आठवीं तक के बच्चे फिलहाल अगली कक्षा के विद्यार्थियों से पुस्तकें लेकर चलाएं काम

कोरोना महामारी ने पढ़ाई की परिपाटी ही बदल दी है। कक्षा में बैठकर पढ़ने की बजाय आनलाइन पढ़ाई ने जगह ले ली है। इतना ही नहीं कुछ दशक पहले तक बच्चे पुरानी किताबें लेकर पढ़ते थे। इस महामारी ने विद्यालय शिक्षा निदेशालय को उस तरह की पुरानी परिपाटी पर ला दिया है।

By JagranEdited By: Publish:Wed, 19 May 2021 06:22 AM (IST) Updated:Wed, 19 May 2021 06:22 AM (IST)
आठवीं तक के बच्चे फिलहाल अगली कक्षा के विद्यार्थियों से पुस्तकें लेकर चलाएं काम
आठवीं तक के बच्चे फिलहाल अगली कक्षा के विद्यार्थियों से पुस्तकें लेकर चलाएं काम

सुरेश मेहरा, भिवानी : कोरोना महामारी ने पढ़ाई की परिपाटी ही बदल दी है। कक्षा में बैठकर पढ़ने की बजाय आनलाइन पढ़ाई ने जगह ले ली है। इतना ही नहीं कुछ दशक पहले तक बच्चे पुरानी किताबें लेकर पढ़ते थे। इस महामारी ने विद्यालय शिक्षा निदेशालय को उस तरह की पुरानी परिपाटी पर ला दिया है। खुद निदेशालय ने यह निर्देश जारी किए हैं कि कक्षा पहली से आठवीं तक के बच्चे फिलहाल अपने सीनियर विद्यार्थियों से पुस्तकें लेकर काम चलाएं। निदेशालय ने खुद जिला शिक्षा अधिकारियों और दूसरे अधिकारियों को कहा है कि कक्षा पहली से आठवीं तक पुस्तकें छप कर तो तैयार हैं पर लॉकडाउन के चलते उनका वितरण संभव नहीं हो पा रहा है। महामारी जैसे हालात में भी शिक्षक, अभिभावक और विद्यार्थी किसी भी हालत में पढ़ाई को प्रभावित न होने दें। यह निरंतर जारी रखी जाए।

सत्र 2020-21 में नौ लाख बच्चों को 50 लाख पुस्तकों का हुआ आदान प्रदान

विद्यालय शिक्षा निदेशालय के अनुसार प्रदेश में सत्र 2020-21 में नौ लाख बच्चों में 50 पुस्तकें आपस में आदान प्रदान की गई। इस परिपाटी को एकबार फिर से आगे बढ़ाने की जरूरत है। इससे बच्चों की पढ़ाई बाधित नहीं होगी। आनलाइन ही सही पढ़ाई जारी रहनी चाहिए।

मुख्यमंत्री ने खुद पुस्तकों के पारस्परिक आदान प्रदान में लगे अध्यापकों की सराहना की

ऐसे अनेक अध्यापक हैं जो बच्चों को आपसी आदान-प्रदान से पुस्तकें सुलभ करा रहे हैं। इसकी जानकारी मिलने पर खुद मुख्यमंत्री मनोहरलाल ने इस कार्य में लगे अध्यापकों से बात कर उनकी प्रशंसा की और इस कार्य को सराहा। बच्चों की पढ़ाई प्रभावित न हो इसके लिए इस पहल को आगे बढ़ाया जा रहा है। यह पहल कोरोना महामारी पर काबू पाने में भी अहम साबित होगी।

पर्यावरण संरक्षण भी होगा और कागज भी बचेगा

विद्यालय शिक्षा निदेशालय ने इस पहल की सराहना करते हुए कहा है कि पुस्तकों के पारस्परिक आदान-प्रदान से पर्यावरण का संरक्षण होगा। पेड़ काटकर कागज नहीं बनाना पड़ेगा। इससे कागज की भी बचत होगी। इसमें आपस में मिलकर सबने सहयोग करना चाहिए।

पुस्तकों के पारस्परिक लेन-देन में स्कूल मुखिया निभाएं अहम भूमिका

निदेशालय ने पुस्तकों के पारस्परिक लेन-देन में स्कूल मुखिया, कक्षा अध्यापक और एमएमसी सदस्यों की मुख्य रूप से जिम्मेदारी तय की है। यह भी कहा है कि पुस्तकें लेते देते समय पूरी सावधानी बरतें। पुस्तकों को दो दिन ऐसी जगह पर रखें जहां उनको कोई हाथ न लगाएं। पुस्तकें लेने के बाद साबुन से हाथ धोएं। इससे पहले दूरभाष पर संपर्क कर पूरी जानकारी लें। अध्यापक इसमें सहयोग करे। कोरोना महामारी से बचाव के लिए जारी की एडवाइजरी का पालन पूरी तरह से किया जाए।

निदेशालय से इस तरह का निर्देश आए हैं। इसमें पहले भी अध्यापक सहयोग करते रहे हैं। कोरोना महामारी से पूरी तरह से बचाव रखते हुए पुस्तकों के पारस्परिक लेने को सुचारू किया जाएगा। बच्चों की पढ़ाई प्रभावित न हो इसके लिए हर संभव प्रयास किया जा रहा है।

- रामअवतार शर्मा, जिला मौलिक शिक्षा अधिकारी, भिवानी।

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