ठंड दूर करने के लिए किसान जला रहे अलाव, आंदोलन स्थल पर कूड़े को लगाई जा रही आग, ऐसे में बढ़ा प्रदूषण का स्तर, औसतन एक्यूआइ पहुंचा 321

- बहादुरगढ़ बाईपास पर नगर परिषद की ओर से उठाया जा रहा है हर रोज 15 से 20 टन कूड़ा

By JagranEdited By: Publish:Sat, 23 Jan 2021 07:30 AM (IST) Updated:Sat, 23 Jan 2021 07:30 AM (IST)
ठंड दूर करने के लिए किसान जला रहे अलाव, आंदोलन स्थल पर कूड़े को लगाई जा रही आग, ऐसे में बढ़ा प्रदूषण का स्तर, औसतन एक्यूआइ पहुंचा 321
ठंड दूर करने के लिए किसान जला रहे अलाव, आंदोलन स्थल पर कूड़े को लगाई जा रही आग, ऐसे में बढ़ा प्रदूषण का स्तर, औसतन एक्यूआइ पहुंचा 321

- बहादुरगढ़ बाईपास पर नगर परिषद की ओर से उठाया जा रहा है हर रोज 15 से 20 टन कूड़ा

- मगर फिर भी जगह-जगह इस कूड़े को किया जा रहा है आग के हवाले, कई घंटे तक उठता रहता है धुआं फोटो-6 व 35: जागरण संवाददाता, बहादुरगढ़:

तीन कृषि कानूनों को रद करने की मांग को लेकर आंदोलन कर रहे किसान ठंड दूर करने के लिए अलाव का सहारा ले रहे हैं। साथ ही खाना बनाने के लिए बड़ी संख्या में किसान चूल्हा जला रहे हैं। इसके अलावा आंदोलन स्थल पर ही हर रोज थर्मोकोल की प्लेट व अन्य कूड़े को आग के हवाले किया जा रहा है। इससे क्षेत्र का प्रदूषण बढ़ रहा है। कूड़े व लकड़ियों के लगातार जलाए जाने से भारी मात्रा में धुआं हो रहा है। प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की ओर से शुक्रवार को भी एक्यूआइ लेवल औसत पीएम 2.5 का स्तर 321 दर्ज किया गया। यह रात के समय 400 माइक्रोग्राम को भी पार कर गया था। पीएम 10 का स्तर पर भी औसतन 211 रहा और अधिकतम 411 रहा। प्रदूषण का स्तर 100 माइक्रोग्राम से नीचे रहे तो स्वास्थ्य के लिए ठीक है। इससे ऊपर बढ़ने पर इसकी स्थिति खराब होने लगती है। 300 माइक्रोग्राम से ज्यादा प्रदूषण का स्तर होने पर यह स्वास्थ्य के लिए काफी घातक होता है। 15 किलोमीटर में ढाई से तीन हजार ट्रैक्टर-ट्रालियां, करीब 50 हजार किसान:

26 नवंबर को तीन कृषि कानूनों को लेकर किसानों ने आंदोलन शुरू किया था। तब से लेकर अब तक यहां पर किसान अपनी मांगों को लेकर डटे हुए हैं। बहादुरगढ़ बाईपास पर करीब 15 किलोमीटर क्षेत्र में आंदोलन स्थल बना हुआ है। यहां पर करीब ढाई से तीन हजार ट्रैक्टर-ट्रालियां हैं। इनमें करीब 50 हजार किसान मौजूद हैं। वर्जन..

बहादुरगढ़ की जनसंख्या करीब दो लाख है। यहां पर माइग्रेटिड जनसंख्या ज्यादा है। ऊपर से करीब 50 हजार किसान यहां ठहरे हुए हैं। किसान भी सुबह से लेकर शाम तक चूल्हा, अलाव आदि में लकड़ियां आदि जलाते हैं। कूड़ा भी कई स्थानों पर जलता रहता है। ऐसे में यहां का प्रदूषण का स्तर काफी बढ़ा हुआ है। 300 से ज्यादा एक्यूआइ काफी गंभीर होता है।

-संदीप सिंह, क्षेत्रीय अधिकारी, प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, बहादुरगढ़।

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