अंबाला में अभिभावकों ने स्कूल में फीस वृद्धि का किया विरोध

खतौली के पास एंजिल स्कूल में अभिभावकों ने शनिवार को जमकर नारेबाजी की। अभिभावक ने रोष जताते हुए कहा कि बचे घर में हैं और इसके बावजूद स्कूल संचालक वार्षिक फीस के लिए मैसेज भेज रहे हैं।

By JagranEdited By: Publish:Sun, 13 Jun 2021 06:50 AM (IST) Updated:Sun, 13 Jun 2021 06:50 AM (IST)
अंबाला में अभिभावकों ने स्कूल में फीस वृद्धि का किया विरोध
अंबाला में अभिभावकों ने स्कूल में फीस वृद्धि का किया विरोध

जागरण संवाददाता, अंबाला शहर : खतौली के पास एंजिल स्कूल में अभिभावकों ने शनिवार को जमकर नारेबाजी की। अभिभावक ने रोष जताते हुए कहा कि बच्चे घर में हैं और इसके बावजूद स्कूल संचालक वार्षिक फीस के लिए मैसेज भेज रहे हैं। जबकि मासिक फीस में भी 500 रुपये तक बढ़ोतरी कर दी। जबकि आनलाइन में डेढ़ घंटा तक ही क्लास लगायी जाती है।

मोहम्मद आजम ने कहा कि ट्यूशन फीस तो दी जा रही थी, लेकिन स्कूल ने वार्षिक फीस भी मांगनी शुरू कर दी हैं। जबकि ऑनलाइन ढंग से पढ़ाई नहीं करवायी जा रही। इससे परेशान होकर ही एकत्रित हुए हैं। उन्होंने बताया कि परेशान होकर अभिभावकों ने बच्चों के नाम तक कटवा दिए हैं।

जडोत के कमलजीत सिंह ने बताया कि कोरोना के कारण पहले से परेशान हैं। तभी से बच्चे घर बैठे हैं और हमारे पास भी कोई काम-धंधा नहीं है। लेकिन उनके पास स्कूल से रोजाना काल कर दी जाती है कि वार्षिक चार्ज भरो। जबकि इस समय न तो बिल्डिग इस्तेमाल की जा रही है और न ही बिजली की खपत है।

अभिभावक ने बताया कि अगर स्कूल में बच्चे आए ही नहीं तो किस कारण वार्षिक फीस दी जाए। इसके अलावा फीस में भी 500 रुपये फीस बढ़ोतरी कर दी गई है। जिन अभिभावकों ने फीस भर दी और जिन्होंने नहीं भरी, उन बच्चों को पढ़ाने के लिए अलग से ग्रुप बना दिए हैं। उसी मुताबिक पढ़ाई करवायी जा रही है। जून में एक तरफ छुट्टियां चल रही हैं और इसके बाद भी एनुअल फीस मांगी जा रही है।

हरप्रीत कौर ने बताया कि वह तीन दिन से आ रहे हैं, पिछले साल 1100 फीस थी लेकिन इस बार 1500 रुपये मांगी जा रही है। जबकि फोन चार्ज भी खुद ही करवाना पढ़ रहा। स्कूल बंद होने पर भी कंप्यूटर के चार्ज लिए जा रहे हैं। सुखजीत कौर ने बताया कि पिछले साल यूकेजी की फीस 1140 थी और अब 1500 हो गई। फीस भरने वाले बच्चों को ही नए ग्रुप में जोड़ा जाता है। पूरे दिन में महज डेढ़ घंटा ही क्लास लगती है। स्कूल की ओर से फीस की कच्ची रसीद दी जाती है। जबकि स्कूलों के आडिट को लेकर कोई कार्रवाई नहीं हो रही।

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