पोस्टर व स्लोगन गतिविधियों के माध्यम से लोगों को फसलों के अवशेष जलाने के दुष्प्रभावों से कराया अवगत

इस संदर्भ में महाविद्यालय की प्राचार्या डा. राजवंती शर्मा ने संदेश देते हुए कहा कि युवा शक्ति ही समाज को सही दिशा निर्देश दे सकती है।

By JagranEdited By: Publish:Tue, 23 Nov 2021 05:30 PM (IST) Updated:Tue, 23 Nov 2021 05:30 PM (IST)
पोस्टर व स्लोगन गतिविधियों के माध्यम से लोगों को फसलों के अवशेष जलाने के दुष्प्रभावों से कराया अवगत
पोस्टर व स्लोगन गतिविधियों के माध्यम से लोगों को फसलों के अवशेष जलाने के दुष्प्रभावों से कराया अवगत

बहादुरगढ़, (विज्ञप्ति): शहर के वैश्य आर्य कन्या महाविद्यालय की आऊटरीच व महिला प्रकोष्ठ की प्रभारी डा. कुसुम के नेतृत्व में महाविद्यालय की छात्राओं ने पोस्टर व स्लोगन के माध्यम से परनाला गांव के लोगों को फसलों के अवशेष जलाने से पर्यावरण व स्वास्थ्य पर पड़ने वाले दुष्प्रभावों से अवगत कराया। इस संदर्भ में महाविद्यालय की प्राचार्या डा. राजवंती शर्मा ने संदेश देते हुए कहा कि युवा शक्ति ही समाज को सही दिशा निर्देश दे सकती है। आज बढ़ता पर्यावरण प्रदूषण वैश्विक समस्या का रूप धारण कर चुका है। किसानों के द्वारा चलाए जा रहे फसलों के अवशेष भी इसका एक अहम कारण हैं। इसलिए इस प्रकार के कार्यक्रमों का आयोजन किसानों को जागरूक करने में अहम भूमिका अदा करता है। फसलों के अवशेषों के सदुपयोग के लिए सरकार को इस दिशा में ठोस कदम उठाने चाहिए व इनके प्रबंधन के लिए ऐसे संयंत्र स्थापित किए जाने चाहिए जिससे इन अवशेषों को ईंधन व खाद के रूप में प्रयोग किया जा सके। महिला प्रकोष्ठ वह आउटरीच प्रोग्राम की प्रभारी डा. कुसुम ने छात्राओं को बताया कि नि:संदेह किसान पर्यावरण के सबसे बड़े रखवाले हैं। मगर किसान अज्ञानतावश फसलीय अवशेषों को सदुपयोग व उचित प्रबंधन के अभाव में वह इन्हें जलाकर नष्ट करने की गलती कर बैठते हैं, जिसके कारण पर्यावरण प्रदूषण को बढ़ावा मिलता है। वायु प्रदूषण से मानव जाति के स्वास्थ्य नकारात्मक प्रभाव स्पष्ट रूप से देखा जा सकता है। आज हम सभी को कर्तव्य है कि हम लोगों को फसली अवशेषों के सदुपयोग व प्रबंधन के बारे में जागरूक करें ताकि न केवल पर्यावरण की रक्षा हो बल्कि अवशेषों से किसानों को अतिरिक्त आय का भी लाभ मिले। इस अवसर पर आंगनवाड़ी कार्यकर्ता नीलम व गांव परनाला की महिलाएं उपस्थित रहीं।

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