पहले मरीज को लेने गया तो कांप रही थी रूह...

जागरण संवाददाता भिवानी लॉक डाउन। अस्पताल में सन्नाटा। केवल एंबुलेंस चालक व डाक्टर सिपाह

By JagranEdited By: Publish:Thu, 25 Mar 2021 11:09 AM (IST) Updated:Thu, 25 Mar 2021 11:09 AM (IST)
पहले मरीज को लेने गया तो कांप रही थी रूह...
पहले मरीज को लेने गया तो कांप रही थी रूह...

जागरण संवाददाता, भिवानी : लॉक डाउन। अस्पताल में सन्नाटा। केवल एंबुलेंस चालक व डाक्टर सिपाही बनकर खड़े थे मानों खतरनाक जंग लड़नी है। उसी समय 5 मार्च 2020 को दिल्ली से कॉल आती है। दिल्ली मरकज से भिवानी में तीन व्यक्ति कोरोना संक्रमित आए है। इन तीनों को तोशाम के गांव संडवा से मरीज अब्बदुल को लाने की ड्यूटी लगी। खतरनाक महामारी से लोग डर लग रहा था। रूह कांप रही थी। एंबुलेंस चालक अश्वनी ने उस समय की यादे सांझा करते हुए बताया कि वह पुलिस फोर्स की पांच गाड़ियों के साथ सबसे आगे एंबुलेंस लेकर पहुंचा। पूरा गांव सन था। वहां पर लोग छतों पर चढ़कर देख रहे थे। कोई खिड़की से झांक रहा था। अब्दुल को लेकर किसी किसी तरह भिवानी के चौ. बंसीलाल सामान्य अस्पताल के आइसोलेशन वार्ड में लेकर पहुंचे। भिवानी आने पर घर वालों को बताया। वो भी भयभीत हो गए। उस पूरी रात को नींद नहीं आई। तीन बार नहाना पड़ा। अस्पताल में ही दिए गए अलग से रूम में ठहर गया। ये वक्त कभी भूल नहीं सकते। हालांकि उसके बाद तो आदत बन गई। एक बाद एक मरीज मिलने शुरू हो गए। खुद की जान खतरे में डालकर दूसरों की जान बचाने का जुनून सवार हो गया।

कोरोना काल में मंदिर बंद रहा हो, पर असली सेवा का मिला मौका :

फोटो : 24बीडब्ल्यूएन 31

जागरण संवाददाता, भिवानी : कोरोना काल। मंदिर बंद, स्कूल बंद, बाजार बंद। पहली बार ऐसा देखने को मिला। मंदिर में बेशक पूजा-अर्चना बंद हुआ, लेकिन जररूतमंदों के लिए सेवा करने का असली मौका मिला। मंदिर पूजा की जगह भूखे-प्यासे

लोगों के पेट भरने व सहारा देने का ठिकाना बना। कोरोना काल लॉकडाउन की यादें ताजा करते हुए हनुमान जोहड़ी मंदिर के महंत चरणदास महाराज ने कहा कि मंदिर को रसोई घर का रूप दिया गया। परमात्मा की कृपा और लोगों के सहयोग से यहां रोजाना सैकड़ों लोगों के लिए खाना बनने लगा। लोग आते और भोजन करते सकून होता। छोटे-छोटे बच्चों के लिए लोग भोजन की तलाश में भटकते हुए आते और उन्हें भोजन उपलब्ध करवाने का मौका मिला तो आत्मा को शांति मिलती। यहां से शुरू हुई रसोई का खाना बनकर गरीब बस्तियों में पहुंचाया जाता। रसोई शुरू की तो सैकड़ों लोगों ने मदद के लिए भी हाथ बढ़ाया।

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