आंदोलन में जान गंवाने वालों की मदद करे सरकार : किसान
नरेंद्र मोदी को प्रधानमंत्री पद की गरिमा को ध्यान में रखते हुए
जागरण संवाददाता, चरखी दादरी : नरेंद्र मोदी को प्रधानमंत्री पद की गरिमा को ध्यान में रखते हुए आंदोलनकारी किसानों की मांगें अविलंब पूरी करनी चाहिए, ताकि किसान शांतिपूर्ण चल रहे आंदोलन को समाप्त कर घर लौट सकें। यह बात खाप सांगवान चालीस के सचिव नरसिंह डीपीई ने रविवार को कितलाना टोल पर अनिश्चित कालीन धरने को संबोधित करते हुए कही। उन्होंने कहा कि 11 दौर की बातचीत के बाद भी केंद्रीय कृषि मंत्री मसला नहीं सुलझा सके हैं। ऐसे में प्रधानमंत्री को सीधा दखल देते हुए तीन कृषि कानून रद्द करने के साथ एमएसपी की गारंटी देने के लिए संसद की आपात बैठक बुलानी चाहिए।
उन्होंने सवाल उठाते हुए कहा कि कैसी विडंबना है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को दिल्ली से कई सौ किलोमीटर दूर होने वाली दुर्घटनाओं में पीड़ितों के लिए संवेदना जताने के साथ दो-दो लाख आर्थिक मदद का ऐलान करने का तो समय है। लेकिन दिल्ली बार्डर पर 145 दिन से बैठे लाखों किसान नहीं दिखाई नहीं देते। यहां तक कि इस आंदोलन में अब तक 350 से ज्यादा किसान जान गंवा चुके है। लेकिन प्रधानमंत्री ने उनके परिवारों को आर्थिक मदद करना तो दूर उनके बारे में एक शब्द तक बोलना उचित नहीं समझा। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और प्रदेश के मुख्यमंत्री मनोहर लाल को चेताते हुए कहा कि किसानों की अनदेखी सरकार को महंगी पड़ेगी।
115वें दिन भी धरना रहा जारी
कितलाना टोल पर धरने के 115वें दिन मास्टर ताराचंद चरखी, मास्टर राजसिंह, बिजेंद्र बेरला, दिलबाग ग्रेवाल, सुभाष यादव, सुखदेव पालवास, ब्रह्मादेवी, इंद्रावती डोहकी ने संयुक्त रूप से अध्यक्षता की। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को किसान आंदोलन में शहादत देने वाले किसानों के परिवारों से माफी मांगने के साथ उनकी आर्थिक मदद भी करनी चाहिए। धरने का मंच संचालन रणधीर घिकाड़ा ने किया।
ये रहे मौजूद
इस अवसर पर गंगाराम श्योराण, प्रोफेसर राजेंद्र डोहकी, सूरजभान सांगवान, धर्मेन्द्र छपार, सुरेंद्र सरपंच कुब्जानगर, मंगल सुई, कप्तान रामफल, धर्मबीर समसपुर, चरण सिंह, सूबेदार सत्यवीर इत्यादि मौजूद रहे।