गो सेवा से दूर हो सकती है राक्षसी प्रवृत्ति : स्वामी दिव्यानंद

अपने गुणों और आचरण से समर्पित होकर सेवा और बदले में कुछ भी न चाहना यह भाव श्री हनुमान जी का तो सदैव अनुकरणीय है।

By JagranEdited By: Publish:Wed, 06 Oct 2021 08:00 PM (IST) Updated:Wed, 06 Oct 2021 08:00 PM (IST)
गो सेवा से दूर हो सकती है राक्षसी प्रवृत्ति : स्वामी दिव्यानंद
गो सेवा से दूर हो सकती है राक्षसी प्रवृत्ति : स्वामी दिव्यानंद

जागरण संवाददाता, बहादुरगढ़ :

यह भारत भूमि का सौभाग्य है, जहां वशिष्ठ, नारद, उद्धव, भरत, गोपियां, मीरा बाई और तुलसी जैसे संत भक्त हुए, जो स्वयं भी ज्ञान भक्ति और कर्म योग की त्रिवेणी में स्नान करते रहे और शेष सभी को भी प्रेरित किया। अपने गुणों और आचरण से समर्पित होकर सेवा और बदले में कुछ भी न चाहना यह भाव श्री हनुमान जी का तो सदैव अनुकरणीय है। आज भक्ति ज्ञान के नाम पर आयोजन तो बहुत होते हैं, कितु भाव के नाम पर भावावेश समर्पण के नाम पर मनमर्जी बहुत चल रही है। जिसे विशुद्ध और अनन्य भक्ति कहा जा सकता है, वह नहीं है। निर्मल मन न होकर दंभ अधिक चल रहा है। भक्त कहलाए जाने वाले लोगों के भी मन वाणी और कर्म में भिन्नता दिखाई पड़ रही है। अपेक्षाओं से भरा हुआ प्रेम है। यदि अपेक्षा टूटी तो समझो प्रेम भी टूटा। यदि इन बातों पर विचार किया जाए तो कारण सामने आता है, व्यक्ति की आसुरी और राक्षसी वृत्ति। हम बाहर से कुछ भी भक्ति के नाम पर सजावट कर ले, मगर भीतर यदि आसुरी वृत्ति है तो हमारी प्रवृत्ति भी आसुरी होगी। इसे ठीक करने का एक ही उपाय है गोसेवा, गोदर्शन, स्पर्श और गाय के पंचगव्य का सेवन। केवल मानव देह या भावावेष ही पर्याप्त नहीं। हमारा आचरण भी शुभ हो। गोधन सेवा समिति द्वारा बादली रोड पर स्थित गो एवं वन्य जीव उपचार केंद्र में आयोजित गोपूजन एवं गोदान कार्यक्रम में गीता ज्ञानेश्वर गुरुदेव डा. स्वामी दिव्यानंद महाराज ने ये विचार व्यक्त किए। उन्होंने कहा कि इस गोकथा को केवल जानकारियां बढ़ाने की ²ष्टि से नहीं प्रेरणा प्राप्त करने के लिए लेना चाहिए। कृष्ण हो या उनकी गाय यह संबंध चितन करने योग्य है। हमारे देश के ऋषियों ने गोसेवा को प्रथम माना। इसे भारतीय जीवन का मूल्य माना। वैदिक संस्कृति में गो सेवा और गोदान बिना कुछ भी मंगल कार्य पूर्ण नहीं माने जाते। इस अवसर पर डा. नंदिनी मित्तल, दीपक बजाज, विनोद गर्ग, बलवान सिंह, आशुतोष सहरावत, पवन नागपाल, अजीत योगाचार्य, रीता, राजेश अनेजा, राम नागोरी, मंजू राजा जून, ऊषा दहिया, संजय गुप्ता, हरदिल मिलाप सभा, इशिका राठी, सुरेश, तरुण कौशिक, राजेश डबास, नरेश नंबरदार, जगदीश कौशिक, अमित नागर, अक्षित राठी, बलबीर सिंह, मनीष जिदल, अनुराधा ने गोदान किया।

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