डेंगू रिपोर्ट के लिए आठ दिनों का इंतजार, तीन स्थाई लैब टैक्नीशियन के भरोसे अस्पताल
जागरण संवाददाता, अंबाला शहर : 119 मरीजों को जिला नागरिक अस्पताल में बेशक डेंगू की पुष्टि की है। मरीजों को टेस्ट के लिए धक्के खाने पड़ रहे हैं।
जागरण संवाददाता, अंबाला शहर : 119 मरीजों को जिला नागरिक अस्पताल में बेशक डेंगू की पुष्टि कर दी गई लेकिन अभी भी स्वास्थ्य विभाग डेंगू को लेकर गंभीर नहीं है। अलबत्ता मरीजों की जान यहां आफत में है। डेंगू का डंक लगातार बढ़ता जा रहा है लेकिन जिला नागरिक अस्पताल में आने वाले मरीजों को रिपोर्ट के लिए आठ दिनों तक का इंतजार कराया जा रहा है। क्योंकि अस्पताल में केवल तीन ही स्थाई लैब टैक्नीशियन हैं। अनुबंध आधार पर चार स्वीकृत पदों में से तीन पर ही कर्मी कार्यरत हैं। स्थिति की गंभीरता का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि अस्पताल में आपरेशन थियेटर में 10 पद सहायकों के स्वीकृत हैं लेकिन इनमें से छह खाली हैं। सीनियर मेडिकल अधिकारी के कुल 5 पद हैं लेकिन इनकी एवज में 8 सीनियर मेडिकल अधिकारी यहां सेवाएं दे रहे हैं यानी 3 पद सरप्लस हैं।
बिना टेस्ट के रोजाना 130 से ज्यादा मरीज लौट रहे खाली हाथ..
जिला नागरिक अस्पताल में रोजाना औसतन एक हजार टेस्ट लैब में होते हैं लेकिन कर्मचारियों की पर्याप्त संख्या नहीं होने के कारण मरीजों को टेस्ट तक के लिए अब लंबा इंतजार कराया जा रहा है। डेंगू के संदिग्ध केस के सैंपल तो प्रतिदिन लिए जा रहे हैं लेकिन उन सैंपल को सप्ताह में सोमवार के दिन ही लगाया जाता है। सैंपल लगाने के 24 घंटे बाद टेस्ट की रिपोर्ट आती है। इस तरह जिसने सोमवार को टेस्ट दिया उसे 8 दिनों का इंतजार रिपोर्ट के लिए करना पड़ रहा है। वहीं दूसरी ओर कर्मचारियों की कमी के चलते ओपीडी के जरिए आने वाले महज 70 मरीजों के रोजाना टेस्ट किए जा रहे हैं। रोजाना करीब 200 से ज्यादा मरीज ऐसे हैं जिन्हें ओपीडी से टेस्ट के लिए लैब में भेज दिया जाता है। इस तरह 130 या इससे ज्यादा मरीज रोजाना बिना टेस्ट कराए वापस लौटने को मजबूर हैं।
ट्रामा सेंटर में आज तक नहीं बन पाई लैबारेट्री
जिला नागरिक अस्पताल को 200 से 300 बेड का करने का दावा किया जा रहा है लेकिन 200 बेड के अस्पताल के लायक भी आज तक यहां सुविधाएं नहीं है। स्थिति का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि चार साल से अंबाला का स्वास्थ्य मंत्री होने के बाद उन्हीं के अस्पताल के ट्रामा सेंटर में आज तक लैबोरेट्री नहीं बन पाई। जबकि यहां कागजों में लैबोरेट्री दिखाई गई है। इसी तरह ट्रामा सेंटर की लैब में चार स्थाई पद स्वीकृत किए गए हैं लेकिन यहां पर एक ही स्थाई कर्मी है। ऐसे में ट्रामा सेंटर का सारा लोड अस्पताल की लैब पर ही पड़ता है।
ट्रामा सेंटर में नहीं कोई भी सर्जन
आपातकालीन स्थिति में आने वाले मरीजों के लिए ट्रामा सेंटर में कोई सुविधा नहीं है। स्थिति की गंभीरता का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि यहां पर एक भी जनरल सर्जन नहीं है जबकि ट्रामा सेंटर में दो पद सर्जन के स्वीकृत हैं जरूरत तीन की है क्योंकि एक को छुट्टी पर भी जाना पड़ सकता है।
हड्डी टूटने पर अनुबंध पर लगे चतुर्थ श्रेणी कर्मी लगा रहे प्लास्टर
यदि आपकी हड्डी टूट गई है और इलाज के लिए जिला नागरिक अस्पताल में जाने का इरादा है तो थोड़ा सोचकर जाएं क्योंकि यहां पर अनुबंध आधार पर कार्यरत कर्मियों से ही डाक्टर प्लास्टर लगवा रहे हैं क्योंकि प्लास्टर टैक्नीशियन के दो पद स्वीकृत हैं और दोनों ही खाली हैं। इसी तरह एक भी डाइटीशियन यहां नहीं है। जबकि दो पद स्वीकृत हैं।
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जानिए जिला नागरिक अस्पताल में कहां-कहां कितने पद खाली
- मेडिकल अधिकारी 10 पद रिक्त हैं, शेष 45 में से भी तीन डेपुटेशन पर चल रहे हैं।
- सीनियर फार्मासिस्ट का एक पद स्वीकृत है वही खाली है।
- फार्मासिस्ट के 10 स्वीकृत पदों में से 9 रिक्त हैं।
- ईसीजी टेक्नीशिनयन के 3 पदों में से एक ही कार्यरत है।
- स्टाफ नर्स के 90 स्वीकृत पदों में से 33 खाली हैं।
------------------ लैब टेक्नीशियन की कमी चल रही है। इसी कारण निर्धारित मरीजों के ही टेस्ट कर पा रहे हैं। दूसरे स्टाफ की भी काफी कमी है। इस बारे में विभाग से कई बार पत्राचार कर चुके हैं। उम्मीद है कि जल्द ही स्टाफ की भर्ती होगी।
डॉ. मलकीत, पीएमओ।