सैटेलाइट एक्टिव, पराली जलाने पर कैमरे में कैद होंगी गतिविधियां

जिले में सैटेलाइट एक्टिव कर दिया गया है। कहीं पराली जली तो इसकी गतिविधियां कैमरे में कैद होंगी और बीडीओ को लोकेशन पहुंच जाएगी। इसके बाद कार्रवाई अमल में लाई जाएगी।

By JagranEdited By: Publish:Fri, 24 Sep 2021 08:33 PM (IST) Updated:Fri, 24 Sep 2021 08:33 PM (IST)
सैटेलाइट एक्टिव, पराली जलाने पर कैमरे में कैद होंगी गतिविधियां
सैटेलाइट एक्टिव, पराली जलाने पर कैमरे में कैद होंगी गतिविधियां

- जिले के नौ गांव पराली जलाने के मामले में रेड जोन में शामिल

जागरण संवाददाता, अंबाला : पराली को लेकर सुप्रीम कोर्ट सख्त है। सरकार नहीं चाहती कि किसी किसान पर कार्रवाई हो, इसलिए बेहतर होगा कि पराली न जलाई जाए। जिले के 408 गांवों के खेतों पर सैटेलाइट की पैनी नजर रहेगी। अंबाला के नौ गांव रेड जोन में शामिल किए गए हैं। जिले के किसी भी गांव में अगर जमींदार ने पराली में आग लगाई तो सैटेलाइट अपने कैमरे में फुटेज और फोटो कैद करेगा। इसके बाद कंट्रोल रूम से लोकेशन के साथ मैसेज कृषि विभाग और संबंधित बीडीओ को जाएगा। मैसेज रिसीव होते ही कृषि विभाग के अलावा ब्लाक की टीम मौके पर पहुंचकर मुआयना करेगी। जिस किसी भी जमींदार के खेतों में पराली जलाई मिली तो उसके खिलाफ कार्रवाई के साथ जुर्माना वसूल करने की कार्रवाई होगी। हरियाणा में अगेती धान की कटाई शुरू हो चुकी है। पूसा 1509 किस्म की धान एक सप्ताह से कट रही है। कई किसान धान कटने के बाद अपने खेत में दूसरी फसल उगाने के लिए पराली जलाने लगे हैं। अभी इक्का-दुक्का जगह ही यह घटनाएं होने लगी हैं। अक्टूबर में दूसरी किस्मों की कटाई भी शुरू हो जाएगी। उसके बाद अगर पराली जलने से नहीं रोकी गई तो यह घातक रूप ले लेगी। अक्टूबर में रातें ठंडी होने से तापमान में भी गिरावट आएगी। ठंड के दिनों में वैसे ही प्रदूषण का स्तर काफी बढ़ जाता है।

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ये लगेगा जुर्माना

पांच एकड़ से अधिक क्षेत्र में पराली जलाने पर 15 हजार रुपये तक जुर्माना हो सकता है। दो एकड़ क्षेत्र से कम पर 2500 रुपये और दो से पांच एकड़ क्षेत्र में पराली जलाने पर पांज हजार रुपये तक जुर्माना हो सकता है। इसलिए बेहतर है कि किसान जनहित में पराली न जलाएं।

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पराली जलाने से दूषित होता है वातावरण

प्रत्येक वर्ष धान के फसल की कटाई के मौसम में दिल्ली-एनसीआर के जिलों में एक्यूआइ खराब होता है। ऐसे में दिल्ली सरकार हरियाणा और पंजाब के जमींदारों को इसके लिए ज्यादा दोषी मानती है। पूर्व में लग चुके ऐसे आरोपों को ध्यान में रखते हुए इस बार राज्य सरकार कोई चूक नहीं करना चाहती है।

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कोरोना से मिलकर खेल बिगाड़ सकता है पराली का धुआं

डाक्टरों के अनुसार भले ही इस समय कोरोना की रफ्तार धीमी है। यदि इस बीच पराली का धुआं आया तो कोरोना संक्रमण का दायरा बढ़ सकता है। पराली के धुएं से पीएम 10, पीएम 2.5, पीएम एक के साथ बैंजीन, कार्बन डाई आक्साइड, कार्बन मोनो आक्साइड जैसी कई हानिकारक गैसें निकलती हैं, जो फेफड़ों व हृदय को नुकसान पहुंचाती हैं। लोगों को अगले कुछ महीने ज्यादा एहतियात बरतनी होगी।

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