मंदी का असर, इस बार भी नहीं बढ़े जिला में कलेक्टर रेट

कोरोना काल का अर्थव्यवस्था पर पड़े असर के चलते 2021-22 में जमीनों के कलेक्टर नहीं बढ़ाए जाएंगे। रियल इस्टेट में आई मंदी के चलते लोग प्रापर्टी टैक्स घटाने के पक्ष में हैं।

By JagranEdited By: Publish:Thu, 21 Jan 2021 07:48 AM (IST) Updated:Thu, 21 Jan 2021 07:48 AM (IST)
मंदी का असर, इस बार भी नहीं बढ़े जिला में कलेक्टर रेट
मंदी का असर, इस बार भी नहीं बढ़े जिला में कलेक्टर रेट

जागरण संवाददाता, अंबाला : कोरोना काल का अर्थव्यवस्था पर पड़े असर के चलते 2021-22 में जमीनों के कलेक्टर नहीं बढ़ाए जाएंगे। रियल इस्टेट में आई मंदी के चलते लोग प्रापर्टी टैक्स घटाने के पक्ष में हैं। यदि कलेक्टर रेट बढ़ जाते हैं, तो लोगों को रजिस्ट्री करवाते समय स्टांप ड्यूटी अधिक देनी होगी, जिससे लोगों पर आर्थिक बोझ बढ़ जाएगा। यही कारण है कि जिला प्रशासन ने आर्थिक बोझ न बढ़े इसलिए कलेक्टर रेट पिछले साल जैसे ही रखे हैं। डीसी अशोक कुमार ने पच्चीस जनवरी तक लोगों को कलेक्टर रेट पर सुझाव और आपत्तियां मांगी हैं। प्रशासनिक वेबसाइट अंबाला डॉट जीओवी डॉट इन पर अपलोड कर दिए गए हैं। एक अप्रैल से यह कलेक्टर रेट लागू कर दिए जाएंगे। प्रशासन ने डिस्ट्रिक्ट रेवेन्यू आफिस अंबाला एट-द-रेट याहू डॉट कॉम की ईमेल भी सार्वजनिक कर दी है। हालांकि मार्केट से कलेक्टर रेट की बात करें, तो अभी भी प्रापर्टी एक तिहाई पर ही कलेक्टर रेट हैं। छावनी हो या शहर जहां पर मौजूदा पार्टी की खरीद फरोख्त हो रही है, वहां कलेक्टर रेट कई गुणा कम है। उदाहरण के लिए यदि किसी जगह पर कलेक्टर रेट 5500 प्रति वर्ग गज है, लेकिन वहां पर मौजूदा समय में खरीद या बेच दस से पंद्रह हजार रुपये प्रति वर्ग गज हो रही है। यानी कि प्रापर्टी के कारोबार में स्पष्ट है कि जमीनों की खरीद फरोख्त में स्टांप ड्यूटी की चोरी हो रही है। बावजूद इसके जिला प्रशासन लोगों पर और बोझ न बढ़े इसके लिए इस बार कलेक्टर रेट नहीं बढ़ाए गए हैं।

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हर गांव का कलेक्टर रेट अलग

जमीनों के कलेक्टर रेट तय करने का सबसे बड़ा फायदा यह होगा कि जो कलेक्टर रेट तय हो जाएंगे, उससे कम पर जमीनों की रजिस्ट्री नहीं हो सकेंगी। अभी तक होता यह है कि उदाहरण के लिए यदि किसी ने अपनी जमीन पांच लाख रुपये की बेची है तो वह उसे कागजों में मात्र दो लाख रुपये की शो करता है और उसकी रजिस्ट्री कराता है। इससे सरकार को राजस्व का भारी नुकसान होता है। जमीनों के कलेक्टर रेट तय होने के बाद सरकार उससे कम पर किसी जमीन की रजिस्ट्री नहीं करेगी। अधिक रेट पर भले ही रजिस्ट्री कराई जा सकती है।

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प्रापर्टी के दाम काफी घट गए हैं और ऐसे में कलेक्टर रेट भी कम होने चाहिएं। दूसरी ओर जो कलेक्टर रेट अब तय किए गए हैं उसके लिए बनाई कमेटी में सत्ता पक्ष के ही सदस्य शामिल किए गए, जबकि विपक्ष का कोई नेता नहीं था।

- ओंकार सिंह, प्रदेश प्रवक्ता इनेलो

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नोटबंदी, जीएसटी और कोरोना काल के बाद कारोबार बुरी तरह से ठप पड़ा है। ऐसे में कलेक्टर रेट कम किए जाने चाहिए थे, जो नहीं किए गए।

- ओंकारनाथ परुथी, चीफ पैटर्न, रीयल इस्टेट एंड बिल्डर्स एसोसिएशन अंबाला

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