टीकरी बॉर्डर की सभा में पहले रोजाना जुटते थे 500 किसान, अब 200 तक सिमटी संख्या
दिल्ली के बॉर्डरों पर कृषि कानूनों के खिलाफ पांच माह से ज्यादा समय से चल रहे आंदोलन के बीच अब कोरोना संक्रमण और जरूरी चीजों की कमी का असर सभा में भी दिख रहा है।
जागरण संवाददाता, बहादुरगढ़ :
दिल्ली के बॉर्डरों पर कृषि कानूनों के खिलाफ पांच माह से ज्यादा समय से चल रहे आंदोलन के बीच अब कोरोना संक्रमण और जरूरी चीजों की कमी का असर सभा में भी दिख रहा है। यहां सभा में उपस्थिति अब आधे से कम रह गई है। आमतौर पर टीकरी बॉर्डर पर रोजाना सभा में 500 से ज्यादा किसान शामिल होते रहे हैं, लेकिन अब यह संख्या अधिकतम 200 तक पहुंच रही है। मंच पर भी अब पहले की तरह जमघट नहीं है। भाषण देने के लिए पहले तो वक्ता यहां पर दिनभर पहुंचते थे लेकिन अब कोरोना को लेकर लॉकडाउन है। ऊपर से यह खतरनाक संक्रमण कब किस को अपनी चपेट में ले ले, कुछ पता नहीं। शायद इसीलिए यहां सभा में भीड़ कम जुट रही है। काफी आंदोलनकारी मंच से तो कोरोना को लेकर पहले की तरह ही बेतुकी बातें कर रहे हैं लेकिन जिस तरह से कोरोना वायरस जानलेवा साबित हो रहा है उससे काफी आंदोलनकारियों में खौफ भी है। मगर इसे कोई जाहिर नहीं कर रहा है। पिछले दिनों कुछ नेताओं ने किसानों से गर्म पानी का सेवन करने की अपील की थी। अब रोजाना आंदोलन के मंच से पंजाब व हरियाणा के किसानों से बॉर्डर पर पहुंचकर मोर्चे को मजबूत करने का आह्वान किया जा रहा है। टीकरी बॉर्डर पर सबसे ज्यादा उपस्थिति पंजाब की भारतीय किसान यूनियन एकता उगराहा की है। इस संगठन की ओर से अलग से आंदोलन स्थल के नया गांव चौक पर सभा चलाई जा रही है। जब भी कोई विशेष आयोजन होता है तो संगठन की ओर से आह्वान के बाद पंजाब से काफी महिला और पुरुष किसान यहां पहुंचते हैं। यह संगठन अब बॉर्डर पर भीड़ जुटाने की कवायद में जुट गया है।