लाल डोरा में गलत निशानदेही का आरोप, खेतों में निकाले रास्ते, तहसीलदार से मिले ग्रामीण

चकबंदी कार्य के दौरान लाल डोरा समस्या से परेशान गांव बिद्रावन के ग्रामीण सोमवार को बाढड़ा के तहसीलदार से मिले। ग्रामीणों ने ज्ञापन सौंपकर बताया कि बिद्रावन में चकबंदी का कार्य चल रहा है। जिसमें अब लाल डोरे के लिए जो निशानदेही की है वह खेतों की तरफ से निकाल दी है। जिसके चलते मकान मालिकों की जमीन दोगुनी लेकर खेतों के मालिकों के हिस्से में लगा दी गई है जो अनुचित है।

By JagranEdited By: Publish:Tue, 03 Aug 2021 08:43 AM (IST) Updated:Tue, 03 Aug 2021 08:43 AM (IST)
लाल डोरा में गलत निशानदेही का आरोप, खेतों में निकाले रास्ते, तहसीलदार से मिले ग्रामीण
लाल डोरा में गलत निशानदेही का आरोप, खेतों में निकाले रास्ते, तहसीलदार से मिले ग्रामीण

संवाद सहयोगी, बाढड़ा : चकबंदी कार्य के दौरान लाल डोरा समस्या से परेशान गांव बिद्रावन के ग्रामीण सोमवार को बाढड़ा के तहसीलदार से मिले। ग्रामीणों ने ज्ञापन सौंपकर बताया कि बिद्रावन में चकबंदी का कार्य चल रहा है। जिसमें अब लाल डोरे के लिए जो निशानदेही की है वह खेतों की तरफ से निकाल दी है। जिसके चलते मकान मालिकों की जमीन दोगुनी लेकर खेतों के मालिकों के हिस्से में लगा दी गई है जो अनुचित है। ग्रामीणों ने बताया कि पहले एसीओ द्वारा जो चकबंदी में लाल डोरे की निशानदेही की गई वह सही व दुरुस्त थी। बाद में चकबंदी अधिकारियों ने लाल डोरे की निशानदेही के लिए जो कम्प्यूटर ड्रोन का प्रयोग किया उसमें काफी अनियमितताएं हैं। लाल डोरे के लिए जो निशानदेही पत्थरों के आधार पर नहीं की गई है इससे ग्रामीण परेशान है। ग्रामीणों ने गुहार लगाई कि गांव के लाल डोरे के लिए निशानदेही पुराने समय में जो पत्थर लगाए हुए हैं उनके आधार पर करवाई जाए ताकि गांव में किसी प्रकार का कोई विवाद पैदा ना हो। ग्रामीणों ने कहा कि गांव में चकबंदी के तहत लाल डोरा अराजी की सही पैमाइश नहीं की गई है। गांव से पिचौपा खुर्द के लिए जो काकड़ लगती है उस पर कम से कम 3 से 4 एकड़ जमीन छोड़ी गई है। पिचौपा कलां से गांव से आने जाने के मार्ग में सात से आठ जगह मोड़ लगने से परेशानी होगी। उनके गांव में जो मुश्तरका कुंआ है जिनके खाते अलग है, उस पर आने जाने के लिए कोई मार्ग नहीं छोड़ा गया है।चकबंदी के दौरान छह मरला प्रति एकड़ के हिसाब से जमीन काटी जा रही है जबकि नियमानुसार यह पांच मरला होनी चाहिए। अधिकतर ग्रामीणों की आजीविका का साधन खेतीबाड़ी है। लेकिन कई जगहों पर तो खेतों में जाने के लिए रास्ता नहीं बचा है तो कहीं दोगुना रास्ता कर दिया गया है। इस दौरान हरके राम, महेंद्र सिंह, नफे सिंह, अनूप सिंह, अमीर सिंह, विजय सिंह, सोमबीर, नरेंद्र कुमार, बिजेंद्र, कुलवंत, सोमबीर पिचौपा, संजय, कृष्ण, सुमेर सिंह, राकेश कुमार, नवीन कुमार भी उपस्थित रहे।

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