ढिगावा क्षेत्र के करीब 100 जोहड़ सूखे पड़े, वर्षो से पानी का कर रहे इंतजार

जलस्तर तेजी से घटने और बढ़ते तापमान के साथ ही जोहड़-तालाब सूखे होने के कारण पशु-पक्षियों के लिए पानी की समस्या भी बढ़ती जा रही है। राजस्थान सीमा से सटा लोहारू ढिगावा मंडी बहल और सिवानी बिल्कुल शुष्क क्षेत्र है।

By JagranEdited By: Publish:Sun, 05 Jul 2020 07:15 AM (IST) Updated:Sun, 05 Jul 2020 07:15 AM (IST)
ढिगावा क्षेत्र के करीब 100 जोहड़ सूखे पड़े, वर्षो से पानी का कर रहे इंतजार
ढिगावा क्षेत्र के करीब 100 जोहड़ सूखे पड़े, वर्षो से पानी का कर रहे इंतजार

मदन श्योराण, ढिगावा मंडी

जलस्तर तेजी से घटने और बढ़ते तापमान के साथ ही जोहड़-तालाब सूखे होने के कारण पशु-पक्षियों के लिए पानी की समस्या भी बढ़ती जा रही है। राजस्थान सीमा से सटा लोहारू, ढिगावा मंडी, बहल और सिवानी बिल्कुल शुष्क क्षेत्र है। यहां पानी की कमी के कारण गांवों के जोहड़-तालाब या तो बिल्कुल सूख चुके हैं या बोर वेलों से पानी डाला जा रहा है। ढिगावा मंडी क्षेत्र के 47 गांवों के करीब 100 जोहड़ खोदाई के बाद से ही पानी की बाट जो रहे हैं। आधा दर्जन जोहड़ों में नहर की सप्लाई का पानी डाला जाता है। बाकी पानी के जोहड़ सूखे पड़े हुए हैं। दैनिक जागरण टीम ने क्षेत्र के गांव का दौरा कर पानी की समस्या को जाना तो कई रोचक जानकारियां सामने आई। लोहारू ढिगावा क्षेत्र में पिछले काफी समय से नहरी पानी न पहुंचने के कारण क्षेत्र के दर्जनों गांवों में जोहड़ सूखे मैदानों की तरह नजर आ रहे हैं। ग्रामीणों ने अपने स्तर पर कुछ पानी की व्यवस्था की गई है ताकि गर्मी के प्रकोप के चलते पशु-पक्षियों को पानी की समस्या से कुछ राहत मिल सकें।

इस बारे में ग्रामीणों ने कहा कि पिछले कई सालों से क्षेत्र के नहर में पानी नहीं आया था। बीच में दो-चार बार पानी आया लेकिन अब फिर वही स्थिति बन चुकी है। सरकार की आखिरी टेल तक नहरी पानी पहुंचाने की योजना के फलस्वरूप कुछ एक बार पानी जरूर आया परंतु यह योजना भी इस क्षेत्र के लिए कारगर साबित नहीं हुई।

लोहारू, ढिगावा मंडी, बहल और सिवानी राजस्थान सीमा से सटा रेगिस्तानी इलाका है। गिरते भूमिगत जल स्तर को ध्यान में रखते हुए राज्य सरकार को लोहारू, ढिगावा मंडी, बहल, सिवानी क्षेत्र की माइनरों में कुछ समय के अंतराल पर पानी छोड़ना चाहिए ताकि जोहड़-तालाबों को पानी से भरकर बढ़ते तापमान से पशु-पक्षियों को कुछ निजात दी जा सके व गहराते जा रहे जल संकट को रोका जा सके। आज भी दर्जनों गांव के दर्जनों सूखे जोहड़ ऐसे हैं जिनमें नहर या नलकूपों का पानी डालने की कोई व्यवस्था नहीं की गई है।

chat bot
आपका साथी