हरियाणा नर्सिग एसोसिएशन ने कोविड के कारण नर्सिग डे नहीं मनाने का लिया फैसला

हरियाणा नर्सिग एसोसिएशन ने कोविड के कारण नर्सिग डे ना मनाने का लिया फैसला लिया। एसोसिएशन की प्रदेश अध्यक्ष सुनीता ने बताया कि संगठन के ऑनलाइन वीडियो कांफ्रेंस मीटिग हुई। इसमें सभी पदाधिकारियों ने महामारी के चलते 12 मई को नर्सिंग दिवस नहीं मनाने का फैसला लिया गया।

By JagranEdited By: Publish:Wed, 12 May 2021 07:13 AM (IST) Updated:Wed, 12 May 2021 07:13 AM (IST)
हरियाणा नर्सिग एसोसिएशन ने कोविड के कारण नर्सिग डे नहीं मनाने का लिया फैसला
हरियाणा नर्सिग एसोसिएशन ने कोविड के कारण नर्सिग डे नहीं मनाने का लिया फैसला

जागरण संवाददाता, भिवानी : हरियाणा नर्सिग एसोसिएशन ने कोविड के कारण नर्सिग डे ना मनाने का लिया फैसला लिया। एसोसिएशन की प्रदेश अध्यक्ष सुनीता ने बताया कि संगठन के ऑनलाइन वीडियो कांफ्रेंस मीटिग हुई। इसमें सभी पदाधिकारियों ने महामारी के चलते 12 मई को नर्सिंग दिवस नहीं मनाने का फैसला लिया गया।

हरियाणा नर्सिंग एसोसिएशन की प्रदेश सचिव विनिता ने बताया कि फैसला लिया है कि पूरा देश कोविड महामारी से जूझ रहा है हर रोज देश के हजारों लोगों की जान जा रही हैं, इसलिए नर्स डे नहीं मनाएंगे। अनेक ने अपनों को खोया है। हमारी सेवाएं देश को समर्पित हैं। नर्सिंग स्टाफ में महिला ज्यादा होने की वजह से माताओं का दर्जा है। मां अपने देश के लाल जाने का गम सहन नहीं कर पाती हैं। सुबह,दोपहर व रात को अस्पतालों के अंदर चीख निकलती है तो हमारी रूह कांप जाती है। सभी डाक्टर पैरामेडिकल स्टाफ और पूरे देश की नर्स सेवा में लगी हुई है।

एसोसिएशन सदस्य बेबी रानी और जिला प्रधान कमलेश लडवाल ने बताया कि यह कोरोना नहीं देश का काल है किसी को बचाने में अगर हम अपनी जान भी गवा देंगे तो हमें गर्व होगा। सन 1820 में जन्मी नाइटिगेल फ्लोरेंस ने एक युद्ध के दौरान घायलों की सेवा की थी और हम भी उनके कदमों पर चलते हुए देश सेवा में लगे हुए हैं। बुजुर्गो से सुनते थे कि 100 साल बाद एक महामारी आती है, जो कि अब सब ने आंखों से देख लिया है। प्रदेश अध्यक्ष सुनीता ने कहा कि हमारा सर्वप्रथम कर्तव्य है कि मरीजों की सेवा कर जान बचाए। साथ ही सरकार से इस महामारी के चलते मांग है कि नर्स स्टाफ के जितने भी पद खाली हैं, उनको अति शीघ्र भरा जाए ताकि अस्पतालों का काम सुचारू रूप से चल सके। मरीजों को और भी ज्यादा अपनी सेवाएं दे सकें। नर्सिंग के 60 परसेंट से ज्यादा पद खाली पड़े हुए हैं।

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