षा देने वाले सभी कानून निरस्त करके चार कोड की आचार संहिता बना डाली। जिसके परिणामस्वरूप काम के आठ घंटों के बजाय 12 घंटे कर दिए गए। महंगाई के अनुसार न्यूनतम वेतन की अनिवार्यता समाप्त कर दी। लाभदायक पेंशन सुविधा पहले ही समाप्त कर दी गई है। 191वें दिन भी जारी रहा धरना

संयुक्त किसान मोर्चा के आह्वान पर कितलाना टोल पर चल रहे धरने के 191वें दिन खाप सांगवान से सूरजभान सांगवान, खाप फौगाट से धर्मपाल महराणा, श्योराण खाप से प्रधान बिजेंद्र बेरला, किसान सभा से प्रताप सिंह सिंहमार, युवा कल्याण संगठन से कमल प्रधान, जाटू खाप से मा. राजसिह जताई, मीर सिंह निमड़ीवाली, संतरा डोहकी, संतोष देशवाल, बिमला कितलाना ने संयुक्त रूप से अध्यक्षता की। उन्होंने कहा कि जब तक तीनों कृषि कानूनों रद नहीं होते आंदोलन जारी रहेगा। इसके साथ ही उन्होंने मांग की कि मजदूर विरोधी चार कोड रद कर महंगाई पर रोक लगाई जाए, असंगठित मजदूरों का न्यूनतम वेतन 24 हजार प्रति माह हो, बीमारी के चलते 10 किलो अनाज प्रति मजदूर प्रति माह निशुल्क दिया जाए और यह प्रवासी मजदूरों के लिए भी लागू हो। उन्होंने सभी मजदूरों को प्रति माह 7500 रुपये नकद देने के साथ जब तक कोरोना का प्रकोप रहे सभी का निशुल्क उपचार कराने की मांग भी उठाई। ये रहे मौजूद

इस मौके पर मा. ताराचंद चरखी, सुरेंद्र कुब्जानगर, रणधीर कुंगड़, आजाद प्रधान अटेला, कप्तान रामफल डोहकी, रामफल देशवाल, सत्यवान कालूवाला, जगदीश हुई, सूबेदार सतबीर सिहं, समुंद्र सिंह धायल, डा. चंदन सिंह समसपुर, सूबेदार कंवरशेर चंदेनी, महिपाल छपार, बलबीर सरपंच डोहकी, बबलू मानकावास, प्रेम सिंह, निहाल सिंह, धर्मबीर समसपुर, डा. राजू गौरीपुर, राजबाला कितलाना, नींबो देवी, सावित्री, दर्शना देवी भी उपस्थित रहे।

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