बाजरे के बजाय मूंग उत्पादक किसानों को प्रोत्साहित करेगी सरकार, प्रचार अभियान शुरू
प्रदेश सरकार ने बाजरे के बढ़ते रकबे को कम करने व मूंग की खेत
संवाद सहयोगी, बाढड़ा : प्रदेश सरकार ने बाजरे के बढ़ते रकबे को कम करने व मूंग की खेती कर भूमि की उर्वरा शक्ति के अलावा किसान की माली हालत को सुधारने के लिए प्रचार अभियान शुरू कर दिया है। सरकार मूंग की खेती करने वाले किसानों को प्रोत्साहित करेगी। मार्केट भाव ज्यादा होने के कारण किसानों में मूंग की बीजाई को लेकर उत्साह भी बना हुआ है। मूंग का सबसे अधिक उत्पादन दक्षिणी हरियाणा के साथ ही राजस्थान क्षेत्र में होता है। सरकार बाजरे के बजाय अब मूंग उत्पादन को बढ़ावा देने में जुट गई है। कृषि विभाग का तर्क है अगर मूंग की खेती के उन्नत तरीकों को अपनाया जाए तो इसकी उपज को काफी बढ़ाया जा सकता है क्योंकि इसकी पैदावार मुख्य रूप से किस्मों के चयन, अच्छी व उपजाऊ भूमि, समय-समय पर की जाने वाली कृषि क्रियाएं, कुशल फसल प्रबंधन पर निर्भर करती है।
कृषि विशेषज्ञों के अनुसार किसान बीजाई के समय सही किस्मों का चयन करें तो उत्पादन व भूमि की ताकत दोनों बढ़ते हैं। मौजूदा समय में कृषि विभाग मुस्कान, सत्या, एमएच 421, एमएच 318, बसंती, को स्वीकृति देता है। मुस्कान तथा सत्या किस्मों को खरीफ मौसम में बीजाई के अनुकूल माना गया है लेकिन एमएच 421, एमएच 318, बसंती किस्में खरीफ तथा ग्रीष्मकालीन मौसम दोनों में बोई जा सकती हैं। खरीफ मौसम की तुलना में ग्रीष्मकालीन मौसम में बोई गई किस्में कम पैदावार देती हैं। ग्रीष्मकाल में मूंग की बीजाई मार्च माह में पूर्ण कर ली जानी चाहिए तथा खरीफ मूंग की बीजाई जून माह के आखिरी सप्ताह से जुलाई के प्रथम पखवाड़े तक होनी चाहिए। मूंग की बीजाई के समय बीज को राइजोबियम कल्चर से उपचारित अवश्य कर लेना चाहिए।
खरीफ मौसम में 6 से 8 किलोग्राम प्रति एकड़ तथा ग्रीष्मकालीन मौसम में 10 से 12 किलोग्राम प्रति एकड़ बीज की आवश्यकता होती है। किसानों को रासायनिक खादों के बजाय देशी व जैविक खाद का ज्यादा प्रयोग करना चाहिए। कृषि विभाग की सलाह से करें उपचार
जिला कृषि विषय विशेषज्ञ डा. चंद्रभान श्योराण ने बताया कि मूंग की फसल को रोगों से बचाने के लिए कृषि विभाग की सलाह से कीटनाशकों का छिड़काव करना चाहिए। पत्तों से रस चूसने वाले कीट जैसे हरा तेलिया और सफेद मक्खी के नियंत्रण के लिए रोगोर 250 एमएल अथवा मेलाथियान 400 एमएल प्रति एकड़ 250 लीटर पानी में घोल कर छिड़काव करें। मूंग के पत्तों के धब्बों का रोग, पत्तों के जीवाणु रोग की रोकथाम के लिए कापर आक्सीक्लोराइड 600 से 800 ग्राम प्रति एकड़ 250 लीटर पानी में घोल बनाकर छिड़काव करें तथा आवश्यकता पड़ने पर 10 दिन के अंतर पर दूसरा छिड़काव भी कर सकते हैं। मूंग उत्पादक किसानों को मिलेगी सहायता
प्रदेश के कृषि कल्याण मंत्री जेपी दलाल ने कहा कि प्रदेश की मौजूदा गठबंधन सरकार किसान के हित में कार्य कर रही है। हरियाणा में बाजरे के बजाय मूंग की फसल किसानों को दोहरा लाभ दे सकती है। एक तो मूंग उत्पादित रकबे की उर्वरा शक्ति मजबूत होती है वहीं दालों के रूप में या मार्केट भाव बाजरे की अपेक्षा अधिक मिलता है। सरकार धान की बीजाई न करने वाले व मूंग उत्पादक किसानों को आर्थिक मदद मुहैया करवाने का काम कर रही है।