लापरवाही से उठा पर्दा: 28 दिन तक भूख से तड़पकर घोड़े ने तोड़ा था दम, 3 पर गिरेगी गाज

6 अप्रैल 2017 को पकड़ा था घोड़ा, 8 मई 2017 में मौत के बाद ही मुक्त हो पाया घोड़ा, 28 दिन नहीं दिया चारा व पानी, 4 कर्मियों को किया था सस्पेंड, 18 माह चली मामले की जांच

By JagranEdited By: Publish:Sun, 18 Nov 2018 01:45 AM (IST) Updated:Sun, 18 Nov 2018 01:45 AM (IST)
लापरवाही से उठा पर्दा: 28 दिन तक भूख से तड़पकर घोड़े ने तोड़ा था दम, 3 पर गिरेगी गाज
लापरवाही से उठा पर्दा: 28 दिन तक भूख से तड़पकर घोड़े ने तोड़ा था दम, 3 पर गिरेगी गाज

उमेश भार्गव, अंबाला शहर

नगर निगम कर्मचारियों की लापरवाही से 8 मई 2017 को हुई घोड़े की मौत के मामला 18 माह बाद जांच पूरी हो गई है। जांच कमेटी ने पाया कि 30 दिन में घोड़े को महज दो दिन ही चारा डाला गया था। शेष 28 दिन वह भूखा प्यासा रहा। इसी कारण भूखे-प्यास घोड़े ने तड़प-तड़प कर दम तोड़ा। जांच कमेटी ने अपनी रिपोर्ट डीसी शरणदीप कौर बराड़ के सुपुर्द कर दी है और डीसी ने इस रिपोर्ट को निदेशालय के पास भेज दिया था। रिपोर्ट में सेनेटरी इंस्पेक्टर सुनीलदत्त और विनोद बेनीवाल को क्लीन चिट दी गई है जबकि सफाई कर्मी जगमाल और दरोगा राजकुमार सहित दर्शन को घोड़े की मौत का जिम्मेदार ठहराते हुए इनके खिलाफ कार्रवाई की सिफारिश की गई है। ऐसे में अब इन कर्मचारियों का फंसना तय है। साथ ही तीनों पर पुलिस कार्रवाई भी होनी तय मानी जा रही है। क्योंकि पुलिस भी इस मामले में विभागीय जांच रिपोर्ट का इंतजार कर रही थी। क्या था पूरा मामला

दरअसल, छह अप्रैल 2017 को अंबाला शहर में एक घोड़ा मदमस्त हो गया था। इसी कारण घोड़े ने कई लोगों को जख्मी कर दिया था। इसके बाद नगर निगम कर्मियों ने इसे पकड़ा और पशुपालन विभाग की टीम के सहयोग इस मदमस्त हुए घोड़े को छावनी के दमकल विभाग के पास खाली प्लाट में निगम कर्मचारियों ने बांध दिया था। 7 मई तक यह घोड़ा वहीं बंधा रहा किसी ने उसे न तो चारा डाला न पानी पिलाया। इस तरह 8 मई 2017 को घोड़े ने दम तोड़ दिया था। दैनिक जागरण ने इस मामले को प्रमुखता से प्रकाशित किया था। दैनिक जागरण की खबर पर संज्ञान लेते हुए केंद्रीय मंत्री मेनका गांधी की सिफारिश पर तत्कालीन डीसी प्रभजोत ¨सह ने इस मामले में सेनेटरी इंस्पेक्टर विनोद बेनीवाल और सुनील दत्त सहित दरोगा राजकुमार व दर्शन को सस्पेंड कर दिया था। करीब 15 दिन यह सस्पेंड रहे। इसके बाद यूनियन के दबाव में आकर चारों को बहाल कर दिया गया था हालांकि विभागीय जांच चल रही थी। कौन-कौन शामिल था जांच कमेटी में

मामला सीधे मेनका गांधी से जुड़ा होने के कारण डीसी प्रभजोत ¨सह ने एसडीएम छावनी सुभाष सिहाग, ज्वाइंट कमिश्नर गगनदीप ¨सह और कृषि विभाग के उपनिदेशक प्रेम ¨सह की अगुवाई में जांच कमेटी का गठन किया। जांच कमेटी ने पाया कि सफाई कर्मी जगमाल के पास उस कमरे की चाबी थी और उसी की चारा डालने की ड्यूटी लगाई गई थी। दरोगा दर्शन और राजकुमार की पशु पकड़ने और उनकी देखरेख की ड्यूटी थी। किसी ने भी घोड़े के बारे में अधिकारियों को जानकारी नहीं दी और न ही उसे चारा दिया। जगमाल ने टीम के सामने माना कि उसने दो दिन ही चारा दिया था। नहीं दिया गया घोड़े को जहर

बता दें कि मामले को शांत करने के लिए नगर निगम कर्मियों ने उस समय वंदेमातरम सेवादल पर आरोप लगाए थे कि घोड़े को दवाई देने के बहाने उन्होंने जहरीला पदार्थ दे दिया। लेकिन जांच रिपोर्ट में साफ लिखा गया है कि पोस्टमार्टम रिपोर्ट के अनुसार घोड़े की मौत भूख से हुई है। करनाल भेजे गए बिसरा की रिपोर्ट में भी यही आया कि घोड़े कि मौत न तो किसी दवा से हुई न ही जहर से। भूख के कारण ही उसने दम तोड़ा।

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