पहले डीजल जनरेटर का विकल्प मुहैया कराया जाए, फिर लगे प्रतिबंध

साइबर सिटी के उद्यमियों का कहना है उद्योगों को पहले डीजल जनरेटर का विकल्प मुहैया कराया जाए इसके बाद इसके संचालन को प्रतिबंधित किया जाए।

By JagranEdited By: Publish:Tue, 29 Sep 2020 08:04 PM (IST) Updated:Wed, 30 Sep 2020 05:14 AM (IST)
पहले डीजल जनरेटर का विकल्प मुहैया कराया जाए, फिर लगे प्रतिबंध
पहले डीजल जनरेटर का विकल्प मुहैया कराया जाए, फिर लगे प्रतिबंध

जागरण संवाददाता, गुरुग्राम: साइबर सिटी के उद्यमियों का कहना है उद्योगों को पहले डीजल जनरेटर का विकल्प मुहैया कराया जाए, इसके बाद इसके संचालन को प्रतिबंधित किया जाए। यदि बिना विकल्प दिए ऐसा सख्त कदम उठाया जाता है कि यह औद्योगिक सेहत के लिए बड़ा ही हानिकारक होगा। इससे उद्योग जगत महासंकट की स्थिति में आ जाएगा। उद्यमियों को इस बात का भी मलाल है कि वायु प्रदूषण को लेकर हर बार उन्हें ही क्यों निशाना बनाया जाता है।

बता दें कि पर्यावरण प्रदूषण नियंत्रण एवं संरक्षण प्राधिकरण (ईपीसीए) की घोषणा के अनुसार 15 अक्टूबर से दिल्ली-एनसीआर क्षेत्र में डीजल जनरेटर का संचालन प्रतिबंधित कर दिया गया है। उद्यमी कह रहे हैं कि यदि उन्हें 24 घंटे दक्षिण हरियाणा बिजली वितरण निगम (डीएचबीवीएन) द्वारा गुणवत्तापूर्ण बिजली मुहैया कराई जाए तो उन्हें डीजल जनरेटर की आवश्यक्ता ही नहीं होगी। उद्यमियों द्वारा पिछले दो साल से औद्योगिक क्षेत्रों में किफायती दर पर पाइप्ड नेचुरल गैस (पीएनजी) की सुविधा देने की मांग की जा रही है। इसे लेकर प्रदेश सरकार की ओर से कोई कदम नहीं उठाया जा रहा है। इससे उद्योग जगत अपने भविष्य को लेकर सहमा हुआ है।

पिछले साल भी अक्टूबर में डीजल जनरेटर पर प्रतिबंध के साथ-साथ उन औद्योगिक इकाइयों को भी बंद कराया गया था जिनमें कोयले एवं बायोमास से बायलर का संचालन होता था। एक तरफ औद्योगिक क्षेत्रों में गुणवत्तापूर्ण 24 घंटे बिजली की आपूर्ति नहीं की जा रही है। न ही पीएनजी का बुनियादी ढांचा तैयार किया जा रहा है। ऐसी स्थिति में डीजल जनरेटर के संचालन पर प्रतिबंध लगाना तार्किक नहीं है।

पवन यादव, अध्यक्ष, आइएमटी इंडस्ट्रियल एसोसिएशन, मानेसर कोविड-19 महामारी के कारण उद्योगों की हालत ठीक नहीं है। ऐसी स्थिति में डीजल जनरेटर के संचालन को प्रतिबंधित करना उचित कदम नहीं है। इससे तो उद्योगों की आर्थिक हालत और खराब होगी। इस विषय में गंभीरता से विचार करने की जरूरत है।

मनोज जैन, निदेशक सुप्रीम रबर

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