दादरी नई अनाज मंडी : सरसों व गेहूं की तेजी से बढ़ने लगी आवक, सरसों के दामों में बढ़ोतरी का सिलसिला जारी
दादरी की नई अनाज मंडी में अप्रैल माह का दूसरा सप्ताह शुरू होते ही रबी की फसलों की आवक में तेजी आती दिखाई दे रही है। एक अप्रैल से शुरू हुई खरीद के दौरान जहां पहले पांच दिनों में आवक में काफी सुस्ती नजर आ रही थी वहीं अब मंडी में हर तरफ सरसों व गेहूं की ढेरियां लगी हुई दिखाई दे रही हैं।
जागरण संवाददाता, चरखी दादरी :
दादरी की नई अनाज मंडी में अप्रैल माह का दूसरा सप्ताह शुरू होते ही रबी की फसलों की आवक में तेजी आती दिखाई दे रही है। एक अप्रैल से शुरू हुई खरीद के दौरान जहां पहले पांच दिनों में आवक में काफी सुस्ती नजर आ रही थी वहीं अब मंडी में हर तरफ सरसों व गेहूं की ढेरियां लगी हुई दिखाई दे रही हैं। वीरवार को गेहूं की भी भारी आवक हुई। 539 किसानों ने गेट पास कटवाए तथा 63209 क्विटल गेहूं की आवक हुई। जबकि शाम तक 39102 क्विटल गेहूं की खरीद सरकार द्वारा निर्धारित न्यूनतम समर्थन मूल्यों पर हैफेड व हरियाणा हाउस कारपोरेशन द्वारा की गई। गेहूं के न्यूनतम समर्थन मूल्य इस बार 1975 रुपये प्रति क्विटल निर्धारित किए गए हैं। स्थानीय आढ़तियों का मानना है कि अगले कुछ दिनों के दौरान गेहूं की आवक में और भी तेजी आएगी। क्योंकि अभी तक पछेती गेहूं की फसल की कटाई का कार्य चल रहा है।
सरसों के भाव में तेजी जारी
पिछले चार-पांच दिनों की तरह वीरवार को भी दादरी जिले की अनाज मंडी में सरसों की भारी आवक देखने को मिली। 253 किसानों की 8227 क्विटल सरसों की फसल खुली बोली पर निजी फर्मों द्वारा की गई। वीरवार को अनाज मंडी में सरसों के भाव 5000 से 5350 रुपये प्रति क्विटल तक रहे। यहां यह भी उल्लेखनीय है कि सरकार ने सरसों के न्यूनतम समर्थन मूल्य 4650 रुपये प्रति क्विटल घोषित किए हैं। खुली बोली पर एमएसपी के अपेक्षा भाव काफी अधिक होने के कारण अभी तक सरकारी एजेंसियां एक किसान की भी सरसों की फसल नहीं खरीद पाई हैं। सभी किसान खुली बोली पर अपनी सरसों बेच रहे हैं। फसलों से अटने लगी मंडी
एक सप्ताह पहले तक दादरी की अनाज मंडी में जहां सन्नाटा पसरा दिखाई देता था वहीं अब देर सायं व रात तक फसलों का कारोबार होता नजर आता है। मंडी के कवर्ड शैडों, दुकानों के आगे फड़ों, खुले स्थानों हर तरफ गेहूं व सरसों की ढ़ेरियां, बोरियां दिखाई दे रही हैं। स्थानीय मार्केट कमेटी ने रबी की फसलों को बेचने के लिए आने वाले किसानों के लिए बिजली, पानी, सफाई, यहां तक की स्थानीय विश्राम गृह में ठहरने की भी व्यवस्था की है।