कनेक्शन के बिना चालू नहीं हुआ गैस आधारित शवदाह गृह, यहां ठहरे हैं आंदोलनकारी, अंतिम संस्कार को जगह पड़ रही कम

- बेड की कमी के कारण दिल्ली के कोरोना संक्रमित बहादुरगढ़ के प्राइवेट अस्पतालों में करवा रहे उपचार

By JagranEdited By: Publish:Mon, 19 Apr 2021 06:50 AM (IST) Updated:Mon, 19 Apr 2021 06:50 AM (IST)
कनेक्शन के बिना चालू नहीं हुआ गैस आधारित शवदाह गृह, यहां ठहरे हैं आंदोलनकारी, अंतिम संस्कार को जगह पड़ रही कम
कनेक्शन के बिना चालू नहीं हुआ गैस आधारित शवदाह गृह, यहां ठहरे हैं आंदोलनकारी, अंतिम संस्कार को जगह पड़ रही कम

- बेड की कमी के कारण दिल्ली के कोरोना संक्रमित बहादुरगढ़ के प्राइवेट अस्पतालों में करवा रहे इलाज, मौत होने पर यहीं कराया जा रहा अंतिम संस्कार - दो दिन में कोरोना से मरने वालों चार लोगों का किया अंतिम संस्कार, रामबाग में कुंड पड़ रहे कम, जमीन पर दी जा रही उनकी चिता को अग्नि - बहादुरगढ़ में कोरोना से रविवार को हुई दो की मौत, दिल्ली निवासी राजकीय कालेज की पूर्व प्राचार्या इंदु कालिया का यहीं पर किया गया अंतिम संस्कार फोटो-15, 22, 23, 24 व 25: जागरण संवाददाता, बहादुरगढ़:

शहर के बस स्टैंड के पास स्थित रामबाग में करीब 67 लाख रुपये की लागत से बनाया गया गैस आधारित शवदाह गृह अब तक चालू नहीं हो सका है। एक तो इसमें आंदोलनकारी ठहरे हुए हैं और दूसरा अब तक यहां गैस कनेक्शन या सिलेंडर नहीं लिए जा सके हैं। शहर में कोरोना के साथ-साथ सामान्य मौतों का आंकड़ा ज्यादा होने पर रविवार को रामबाग में अंतिम संस्कार के लिए जगह कम पड़ गई। दो शवों का संस्कार जमीन पर ही किया गया। रामबाग नगर परिषद की ओर से कोरोना संक्रमितों की मौत होने पर उनके अंतिम संस्कार करने के लिए चयनित किया गया है। सेक्टर-9 व लाइनपार स्थित श्मशान घाट में भी कोरोना से मरने वालों का अंतिम संस्कार किया जा रहा है। मगर रामबाग में विशेष तौर पर गैस आधारित शवदाह गृह इसलिए बनाया गया था कि कोरोना संक्रमण से मरने वाले लोगों का यहां अंतिम संस्कार किया जा सके। दो दिन में 13 लोगों की मौत, कुंड कम पड़ने से दो का जमीन पर ही किया अंतिम संस्कार:

शहर के ज्यादातर लोग अपने किसी के मरने पर रामबाग में ही उसके अंतिम संस्कार के लिए आते हैं। शनिवार को पांच तो रविवार चार बजे तक आठ लोगों का अंतिम संस्कार यहां पर किया गया। इसमें एक शव कोरोना संक्रमित का रहा। यहां पर 11 कुंड बनाए गए हैं, जिनमें दो कुंड बिना छतरी के हैं। यहां पर दूसरे या तीसरे दिन फूल उठाए जाते हैं। ऐसे में कुंड खाली न होने से दो शवों का अंतिम संस्कार जमीन पर ही करना पड़ा। कोरोना संक्रमण से मरने वाली महिला के शव का संस्कार कुंड में इसलिए हो सका कि एक चिता से फूल कुछ देर पहले ही उठाए गए थे। बेड की कमी के कारण बहादुरगढ़ के अस्पतालों में इलाज करवा रहे दिल्ली वासी, मरने पर यहीं किया जा रहा अंतिम संस्कार:

