चंद पैसों के लालच में हो रही हरे पेड़ों की कटाई, पर्यावरण को बड़ा नुकसान
बाढड़ा उपमंडल क्षेत्र में बुधवार को काटे गए हरे पेड़ों का जखीरा मिला है। क्षेत्र के दो दर्जन गांवों में यह कारोबार पिछले कई सालों से फलफूल रहा है। किसानों को लालच देकर चल रहे इस पर्यावरण विरोधी कारोबार में वन विभाग व सरकारी तंत्र की कुंभकर्णी नींद भी मददगार साबित हो रही है।
पवन शर्मा, बाढड़ा : बाढड़ा उपमंडल क्षेत्र में बुधवार को काटे गए हरे पेड़ों का जखीरा मिला है। क्षेत्र के दो दर्जन गांवों में यह कारोबार पिछले कई सालों से फलफूल रहा है। किसानों को लालच देकर चल रहे इस पर्यावरण विरोधी कारोबार में वन विभाग व सरकारी तंत्र की कुंभकर्णी नींद भी मददगार साबित हो रही है। विश्वभर में आज पर्यावरण प्रदूषण सबसे बड़ी समस्या बनी हुई है। इसके लिए घटते वन क्षेत्र व धुआं फैलाने वाली इकाइयों को जिम्मेदार माना जाता है। जिसके लिए सरकार समय-समय पर कठोर कदम भी उठाती है। लेकिन धरातल पर अधिकारियों की मनमानी कार्यशैली के कारण खेतों, सड़क व नहर के किनारे रातोंरात बड़े-बड़े पेड़ कटना आम बात हो गई है।
बाढड़ा उपमंडल के दो दर्जन गांवों में ठेकेदार क्षेत्र के किसानों के खेतों व साथ लगते राजस्थान से हरे पेड़ व सूखी लकड़ी के पेड़ों की कटाई कर रातोंरात यहां लाकर भंडारित करते हैं। बाद में वे इन लकड़ियों को बड़े शहरों में आपूर्ति कर खूब मुनाफा कूट रहे हैं। वर्षो से किसान जांटी, रहीड़े के पेड़ को अपने खेतों में फसलों के लिए खाद की उपलब्धता वाले पेड़ का दर्जा देते हुए उन्हें बेचना तो दूर बल्कि काटने से भी गुरेज करते हैं। लेकिन समय के बदलाव के साथ ही अब रुपयों की जरूरत में किसान का भी इमान डगमगाने लगा है। वर्तमान में किसान अपने खेतों से पेड़ों की कटाई कर रहे हैं और इस गिरोह के लोगों को बेच देते हैं। जो बाद में मनमाने भाव पर आगे बेच देते हैं। बताया जा रहा है कि पर्यावरण के नाम पर बड़े-बड़े दावे किए जा रहे हैं, वहीं कार्रवाई के नाम पर कोई सख्त कदम उठाने के बजाय वन विभाग भी मामूली जुर्माना लगाकर अपने कर्तव्य की पूर्ति कर रहा है। बरसाती सीजन में करोड़ों रुपये खर्च कर पौधारोपण करने वाला वन विभाग मामूली जुर्माने से ही पर्यावरण संरक्षण का ढिढोरा पीट रहा है।