माइनर दोबारा चालू करवाने की मांग, किसानों ने किया प्रदर्शन

चरखी दादरी भारतीय किसान यूनियन के पदाधिकारियों ने भू-राजस्व कार्यालय के

By JagranEdited By: Publish:Tue, 10 Sep 2019 08:36 AM (IST) Updated:Tue, 10 Sep 2019 08:36 AM (IST)
माइनर दोबारा चालू करवाने की मांग, किसानों ने किया प्रदर्शन
माइनर दोबारा चालू करवाने की मांग, किसानों ने किया प्रदर्शन

जागरण संवाददाता, चरखी दादरी:

भारतीय किसान यूनियन के पदाधिकारियों ने भू-राजस्व कार्यालय के अधिकारियों पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाए हैं। इसी को लेकर भाकियू ने सोमवार को इस मामले को लेकर रोष प्रदर्शन किया तथा जमकर नारेबाजी की। उन्होंने जिला भू-राजस्व अधिकारी को उपायुक्त के नाम ज्ञापन सौंपकर उक्त अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई व वन-आर माइनर को दोबारा चालू करवाने की मांग की है। भाकियू पदाधिकारियों ने उनकी मांगों पर संज्ञान न लिए जाने पर प्रशासन को आंदोलन की चेतावनी दी है।

उपायुक्त को ज्ञापन देने लघु सचिवालय पहुंचे भाकियू प्रदेश उपाध्यक्ष भूप सिंह दलाल, जिलाध्यक्ष जगबीर सिंह, मनोहर लाल, सतीश आदमपुर , गुलजारी लाल दातौली, मोनू चिड़िया, जसवंत इत्यादि ने कहा कि तहसील कार्यालय में बनने वाली रजिस्ट्रियों में भू-राजस्व विभाग के अधिकारी रिश्वत लेते हैं। उन्होंने कहा कि इसमें अधिकारी मिलीभगत से भ्रष्टाचार को बढ़ावा दे रहे हैं। भाकियू पदाधिकारियों ने कहा कि रिश्वत लेने के लिए अधिकारी एक दूसरे से फोन कर डील करते हैं। यदि अधिकारियों की फोन कॉल डिटेल निकाली जाए तो इससे जुड़ी हुई कई बातें सामने आ सकती हैं।

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माइनर को चालू करवाने की मांग

भाकियू पदाधिकारियों ने कहा कि बधवाना डिस्ट्रीब्यूटरी के घसौला हैड से निकलकर महेंद्रगढ़ रोड, महेंद्रगढ़ बाईपास, कलियाणा रोड, मेजबान चौक से होकर नए बाईपास की ओर जाने वाली वन-आर माइनर बीते 20 साल से बंद पड़ी है। उन्होंने कहा कि अधिकारियों द्वारा माइनर की टाइलों तक को बेच दिया गया है। भाकियू पदाधिकारियों का आरोप है कि संबंधित विभाग के अधिकारियों द्वारा माइनर को कागजों में चालू दिखाया गया है और प्रतिवर्ष माइनर के रख-रखाव, सफाई इत्यादि के नाम पर लाखों रुपये के बिल पास कर सरकार को चूना लगाया जाता है। उन्होंने माइनर को दोबारा चालू करने की मांग की है।

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एक सप्ताह का दिया अल्टीमेटम

भाकियू पदाधिकारियों ने प्रशासन को एक सप्ताह का अल्टीमेटम दिया है। उन्होंने कहा कि यदि प्रशासन ने उनकी मांगों पर जल्द संज्ञान नहीं लिया तो वे आंदोलन करने को मजबूर होंगे।

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