कोरोना का संक्रमण दिल्ली के साथ-साथ अब बहादुरगढ़ में भी खूब फैल रहा है। यहां के प्राइवेट अस्पतालों में दिल्ली के मरीज भी भर्ती हो रहे हैं। बेड की कमी के कारण दिल्ली वासी कोरोना संक्रमित मरीज को यहां के अस्पतालों में भर्ती करा रहे हैं। कोरोना संक्रमित होने पर दिल्ली के पश्चिम विहार निवासी इंदु कालिया भी शहर के एक निजी अस्पताल भर्ती कराई गई थीं। रविवार को उनकी मौत हो गई। वे बहादुरगढ़ के राजकीय कालेज में प्राचार्या रह चुकी हैं। इससे पहले शनिवार को भी सेक्टर-9 के श्मशान घाट में कोरोना से मरने वाले दो लोगों के शव का अंतिम संस्कार किया गया था। इनमें से एक दिल्ली के झाड़ौदा का रहने वाला था, जो यहीं के अस्पताल में भर्ती था। 18 किलो गैस लगेगी एक शव के संस्कार में:

रामबाग में अब लकड़ी के स्थान पर सीएनजी, एलपीजी व पीएनजी से भी दाह संस्कार करने के लिए गैस आधारित शवदाह गृह बनाया गया है। इसका निर्माण हुए कई माह हो चुके हैं। पर्यावरण संरक्षण की दृष्टि के अलावा कोरोना संक्रमित किसी मरीज की मृत्यु होने पर उसका दाह संस्कार इसी शवदाह गृह में होना है। मगर नप अधिकारियों की लापरवाही और आंदोलनकारियों के यहां ठहरे होने के कारण अब तक इसे चालू नहीं किया जा सका है। एलपीजी-सीएनजी बेस्ड क्रिमेशन फर्नेस में एक शव के संस्कार में 18 किलो गैस का प्रयोग होगा। डेढ़ घंटे में संस्कार होने के बाद अस्थियां मिल जाएंगी। इस समय जो खुले में पुराने रीति रिवाज के अनुसार संस्कार होता है उसमें अस्थियां दो दिन बाद मिलती हैं। शहर में हैं तीन श्मशान घाट:

इस समय शहर में तीन श्मशान घाट हैं। एक बस स्टैंड के सामने, दूसरा नजफगढ़ रोड पर तथा तीसरा लाइनपार में परनाला के सरकारी स्कूल के पास। इन तीनों स्थानों पर फिलहाल लकड़ी से ही शवों का अंतिम संस्कार किया जाता है। सीएनजी, एलपीजी व पीएनजी आधारित मशीन पर दाह संस्कार होने से प्रदूषण कम होगा। वहीं लकड़ी से कोरोना संक्रमित व्यक्ति की मृत्यु के बाद उसका दाह संस्कार करने पर संक्रमण फैलने का खतरा है। इसीलिए शहरी स्थानीय निकाय विभाग ने कोरोना संक्रमित लोगों का आंकड़ा बढ़ने की वजह से मृत्यु की आशंका को देखते हुए प्रदेश के सभी शहरों में सीएनजी, एलपीजी या फिर पीएनजी से चालित मशीन से दाह संस्कार कराने का निर्णय लिया था और गैस आधारित शवदाह गृह बनाए गए थे। गैस आधारित शवदाह गृह में ठहरे हैं आंदोलनकारी, लगा रहता है ताला:सुरेंद्र चुघ

मोक्ष सेवा समिति के पदाधिकारी सुरेंद्र चुघ ने बताया कि गैस आधारित शवदाह गृह में आंदोलनकारी ठहरे हुए हैं। यहां पर वे ताला लगाकर कहीं पर चले जाते हैं। अगर ये गैस आधारित शवदाह गृह नगर परिषद की ओर से चलाया जाता है तो कोरोना से मरने वाले लोगों के शवों का अंतिम संस्कार करने में आसानी होगी। दूसरा शहर में ज्यादा मौत होने की स्थिति में जमीन पर अंतिम संस्कार करने के लिए मजबूर नहीं होना पड़ेगा। खाली करवा दूंगा: सतीश

रामबाग श्मशान सुधार समिति के प्रधान सतीश नंबरदार ने बताया कि श्मशान घाट के पुजारी के कोई जानकारी किसान यहां पर आकर ठहरे हुए हैं। कुछ यहां पर वाशरूम का प्रयोग करने के लिए आए थे। अगर कोई परेशानी है तो वे इसे तुरंत खाली करवा देंगे। वर्जन.

गैस आधारित शवदाह गृह बन चुका है। गैस सिलेंडर व बिजली कनेक्शन लिया जा रहा है। जल्द ही इसे चालू कर दिया जाएगा।

-दलबीर देशवाल, कनिष्ठ अभियंता, नगर परिषद।

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