बढ़ने की बजाय घट रही रोडवेज बसों की संख्या
जिले की आबादी 14 लाख तक पहुंच गई परंतु अंबाला रोडवेज डिपो में बसों की संख्या बढ़ने की बजाय लगातार घट रही। मौजूदा समय में डिपो में 139 बसें ही जबकि यहां 250 बसों का फ्लीट है। पिछले तीन सालों में डिपो में एक भी नई बस नहीं आई जबकि यहां जमकर बसों का टोटा है। अभी हाल में 23 बसों को कंडम घोषित कर नीलामी कर दी गई है।
जागरण संवाददाता, अंबाला शहर : जिले की आबादी 14 लाख तक पहुंच गई, परंतु अंबाला रोडवेज डिपो में बसों की संख्या बढ़ने की बजाय लगातार घट रही। मौजूदा समय में डिपो में 139 बसें ही जबकि यहां 250 बसों का फ्लीट है। पिछले तीन सालों में डिपो में एक भी नई बस नहीं आई, जबकि यहां जमकर बसों का टोटा है। अभी हाल में 23 बसों को कंडम घोषित कर नीलामी कर दी गई है। इसके अलावा कई बसें अभी भी ऐसी हैं जिनकी हालत सही नहीं, बसों की कमी होने के चलते उन्हें मरम्मत कर काम चलाऊ किया जा रहा। इसके अलावा डिपो में कर्मचारियों की संख्या भी 1100 से करीब 700 पर आकर टिक गई है। इनमें से भी 20 फीसद कर्मचारी ऐसे हैं जो रिटायरमेंट के कगार पर हैं। ऐसे में डिपो में कर्मचारियों की संख्या और कम हो जाएगी।
----------- सालाना 50 करोड़ की टर्नओवर
बता दें अंबाला डिपो की लगभग 50 करोड़ की टर्नओवर है। इसके बाद भी डिपो के बुरे हाल हैं। बसों की संख्या कम होने का जबरदस्त असर डिपो की रिसीट पर पड़ा है। रोजाना की जो रिसीट 15 से 16 लाख रुपये थी, अब 13 से 14 लाख रुपये आ रही है। ऐसे में डिपो को सालाना लगभग साढ़े दो करोड़ रुपये का नुकसान झेलना पड़ रहा है।
-------- 20 हजार से अधिक यात्री कर रहे सफर
बताया जा रहा है रोडवेज डिपो की बसों में रोजाना 20 हजार से अधिक यात्री सफर कर रहे हैं, लेकिन बसों की संख्या कम होने से दिक्कतें झेलनी पड़ रही हैं। ऐसे में उन्हें अपने गंतव्य तक जाने के लिए प्राइवेट व मैक्सी कैब पर निर्भर होना पड़ रहा है। बता दें रोडवेज विभाग 15 लाख किलोमीटर तक दौड़ चुकी बसों को रिटायर कर देता है। जबकि पहले साढ़े सात लाख किलोमीटर चलने पर बस की मियाद खत्म हो जाती थी। लेकिन आधुनिक तरह की पार्ट लगे होने के चलते इनकी मियाद को बढ़ा दिया गया है।