वैश्विक महामारी के दौर में जरूरतमंदों, प्रवासी श्रमिकों को मदद पहुंचाने के लिए मंजू वत्स रही आगे
भारत विकास परिषद की गतिविधियों से पिछले पांच वर्ष से कार्य कर र
सोनू जांगड़ा, चरखी दादरी : भारत विकास परिषद की गतिविधियों से पिछले पांच वर्ष से कार्य कर रही मंजू वत्स आज किसी परिचय की मोहताज नहीं है। मंजू वत्स थोड़े ही समय में समाज सेवा को अपना लक्ष्य बनाकर हर वर्ग के उत्थान के लिए अपना महत्वपूर्ण योगदान दे रही है। वैश्विक महामारी कोरोना संक्रमण काल में भी मंजू वत्स की भूमिका को विशेष रूप से सराहा गया। कोरोना संक्रमण के दौरान हुए लॉकडाउन में जहां इस महामारी के प्रकोप से बचने के लिए सभी अपने घरों में थे वहीं मंजू वत्स ने अपनी टीम के साथ जरूरतमंदों को झुग्गियों में जाकर राशन कीट व अन्य जरूरी सामान मुहैया करवाया। इसके साथ ही उन्होंने दादरी नगर व आसपास के क्षेत्र में प्रवासी श्रमिकों की सहायता के लिए हर संभव प्रयास किए। लॉकडाउन के दौर में जबकि बड़ी संख्या में प्रवासी श्रमिक अपने-अपने प्रांतों में लौटने के लिए भागदौड़ कर रहे थे उस समय मंजू वत्स ने अपनी टीम के साथ कई श्रमिक परिवारों को राशन व अन्य जरूरी सामान मुहैया करवाकर उन्हें रूकने के लिए प्रेरित किया। गांव कमोद को लिया गोद
इसी के साथ मंजू वत्स बेटियों को उच्च शिक्षा दिलाने के लिए हमेशा तत्पर रही है। बेटियों को आगे बढ़ाने के लिए उन्होंने गांव कमोद को गोद भी लिया हुआ है। जहां समय-समय पर विभिन्न गतिविधियों के माध्यम से ग्रामीणों को बेटियों की बेहतर परवरिश और उच्च शिक्षा के लिए प्रेरित कर रही है। पांच परिवारों को बचाया टूटने से
भारत विकास परिषद बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओं प्रकोष्ठ की संयोजिका मंजू वत्स पांच परिवारों को टूटने से भी बचा चुकी है। मंजू वत्स ने जागरण को बताया कि उन्हें समाज सेवा की प्रेरणा उनके पति व स्थानीय जनता पीजी कालेज के प्राचार्य डा. यशवीर सिंह से मिली। उन्होंने बताया कि विवाद के चलते पांच परिवार अलग-अलग होने की कगार पर पहुंच गए थे। इन परिवार के पक्ष ने उनसे मदद मांगी। जिसके बाद उन्होंने दोनों पक्षों से मिलकर काउंसलिग की। वर्तमान में ये पांचों परिवार एक साथ रहकर खुशहाल जीवन व्यतीत कर रहे है। एक मामले तो दंपत्ती का आठ माह का बच्चा था और दंपत्ती तलाक लेना चाहते थे। लेकिन उनके समझाने-बुझाने पर दंपत्ती ने एक साथ रहने का फैसला लिया।