मूर्ति विसर्जन : जनसुई हेड पर गोताखोरों ने 13 युवकों को डूबने से बचाया

गणपति उत्सव के तहत रविवार को मूर्ति विसर्जन के लिए भारी संख्या में श्रद्धालु जनसुई हेड पर पहुंचे। इस दौरान हेड में श्रीराम गोताखोर टीम द्वारा 13 युवकों को डूबने से बचाया गया। इनमें कुछेक का विसर्जन के दौरान हेड में पैर फिसल गया तो कुछ ने नहाने के लिए छलांग लगा दी थी।

By JagranEdited By: Publish:Mon, 20 Sep 2021 06:58 AM (IST) Updated:Mon, 20 Sep 2021 06:58 AM (IST)
मूर्ति विसर्जन : जनसुई हेड पर गोताखोरों ने 13 युवकों को डूबने से बचाया
मूर्ति विसर्जन : जनसुई हेड पर गोताखोरों ने 13 युवकों को डूबने से बचाया

जागरण संवाददाता, अंबाला शहर : गणपति उत्सव के तहत रविवार को मूर्ति विसर्जन के लिए भारी संख्या में श्रद्धालु जनसुई हेड पर पहुंचे। इस दौरान हेड में श्रीराम गोताखोर टीम द्वारा 13 युवकों को डूबने से बचाया गया। इनमें कुछेक का विसर्जन के दौरान हेड में पैर फिसल गया तो कुछ ने नहाने के लिए छलांग लगा दी थी। लेकिन अचानक वे पानी के बहाव के चलते आगे तक बह गये। इसी दौरान 12 गोताखोरों की टीम के प्रधान सोहन लाल व अन्य सदस्यों की नजर बहते जा रहे युवकों पर पड़ गई। इसके बाद तेजी से उन्हें बचा लिया गया। यह घटना शाम पांच से साढ़े छह बजे की है। यहां बता दें अगर गोताखोरों की टीम न होती तो बड़ा हादसा हो सकता था। दरअसल, मूर्ति विसर्जन के दौरान जनसुई हेड के घाट पर काफी भीड़ उमड़ी हुई थी। श्रीराम गोताखोर टीम के प्रधान सोहन लाल ने बताया कि मूर्ति विसर्जन के दौरान तेरह लोगों को डूबने से बचाया है।

श्रद्धालुओं की भीड़ ने तोड़े रिकार्ड

बता दें गणपति उत्सव के तहत रविवार को मूर्ति विसर्जन किया जाना था। ऐसे में भारी संख्या में छावनी और सिटी के अलावा अन्य जगहों से भारी संख्या में श्रद्धालु जनसुई हेड पर साधनों में पहुंचे। इसबार भीड़ पिछले सालों की अपेक्षा ज्यादा थी जिसके चलते पिछले सारे रिकार्ड टूट गये। हालांकि विसर्जन के दौरान पुलिस की तरफ से हेड के आसपास रस्सी लगाई गई थी। मगर भीड़ के आगे तमाम बंदोबस्त कमजोर पड़ गये। इसे में विसर्जन के दौरान श्रद्धालु खुद ही नीचे घाट पर उतरना शुरू हो गये, लेकिन गोताखोरों ने उन्हें रोक दिया और उनके साथ मूर्ति विसर्जन करवाया।

बहुत से लोगों को बचा चुका सोहन

गोताखोर सोहन लाल के मुताबिक पिछले दो से तीन साल में करीब 500 की जान बचा चुका है। इनमें ज्यादातर महिलाएं रही। ये वो महिलाएं रही जिनकी पति की मौत हो चुकी, ससुराल वालों से झगड़ा आदि के कारण होने के चलते नहर में आत्महत्याएं करने के लिए पहुंची थी जिन्हें मौके पर देखने पर उन्हें बचा लिया गया था।

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