उपेक्षा का दंश झेल रही है आंगनबाड़ी वर्कर्स, महिला व बाल विकास के दावों पर सवालिया निशान

महिला एवं बाल विकास विभाग कहने को तो बचों व महिलाओं के जीवन का उत्थान व सम्मान बढ़ाने के लिए बनाया गया है।

By JagranEdited By: Publish:Wed, 08 Dec 2021 06:34 PM (IST) Updated:Wed, 08 Dec 2021 06:34 PM (IST)
उपेक्षा का दंश झेल रही है आंगनबाड़ी वर्कर्स, महिला व बाल विकास के दावों पर सवालिया निशान
उपेक्षा का दंश झेल रही है आंगनबाड़ी वर्कर्स, महिला व बाल विकास के दावों पर सवालिया निशान

पवन शर्मा, बाढड़ा

महिला एवं बाल विकास विभाग कहने को तो बच्चों व महिलाओं के जीवन का उत्थान व सम्मान बढ़ाने के लिए बनाया गया है। लेकिन इसमें कार्यरत कार्यकर्ताओं की मांगों को सरकार पूरा नहीं कर रही। कार्यकर्ताओं ने कोविड जैसी महामारी में भी घर घर राशन, टीकाकरण व सर्वे में अपनी जान की बाजी लगाकर कार्य किया। कोरोना योद्धा का दर्जा भी हासिल किया। लेकिन पिछले तीन माह से मानदेय के इंतजार में इन वर्कर्स का रोष बढ़ रहा है। उन्होंने अपने अपने केंद्रों पर तालाबंदी कर आंदोलन शुरू कर जिला प्रशासन से खंड की 200 कार्यकर्ताओं का चार माह का बकाया लगभग 60 लाख से अधिक की राशि उनके खातों में भिजवाने की अपील करेंगी। महिला एवं बाल विकास विभाग द्वारा खंड की आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं के साथ किए जा रहे उपेक्षित रवैये से कार्यकर्ताओं में विभाग के प्रति रोष बढ़ रहा है। आंगनबाड़ी वर्कर यूनियन अध्यक्ष सुनीता रामबास, मोनिका बेरला, संतोष ढाणी खूबी, संतोष, अनिता, सुशीला श्योराण, अर्चना, चंद्रकला, शील काकड़ौली, कविता इत्यादि ने बताया कि प्रत्येक विभाग अपने कर्मचारी को प्रतिमाह की एक तारीख को मानदेय खाते में देता है। लेकिन उनको सितंबर 2021 के बाद एक पैसा नहीं मिल पाया है। उनको प्रति माह की 11 हजार 811 रुपये की मानदेय राशि नहीं मिली है। वितरण में देरी कर उनके सामने विभाग आंदोलन का मार्ग तैयार कर रही है। इस बारे में सीडीपीओ से संपर्क किया गया तो उन्होंने बताया कि खंड के सभी कार्यकर्ताओं का बजट बनाकर खजाना कार्यालय में भेजा गया है। आज तक नहीं मिली बढ़ाई गई राशि प्रधान सुनीता रामबास ने कहा कि वर्कर्स को बताया जाए कि वे सरकारी कर्मचारी हैं या फिर गैर सरकारी। वर्ष 2018 में प्रधानमंत्री मोदी द्वारा 1500 रुपये बढ़ाए गए थे जो आज तक नहीं मिले हैं। इसके साथ साथ केंद्र सरकार द्वारा जारी भत्ते का भी आठ महीने से भुगतान नहीं किया गया है। इन्हीं सब मुद्दों को लेकर जल्द सभी कार्यकर्ताओं ने बुधवार से केंद्रों पर ताला लगाकर जिला मुख्यालय पर रोष मार्च निकाल कर सभी जिलों के माध्यम से हरियाणा के सीएम मनोहर लाल के नाम ज्ञापन भी सौंपा गया है।

बनाया जा रहा है दबाव

आंगनबाड़ी वर्कर्स के पास महंगे आधुनिक और नए फीचर वाले मोबाइल फोन नहीं है। लेकिन उन पर मोबाइल से काम का दबाव बनाया जाता है। इसलिए मांग है कि उनका जो भी कार्य है वह आफलाइन या फिर लिखित में पारंपरिक तरीके से ही करवाया जाए। आंगनबाड़ी वर्कर्स की नई भर्ती भी नहीं की जा रही है। जिस कारण काम का बोझ बढ़ रहा है। सीएम मनोहर लाल के नाम सौंपे ज्ञापन में आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं को सरकारी कर्मचारी घोषित करते हुए उसी प्रकार से सरकारी सुविधाएं ,वेतनमान, भत्ते इत्यादि उपलब्ध करवाने की मांग की गई है।

chat bot
आपका साथी