खेत खलिहान : उन्नत खेती, पशुपालन से विकसित किसान बने संजय श्योराण

पवन शर्मा बाढड़ा गांव हड़ौदी निवासी किसान संजय श्योराण उन्नत कृषि व पशुपालन की बदौलत एक स

By JagranEdited By: Publish:Tue, 19 Oct 2021 06:41 AM (IST) Updated:Tue, 19 Oct 2021 06:41 AM (IST)
खेत खलिहान : उन्नत खेती, पशुपालन से विकसित किसान बने संजय श्योराण
खेत खलिहान : उन्नत खेती, पशुपालन से विकसित किसान बने संजय श्योराण

पवन शर्मा, बाढड़ा

गांव हड़ौदी निवासी किसान संजय श्योराण उन्नत कृषि व पशुपालन की बदौलत एक समृद्ध व विकसित किसान के रूप में उभरे हैं। अपनी पैतृक संपति का कुछ हिस्सा कोविड महामारी व अन्य सामाजिक कार्यों में लगाकर आपसी भाईचारे व दानवीरता की मिसाल भी वे पेश कर रहे हैं। देश व प्रदेश में बेरोजगारी की मार से जूझ रहा युवा वर्ग भले ही कृषि क्षेत्र में भविष्य बनाने से बचता हो लेकिन इस क्षेत्र में कई ऐसे किसान हैं जो सीमित खर्च कर अच्छी आमदनी ले रहे हैं। गांव हड़ौदी निवासी संजय श्योराण का परिवार डोहका-हड़ौदी सीमा पर खेत में कृषि व पशुपालन के सहारे अपनी आजीविका चलाता है। 1970 के दशक में जब समस्त देश में कृषि कार्य मात्र बरसाती पानी पानी पर निर्भर था। बाढड़ा कस्बे में बिजली घर भी नहीं था और झोझू कलां बिजली घर से बाढड़ा क्षेत्र के कुछ हिस्सों में बिजली आई थी उसी समय संजय श्योराण के पिता कमल सिंह ने पहले बैलों से व फिर बिजली से आधुनिक खेती बाड़ी की मिसाल कायम की। 80 के दशक में जब लोग खेतों में, जंगलों में रहने से कतराते थे तो संजय श्योराण के पिता कृषि के मोह में ऐसे फंसे की युवावस्था में हड़ौदी सीमा के रेतीले टीले पर एक मकान बना कर रहने लगे और खेती व पशुपालन शुरू किया। पिता के साथ खेतीबाड़ी अपनाने वाले संजय सिंह ने मात्र पांच भैंसों का एक छोटा हाउस बनाकर भैंस पालन व्यवसाय आरंभ किया। अब उनके पास बीस भैंसों का फार्म हैं। जिनका दूध प्रतिदिन बड़े शहरों में भेजकर वह खूब मुनाफा कमा रहा है। वह अकेले दस से अधिक लोगों को रोजगार दे रहा है। समय में बड़ा बदलाव आया हो लेकिन मात्र खेतीबाड़ी कर अपने परिवार का लालन पोषण करने वाले संजय क्षेत्र के युवाओं के लिए प्रेरणा स्त्रोत बने हुए हैं। भूमि कभी नहीं देती धोखा : संजय

युवा किसान संजय श्योराण ने बताया कि कृषि व भूमि कभी किसान को धोखा नहीं देती। कई बार प्राकृतिक आपदाएं आ भी जाती हैं तो घबराने के बजाय अगले वर्ष की गई मेहनत से उसकी भरपाई संभव है। उनकी युवावस्था में तो खेतीबाड़ी खराब होने पर कोई सुध नहीं लेता था। लेकिन मौजूदा समय में किसान की फसल बुवाई से लेकर मंडी पहुंचने तक सरकार की जिम्मेदारी बनती है और अब किसी भी तरह के नुकसान पर मुआवजे का भी प्रबंध है। लेकिन इसके बावजूद भी युवाओं का खेती से लगाव नहीं है। सामाजिक कार्यों में रहते हैं अग्रणी

समाजसेवी जगबीर चांदनी, एडवोकेट राजेश श्योराण, पंच रणधीर सिंह इत्यादि ने बताया कि युवा किसान संजय सिंह का परिवार खेतीबाड़ी के सहारे तीन पीढि़यों से भरण पोषण कर रहा है। उन्होंने मूली, प्याज, बंद गोभी, फूल गोभी इत्यादि सब्जी व दुग्ध का उत्पादन कर अपनी आमदनी को बढ़ाया है। वे हर तरह के सामाजिक कार्यों में अग्रणी रहते हैं।

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