खेत खलिहान : चने में उखेड़ा की दस्तक ने बढ़ाई किसानों की ¨चता, बरते सावधानी
चने की फसल में उखेड़ा (वील्ट) बीमारी ने दस्तक दे दी है। उखेड़ा से
जागरण संवाददाता,भिवानी : चने की फसल में उखेड़ा (वील्ट) बीमारी ने दस्तक दे दी है। उखेड़ा से नष्ट होती फसल को देखकर किसानों की ¨चता भी बढ़ गई है। ऐसे में किसानों को सावधानी बरतने की आवश्यकता है। किसान खेत में नमी रखकर या बावस्टिन दवाई का स्प्रे करके इस बीमारी से चने को बचा सकते हैं।
आम तौर पर चने की अधिकांश बिजाई बरानी एरिया में की जाती है। खासकर भिवानी जिले में चने की फसल रेतीले इलाके में अधिक होती है। यहां चने की फसल बरसात पर ही निर्भर रहती है, लेकिन बरानी एरिया में चने की फसल में उखेड़ा नामक बीमारी ने दस्तक दे दी है। चने में उखेड़ा बीमारी आने से किसान भी ¨चतित है, लेकिन किसानों को ¨चतित होने की बजाए इसका उपचार करना चाहिए। ताकि उखेड़ा बीमारी को बढ़ने से रोका जा सके। उखेड़ा बीमारी पर समय रहते नियंत्रण नहीं पाया गया तो यह चने की पैदावार पर भी काफी नुकसान कर सकती है। ऐसे में किसानों की आय पर भी प्रभाव पड़ेगा।
विशेषज्ञों के अनुसार उखेड़ा बीमारी मुख्यत बरानी व कम नमी वाले क्षेत्र में अधिक आती है। साथ ही इसका एक कारण यह भी बताया जाता है कि चने की अधिक अगेती बिजाई कर दी। उनमें भी उखेड़ा बीमारी आने की अधिक संभावना रहती है। कृषि विशेषज्ञों की टीम ने दौरा किया तो उनके सामने भी उखेड़ा बीमारी की शिकायत मिली। इस पर विशेषज्ञों ने किसानों को इससे निपटने के लिए भी उपाय बताए। उखेड़ा के लक्षण विशेषज्ञों के अनुसार उखेड़ा बीमारी में चने के पत्ते मुरझाने व लुढ़कने लगते हैं। यदि किसान चने के पौधे के तने को चाकू से लंबाई की ओर काटें तो चने के बीच से कल्का काला या भद्दा दिखाई देगा। इसके लिए किसानों को समय-समय पर अपने खेत का निरीक्षण करते रहना चाहिए। ये करे उपाय यदि चने में उखेड़ा बीमारी लग जाए तो किसान 2.5 ग्राम बावस्टिन नामक दवाई प्रति लीटर के हिसाब से पानी में मिला लें। इस घोल की स्प्रे चने की फसल में करें। स्प्रे की मात्रा इतनी होनी चाहिए कि चने की जड़ तक घोल पहुंच जाए। साथ ही इससे स्प्रे गहरी करनी पड़ती है और कठिन भी होती है। संभव हो तो किसान ¨सचाई करके स्प्रे करें। इससे स्प्रे कम मात्रा में करनी होगी। बचने के लिए ये बरते सावधानी किसान अपने खेत में उखेड़ा बीमारी आने से रोकने के लिए भी सावधानी बरतें। ऐसे में किसानों को चाहिए कि वे अपने खेत में नमी बनाएं रखें। इसके लिए वे उपलब्ध हो तो ¨सचाई भी कर सकते हैं। अगेता चना चपेट में आने की अधिक संभावना विशेषज्ञों के अनुसार जिन किसानों ने अक्टूबर की शुरुआत में या इससे पहले चने की बिजाई की थी। उसमें उखेड़ा बीमारी आने की अधिक संभावना रहती है। यदि किसान ने बिजाई के समय बीज उपचार किया होगा तो इससे बचाव रहेगा। किसान उखेड़ा से ¨चतित न हों, उपचार करें : डा. लुहाच
चने में उखेड़ा बीमारी ने दस्तक दे दी है। ऐसे में किसानों को ¨चता करने की जरूरत नहीं है सावधानी बरतते हुए उपचार करें। उखेड़ा से चने को बचाने के लिए किसान खेत में खेत में नमी रखे या बावस्टिन दवाई का स्प्रे करें।
डा. वेद प्रकाश लुहाच, वरिष्ठ संयोजक, कृषि विज्ञान केंद्र, भिवानी।