धुआं व धूल न फैलाएं और पर्यावरण सरंक्षण में भागीदार बनें: एसडीएम

- पराली व फसल अवशेषों को किसान बनाएं अपनी आय का स्त्रोत

By JagranEdited By: Publish:Tue, 23 Nov 2021 05:13 PM (IST) Updated:Tue, 23 Nov 2021 05:13 PM (IST)
धुआं व धूल न फैलाएं और पर्यावरण सरंक्षण में भागीदार बनें: एसडीएम
धुआं व धूल न फैलाएं और पर्यावरण सरंक्षण में भागीदार बनें: एसडीएम

बहादुरगढ़, (विज्ञप्ति): एसडीएम भूपेंद्र सिंह कहा कि शुद्ध वायु के लिए पर्यावरण सरंक्षण की मुहिम में सभी को अपनी-अपनी भागीदारी निभानी होगी। बढ़ते वायु प्रदूषण को कम करने के लिए सभी को धुआं व धूल फैलाने से बचना होगा। धुआं, धूल, जहरीली गैस वायु प्रदूषण के मुख्य कारक है। प्रशासन वायु प्रदूषण को कम करने के लिए निरंतर प्रयासरत है। किसान भी फसल अवशेष व पराली को आय का स्त्रोत बनाकर अपनी आय बढ़ाएं। कृषि विभाग द्वारा किसानों को पराली व फसल प्रबंधन के बारे में निरंतर जागरूक किया जा रहा है। किसान भाइयों को इसका लाभ उठाना चाहिए। पराली व फसल अवशेष प्रबंधन से किसानों की आय बढ़ेगी और जीवों के स्वास्थ्य सुरक्षा के लिए चलाए जा रही पर्यावरण सरंक्षण की मुहिम को बल मिलेगा। एसडीएम ने कहा कि फसल अवशेष जलाने से वातावरण में प्रदूषण की मात्रा बढ़ती है, जिससे जहां एक तरफ भूमि बंजर होती है वहीं वायु प्रदूषण से मानव जीवन व जीव जंतुओं पर भी संकट मंडराने लगता है। फसल अवशेषों में आग लगाने से हवा में प्रदूषण के छोटे-छोटे कणों से पीएम 2.5 का स्तर अत्यधिक बढ़ जाता है और सांस लेने में तकलीफ होती है। कोरोना संक्रमित रोगियों के लिए यह प्रदूषण और भी अधिक नुकसानदायक है। वहीं फसल अवशेष जलाने से पैदा हुए धुएं से अस्थमा व कैंसर जैसे रोगों को भी बढ़ावा मिलता है। उन्होंने कहा कि पराली को जलाने से भूमि में मौजूद कई उपयोगी बैक्टीरिया व कीट नष्ट हो जाते हैं वहीं मिट्टी की जैविक गुणवत्ता भी प्रभावित होती है। एसडीएम ने किसानों का आह्वान कि वे स्वयं फसल अवशेष प्रबंधन को अपनाएं और अन्य किसानों को भी जागरूक करें। उन्होंने कहा कि किसान राष्ट्रीय कृषि नीति की पालना करके पर्यावरण संरक्षण में अपना योगदान दे सकते हैं। उन्होंने कहा कि नागरिक सजगता का परिचय देते हुए पराली को न जलाएं बल्कि पराली के अवशेषों का उपयोग प्रभावी तरीके से करें। सामूहिक संकल्प से ही हम अपने क्षेत्र को प्रदूषण मुक्त बना सकते हैं।

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