एनजीटी की गाइड लाइन पर अब रोस्टर पालिसी से चलेंगे ईंट-भट्ठे, आज निकलेगा ड्रा

नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) के निर्देशानुसार ईट-भट्ठों को चलाने के लिए खाद्य एवं पूर्ति नियंत्रक विभाग ने नई रोस्टर पालिसी बनाई है। अब हर साल जिले के भट्ठों को बारी बारी से चलाया जाएगा।

By JagranEdited By: Publish:Mon, 29 Nov 2021 10:55 PM (IST) Updated:Mon, 29 Nov 2021 10:55 PM (IST)
एनजीटी की गाइड लाइन पर अब रोस्टर पालिसी से चलेंगे ईंट-भट्ठे, आज निकलेगा ड्रा
एनजीटी की गाइड लाइन पर अब रोस्टर पालिसी से चलेंगे ईंट-भट्ठे, आज निकलेगा ड्रा

जागरण संवाददाता, चरखी दादरी : नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) के निर्देशानुसार ईट-भट्ठों को चलाने के लिए खाद्य एवं पूर्ति नियंत्रक विभाग ने नई रोस्टर पालिसी बनाई है। अब हर साल जिले के भट्ठों को बारी बारी से चलाया जाएगा।

एनजीटी ने एनसीआर क्षेत्र में ईंट भट्ठों को चलाने के लिए हरियाणा राज्य सरकार को एक ठोस नीति बनाने के निर्देश जारी किए थे। जिससे देश की राजधानी दिल्ली और आसपास के क्षेत्र में कम से कम प्रदूषण हो। प्रदूषण की समस्या के चलते सरकार क्रशरों व भट्ठों को पहले ही बंद करवा चुकी है। एनजीटी की गाइड लाइन पर कार्य करते हुए खाद्य एवं पूर्ति विभाग ने दादरी जिले में स्लाट बनाकर ईंट-भट्ठों को चलाने का निर्णय लिया है।

विभाग के निरीक्षक यक्ष तेवतिया ने बताया कि दादरी जिले में इस समय बीस ईंट-भट्ठे सरकार की मानक प्रणाली जिग जैग पर आधारित हैं। इन्हें फिलहाल मार्च 2022 तक बंद रखने के आदेश दिए गए हैं। मार्च माह के बाद भट्ठों को चलाने के लिए नई नीति एनजीटी के निर्देशानुसार बनाई गई है। जिसके अनुसार अप्रैल 2022 वित्तीय वर्ष में सात, वर्ष 2023 में सात और वर्ष 2024 में बाकी छह भट्ठों को चलाया जा सकेगा। इसके लिए उपायुक्त प्रदीप गोदारा की अगुवाई में 30 नवंबर को ड्रा निकाला जाएगा। जिसमें यह सुनिश्चित हो सकेगा कि बारी-बारी से कौन से ईंट भट्ठे चलाए जा सकेंगे।

इस मौके पर ईंट भट्ठा एसोसिएशन के प्रतिनिधि, प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के क्षेत्रीय अधिकारी आरके भोंसले व जिला खाद्य एवं पूर्ति नियंत्रक बीएस दून भी उपस्थित रहेंगे। निरीक्षक यक्ष ने बताया कि एनजीटी के निर्देशों में स्पष्ट किया गया है कि पीएनजी या सीएनजी एनर्जी से भट्ठों को चलाने पर कोई रोक नहीं है। लेकिन इस गैस से चलने वाला भट्ठा दादरी में एक भी नहीं है। यहां सभी भट्ठों पर कोयला, भूसा या पराली जलाकर ही ईंटों को पकाया जाता है।

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