कितलाना टोल पर धरना जारी, कादमा गोली कांड के शहीद किसानों को श्रद्धांजलि दी, आंदोलन किया जाएगा तेज

जागरण संवाददाता चरखी दादरी संयुक्त किसान मोर्चा की अगुवाई में किसान आंदोलन के नौ महीने पू

By JagranEdited By: Publish:Mon, 23 Aug 2021 07:48 PM (IST) Updated:Mon, 23 Aug 2021 07:48 PM (IST)
कितलाना टोल पर धरना जारी, कादमा गोली कांड के शहीद किसानों को श्रद्धांजलि दी, आंदोलन किया जाएगा तेज
कितलाना टोल पर धरना जारी, कादमा गोली कांड के शहीद किसानों को श्रद्धांजलि दी, आंदोलन किया जाएगा तेज

जागरण संवाददाता, चरखी दादरी : संयुक्त किसान मोर्चा की अगुवाई में किसान आंदोलन के नौ महीने पूरे होने पर दिल्ली में बड़ा सेमिनार आयोजित किया जाएगा। यह बात चौधरी छोटूराम व भीमराव आंबेडकर मंच के संयोजक गंगाराम श्योराण ने सोमवार को कितलाना टोल पर आयोजित धरने को संबोधित करते हुए कही। उन्होंने कहा कि तीन कृषि कानूनों के खिलाफ किसान आंदोलन को नौ महीने बीत चुके हैं और सरकार के कानों पर कोई जूं नहीं रेंग रही। इसलिए राष्ट्रीय स्तर पर आंदोलन को और व्यापक बनाने के लिए 26 और 27 अगस्त को दिल्ली में होने वाले सेमिनार में गहन विचार विमर्श किया जाएगा। इसमें कितलाना टोल से बड़ी संख्या में किसान मजदूर भाग लेंगे। महम से पूर्व विधायक उमेद सिंह ने कहा कि सरकार देश के अन्नदाताओं को कमजोर समझने की गलती ना करे। उन्होंने कहा कि ये फसल और नस्ल बचाने की लड़ाई है और हम इसमें पीछे नहीं हटेंगे। दादरी नगर परिषद के पूर्व चेयरमैन अजित सिंह फौगाट ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह को आम जन मानस की दुख तकलीफ से कोई सरोकार नहीं है और अपने चहेते पूंजीपतियों के फायदे वाली नीतियां बना रहे हैं। 242वें दिन भी जारी रहा धरना

कितलाना टोल पर धरने के 242वें दिन सांगवान खाप 40 के सूरजभान सांगवान, श्योराण खाप के प्रधान बिजेंद्र बेरला, जाटू खाप के मास्टर राजसिंह, किसान सभा के रणधीर कुंगड़, बलबीर बजाड़, सुभाष यादव, मास्टर रणधीर श्योराण, विद्या देवी ने संयुक्त रूप से अध्यक्षता की। उन्होंने कादमा कांड के शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए कहा कि ये इलाके किसान आंदोलन का गढ़ रहा है और हर मुद्दे पर सरकार को झुकने पर विवश किया है। ये रहे मौजूद

इस अवसर पर नरसिंह सांगवान डीपीई, राजू मान, सुरेन्द्र कुब्जानगर, आजाद सिंह अटेला, रामफल देशवाल, कमल सिंह सांगवान, मास्टर महाबीर, सुखदेव पालवास, दिलबाग ढुल, निहाल सिंह गोयत, संतोष देशवाल, सुशीला घणघस, फुला, कृष्णा डोहकी, हवासिंह रानीला, संजय मानकावास, प्रोफेसर जगमिद्र सांगवान, सत्यवान कालुवाला, मास्टर सुरेंद्र, जयप्रकाश गौरीपुर, कंवर सिंह जांगड़ा, सूबेदार सतबीर सिंह इत्यादि मौजूद थे।

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