किसान बोले- फसल और नस्ल बचाने का है ये आंदोलन
कितलाना टोल चल रहे किसानों के अनिश्चितकालीन धरने के 102वें दिन बुजुर्गों ने कहा कि ये आंदोलन फसल और नस्ल बचाने का है। इसके लिए वे हर लड़ाई लड़ेंगे।
जागरण संवाददाता, चरखी दादरी : कितलाना टोल चल रहे किसानों के अनिश्चितकालीन धरने के 102वें दिन बुजुर्गों ने कहा कि ये आंदोलन फसल और नस्ल बचाने का है। इसके लिए वे हर लड़ाई लड़ेंगे। उन्होंने कहा कि मोदी सरकार में न किसान सुरक्षित है और न ही जवान। उन्होंने कहा कि शांतिपूर्ण ढंग से चल रहे किसान आंदोलन में 300 से ज्यादा किसानों की मौत हो चुकी हैं और नक्सली हमलों में हर रोज जवान शहीद हो रहे हैं। उसके बावजूद सरकार कोई ध्यान नहीं दे रही है। उन्होंने कहा कि फसल खरीद को लेकर सरकार लाख दावे करे लेकिन हकीकत यह है कि किसान परेशान हैं। उन्होंने रजिस्ट्रेशन सिस्टम में खामियां बताते हुए कहा कि अगर किसी किसान ने 5 एकड़ का रजिस्ट्रेशन करवाया है तो उसकी जगह एक या डेढ़ एकड़ का मैसेज आ रहा है। इस समस्या का सामना बहुत किसान कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि मंडियों में बारदाने की भारी कमी है। उन्होंने नमी दर 14 से 12 फीसद करने की भी निदा की। वक्ताओं ने बिजली बिलों को लेकर आपत्ति जताते हुए कहा कि सरकार बेवजह एक साथ चार महीने का बिल भेज कर उपभोक्ताओं पर बोझ डाल रही है। उन्होंने कहा कि एक ओर सरकार कह रही है कि बिजली निगम फायदे में चल रहे हैं उसके बाद भी चार महीने का बिल एक साथ देकर गरीब और मध्यम वर्ग पर बोझ डाला जा रहा है जो असहनीय है। सरकार ने ये आदेश वापस नहीं लिए तो इस जल्द ही आंदोलन की रणनीति बनाई जाएगी। ये रहे मौजूद
इस अवसर पर धर्मपाल महराणा, शमशेर सांगवान, महासिंह मोड़ी, सूबेदार सत्यवीर, विजय ठेकेदार, प्रेम सिंह, सत्यवान कालुवाला, पूर्व सरपंच समुंद्र सिंह, विद्यानंद कमोद, दिलबाग सिंह, मौजीराम, ईश्वर, रतनी देवी, लक्ष्मी, राजबाला सहित काफी संख्या में किसान मौजूद रहे। सोमवार को भी कितलाना टोल फ्री रहा।