ग्रामीण अंचल पर कहर बनकर टूट रही महामारी, बुखार से नहीं बच पा रहा कोई घर, मांडौठी, छारा, आसौदा में डरा रही मौत की रफ्तार

ग्रामीण अंचल पर महामारी कहर बनकर टूट रही है। बड़े गांवों में पिछले तीन सप्ताह से मौत का सिलसिला चल रहा है।

By JagranEdited By: Publish:Fri, 07 May 2021 07:10 AM (IST) Updated:Fri, 07 May 2021 07:10 AM (IST)
ग्रामीण अंचल पर कहर बनकर टूट रही महामारी, बुखार से नहीं बच पा रहा कोई घर, मांडौठी, छारा, आसौदा में डरा रही मौत की रफ्तार
ग्रामीण अंचल पर कहर बनकर टूट रही महामारी, बुखार से नहीं बच पा रहा कोई घर, मांडौठी, छारा, आसौदा में डरा रही मौत की रफ्तार

जागरण संवाददाता, बहादुरगढ़ :

ग्रामीण अंचल पर महामारी कहर बनकर टूट रही है। बड़े गांवों में पिछले तीन सप्ताह से मौत का सिलसिला चल रहा है। अनेक मामलों में कारण कोरोना नहीं माना जा रहा है, मगर मौत की यह रफ्तार डरा रही है। जीवित पीढि़यों में से किसी ने भी ऐसे हालात नहीं देखे थे। अस्पतालों में इलाज को लेकर व्यवस्था तो चरमराई हुई और निजी क्षेत्र की स्वास्थ्य सेवाओं में लूट मची है, मगर गांवों से भी कोरोना की टेस्टिग और बचाव नियमों के प्रति गंभीरता नहीं बरत रहे हैं। ज्यादातर गांवों में अब कोई घर ऐसा नहीं है जहां पर कई-कई सदस्य बीमार न हों। बहुत से ठीक हो चुके हैं और शेष अभी बिस्तर पर हैं। शासन-प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग के स्तर पर अभी तक ऐसे गांवों में निगरानी नहीं बढ़ाई गई है, जहां पर महामारी का प्रकोप ज्यादा है। हालांकि बहुत से ग्रामीण इस प्रकोप को केवल कोरोना नहीं मान रहे हैं और शायद यही लापरवाही भारी भी पड़ रही है। गांवों में अभी भी लोग बचाव के नियमों का पालन नहीं कर रहे हैं। मगर शासन-प्रशासन के स्तर पर भी निगरानी कुछ नहीं है। इसी से संक्रमण फैल रहा है। एक अनुमान यह भी लगाया जा रहा है कि जिन गांवों के लोगों की आंदोलन स्थल पर या दिल्ली में आवाजाही ज्यादा रही है, उनके जरिये गांवों में संक्रमण ज्यादा बढ़ा है। क्षेत्र के इन तीन गांवों से भी काफी लोग दिल्ली और आंदोलन स्थल पर खूब जाते-आते रहें हैं। पिछले दिनों पंजाब में कोरोना संक्रमण ज्यादा फैल चल चुका है और वहां से किसानों की आवाजाही बराबर रही है। इस तर्क को आंदोलनकारियों द्वारा खारिज भले ही किया जाए, मगर स्वास्थ्य विशेषज्ञों का मानना है कि इतनी तेजी से संक्रमण एक-दूसरे के ज्यादा संपर्क में रहने और बचाव उपाय न अपनाने के कारण ज्यादा फैलता है। जरूरी नहीं है अगर कोई पॉजीटिव है और उसे लक्षण नहीं दिख रहे तो वह दूसरों तक इस संक्रमण को फैलाने की वजह बन सकता है।

यह है स्थिति :

1. छारा गांव में लगभग 20 हजार की आबादी और चार हजार के आसपास घर हैं। यहां पर अखाड़ा संचालक वीरेंद्र पहलवान ने बताया कि गांव के ज्यादातर घरों में लोग बीमार हैं। पिछले तीन सप्ताह में 25 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है। ज्यादातर में बुखार ही वजह बना। इनमें कुछ बुजुर्ग, कुछ अधेड़ उम्र के हैं। गांव में रोजाना हवन यज्ञ किया जा रहा है। ताकि वातावरण शुद्ध हो।

2. मांडौठी गांव में साढ़े तीन हजार के आसपास घर है और 15 हजार आबादी है। यहां के निवासी आनंद ने बताया कि पिछले करीब तीन सप्ताह में 30 के आसपास मौत हो चुकी हैं। शायद एक भी घर ऐसा नहीं है जिसमें कोई बीमार नहीं हुआ हो। कुछ ठीक हो चुके हैं। बाकी को अभी भी बुखार है।

3. आसौदा गांव में दो पंचायत की मिलाकर चार हजार के आसपास घर हैं और लगभग 14 हजार की आबादी है। समाजसेवी राजपाल आर्य ने बताया कि पिछले तीन सप्ताह के अंदर यहां पर 25 के आसपास मौत हो चुकी हैं। हर घर में कई-कई सदस्य बीमार हो चुके हैं। यहां पर आर्य समाज की ओर से रोजाना हवन-यज्ञ रथ घुमाया जा रहा है। ताकि गांव का वातावरण शुद्ध हो सके। गांव के रोहताश, सुनील कुमार, संदीप कुमार, सतबीर भारद्वाज व आर्य समाज से जुड़े लोग ग्रामीणों को वैदिक रीति से जीवन जीने को प्रेरित कर रहे हैं।

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