जिले में 7547 एकड़ में फैला है वन क्षेत्र, और अधिक विस्तार की कवायद में जुटा विभाग

जागरण संवाददाता चरखी दादरी वन हमारी अमूल्य संपदा है। वनों का होना जीवन का संकेत है। जल

By JagranEdited By: Publish:Thu, 29 Jul 2021 10:45 AM (IST) Updated:Thu, 29 Jul 2021 10:45 AM (IST)
जिले में 7547 एकड़ में फैला है वन क्षेत्र, और अधिक विस्तार की कवायद में जुटा विभाग
जिले में 7547 एकड़ में फैला है वन क्षेत्र, और अधिक विस्तार की कवायद में जुटा विभाग

जागरण संवाददाता, चरखी दादरी : वन हमारी अमूल्य संपदा है। वनों का होना जीवन का संकेत है। जल और वृक्षों की रक्षा करना मानवीय अस्तित्व को कायम रखने का ही एक मजबूत पहलू है। जिले के उप-वन संरक्षक बलबीर सिंह खोखा ने दादरी की वन संपदा के बारे में जानकारी देते हुए ये शब्द कहे। उन्होंने बताया कि वर्तमान समय में दादरी का वन क्षेत्र तीन हजार 18.73 हेक्टेयर यानि 7547 एकड़ भूमि में फैला हुआ है। इस वन क्षेत्र का और अधिक विस्तार करने के लिए भरसक प्रयास किए जा रहे हैं। नागरिकों को पेड़ों की रक्षा करने में वन विभाग का सहयोग करना चाहिए। नागरिकों को पेड़ों की रक्षा करने में वन विभाग का सहयोग करना चाहिए। उन्होंने बताया कि आरक्षित वन क्षेत्र 35 हेक्टेयर भूमि में है। जिले में रेल मार्ग के दोनों ओर 117 हेक्टेयर, सड़क मार्ग के आसपास 780 हेक्टेयर, नहरों के दोनों तरफ 1808.42 हेक्टेयर, चकबांध के समीप 9.78 हेक्टेयर भूमि, भारतीय वन अधिनियम 1927 की धारा 38 के अंतर्गत विकसित किया गया वन क्षेत्र 81.129 हेक्टेयर, जोहड़, चारागाह, बणी इत्यादि में वन भूमि 112.047 हेक्टेयर, पंजाब संरक्षित भूमि अधिनियम की धारा 4 व 5 के के तहत सुरक्षित वन क्षेत्र 75.505 हेक्टेयर है। जिले में हैं 2.46 लाख पेड़

बलबीर सिंह खोखा ने बताया कि दादरी जिले में 16 हजार 969 कीकर के पेड़, 1887 शीशम के पेड़, 16 हजार 476 सफेदा के तथा दो लाख 11 हजार 320 पेड़ नीम, पीपल, बड़, जामुन इत्यादि अन्य प्रजातियों के हैं। जिले में पेड़ों की संख्या दो लाख 46 हजार 652 है। इन सभी वृक्षों को घेराव एक लाख 11 हजार 312.84 क्यूबेक मीटर का है। पेड़ लगाएं, वनों को रखें सुरक्षित

उप-वन संरक्षक ने बताया कि भारतीय वन अधिनियम की धारा 38 में वह वन क्षेत्र आता है, जिसे भूस्वामी स्वयं वन विभाग को 15 साल के लिए सौंपता है। रेतीले इलाके में भूमि कटाव को रोकने के लिए वृक्ष लगाए जाते हैं, जो कि 15 वर्ष तक विभाग के अधीन संरक्षित रहते हैं। बाद में इनका रखरखाव भूस्वामी स्वयं करता है। इसी प्रकार पंजाब भूमि सरंक्षण अधिनियम में वे सभी वृक्ष शामिल हैं जो आम रास्तों, घर, मंदिर, स्कूल, धर्मशाला के आसपास मौजूद हैं। इन पेड़ों को वन विभाग की अनुमति के बगैर काटा नहीं जा सकता। उप-वन संरक्षक ने कहा कि जीवन को बचाए रखने के लिए हमें वनों की देखभाल करनी चाहिए। वनों में अनेक जीव-जंतुओं का घर होता है। दूसरे के घर को उजाड़ कर अपना स्वार्थ सिद्ध करना प्रकृति के नियमों के विरूद्ध है। इसलिए पेड़ लगाएं और वनों को सुरक्षित रखें, यही हमारा ध्येय होना चाहिए।

chat bot
आपका साथी