फर्जी पतों पर हासिल किया जीएसटी नंबर, जांच में कोई फर्म नहीं मिली

फर्जी फर्म बनाकर दो आरोपितों ने करोड़ों रुपये के बिल जारी कर दिए।

By JagranEdited By: Publish:Fri, 22 Nov 2019 08:08 AM (IST) Updated:Fri, 22 Nov 2019 08:08 AM (IST)
फर्जी पतों पर हासिल किया जीएसटी नंबर, जांच में कोई फर्म नहीं मिली
फर्जी पतों पर हासिल किया जीएसटी नंबर, जांच में कोई फर्म नहीं मिली

जागरण संवाददाता, अंबाला शहर

फर्जी फर्म बनाकर दो आरोपितों ने करोड़ों रुपये के बिल जारी कर दिए। ये पर्दाफाश आबकारी और कराधान अधिकारी ने जांच में किया। पड़ताल में आरोपितों के पते और फर्म दोनों फर्जी मिले। इस पर आरोपितों के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई। अधिकारी धनपति भारद्वाज ने बताया कि हीरा नगर हरिद्र प्रसाद ने हरियाणा वस्तु और सेवा कर अधिनियम 2017 के तहत मैसर्ज हरियाणा स्टील के पते पर 21 दिसंबर 2018 से पंजीकृत करा जीएसटी नंबर हासिल किया। उसने ऑनलाइन के तहत जो पता दिया था वह पंजाब के मंडी गोबिदगढ़ की मॉडर्न कॉलोनी का है। फर्म की जांच में ऐसी कोई फर्म नहीं मिली। रजिस्ट्रेशन के दौरान दिए मोबाइल भी नहीं मिले। जांच के बाद पता लगा कि आरोपित हरिद्र ने जाली कागजात के आधार पर फर्म पंजीकृत कराई है। धनपति ने बताया कि जीएसटी पोर्टल की सूचना के मुताबिक आरोपित ने फर्म के नाम पर अप्रैल से अगस्त 2019 में 3,62,44,647 रुपये के ब्रिकी के बिल जारी किए और इस अवधि के दौरान फर्म ने कोई भी टैक्स जमा नहीं कराया। आरोपितों ने राज्य के अन्य व्यापारियों को बिल तथा ई-वे बिल जारी किए है और खरीदने वाले व्यापारियों ने 65,24,039 रुपये का इनपुट टैक्स क्रेडिट लाभ लिया। इन्होंने भी लगाया चूना

इसी तरह हीरा नगर के ही अंशु जथोल ने भी फर्जी फर्म के आधार पर करोड़ों रुपये के बिल जारी कर फर्म के नाम पर दिसंबर 2018 से मार्च 2019 तक 1,51,25,708 रुपये के ब्रिकी बिल जारी किए हैं। इस दौरान फर्म ने कोई भी टैक्स जमा नहीं कराया और खरीदने वाले व्यापारियों ने 27,22,626 रुपये का इनपुट टैक्स क्रेडिट का लाभ लिया है, जबकि खुद फर्म के पास न तो इनपुट टैक्स क्रेडिट है ना ही उसने खुद टैक्स जमा कराया है। इस आरोपित के पते की भी जांच पड़ताल की तो वह भी फर्जी मिला।

जिन्होंने फर्म बनाकर जीएसटी नंबर लिए हैं उन सभी फर्म की मौके पर जाकर निरीक्षण किया जा रहा है। जिस आरोपित ने फर्जी कागजात के आधार पर फर्म बनाई। जांच पड़ताल करने के बाद पुलिस में मुकदमा दर्ज करवाया दिया गया है। जो-जो ऑनलाइन फर्में दर्ज हुई हैं उन सभी की जांच पड़ताल की जा रही है।

-धनपति भारद्वाज, आबकारी और कराधान अधिकारी।

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