डेंगू से बचाव में जुटे अधिकारियों से लेकर वर्कर के पास नहीं हैं सुरक्षा के उपकरण

जिले में डेंगू के डंक का खतरा कम होने की बजाय लगातार बढ़ता जा रहा है। डेंगू के डंक को बेअसर करने के लिए स्वास्थ्य विभाग के साथ नगर निगम और नगर परिषद की टीमें लारवा मिलने वाले स्थान से लेकर आसपास दवाओं के छिड़काव से लेकर फागिग का कार्य चलाए जाने का दावा किया जा रहा है।

By JagranEdited By: Publish:Tue, 26 Oct 2021 07:10 AM (IST) Updated:Tue, 26 Oct 2021 07:10 AM (IST)
डेंगू से बचाव में जुटे अधिकारियों से लेकर वर्कर के पास नहीं हैं सुरक्षा के उपकरण
डेंगू से बचाव में जुटे अधिकारियों से लेकर वर्कर के पास नहीं हैं सुरक्षा के उपकरण

जागरण संवाददाता, अंबाला : जिले में डेंगू के डंक का खतरा कम होने की बजाय लगातार बढ़ता जा रहा है। डेंगू के डंक को बेअसर करने के लिए स्वास्थ्य विभाग के साथ नगर निगम और नगर परिषद की टीमें लारवा मिलने वाले स्थान से लेकर आसपास दवाओं के छिड़काव से लेकर फागिग का कार्य चलाए जाने का दावा किया जा रहा है। स्वास्थ्य विभाग के मल्टीपर्पस हेल्थ वर्कर से लेकर ब्रिडिग चेकर, सुपरवाइजर, स्प्रेमैन को दवाओं के छिड़काव से लेकर फागिग के लिए न तो ग्लब्स और न ही मास्क मिल पा रहा है। हालांकि आधिकारिक तौर पर डेंगू पर प्रभावी नियंत्रण करने का दावा किया जा रहा है।

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मलेरिया अधिकारियों ने सितंबर और अक्टूबर में जिले में ब्रिडिग चेकिग कराते हुए 1200 लोगों के घर मे लारवा मिलने पर नोटिस देते हुए साफ सफाई रखने के निर्देश दिए थे। इसके बाद भी सफाई न होने की दशा में 300 से 2500 रुपए तक जुर्माना लगाने की बात कही गई थी। बावजूद इसके डेंगू और मलेरिया के मरीजों का ग्राफ लगातार बढ़ता जा रहा है।

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दिखावा साबित हो रहा डेंगू वार्ड

अंबाला शहर के नागरिक अस्पताल में डेंगू के संभावित मरीज आने पर डाक्टर डेंगू के लक्षण को देखते हुए भर्ती करने की सलाह देते हैं। इसके लिए ट्रामा सेंटर में करीब दस बेड का वार्ड बनाया गया है। यहां अपने वाले मरीजों की डेंगू संबंधी सभी जांच कराने के साथ इलाज शुरू होता है। अगर वार्ड के रिकार्ड पर नजर दौड़ाई जाए तो डेंगू की बीमारी के इस सीजन में आने वाले मरीजों की संख्या 187 के पार पहुंच चुकी है। ऐसे में डेंगू पर प्रभावी नियंत्रण संबंधी विभाग का दावा खोखला साबित हो रहा है। क्योंकि यदि डेंगू पर यदि नियंत्रण कर लिया गया है तो मरीज कैसे प्रभावित होकर अस्पताल पहुंच रहें हैं, इसका जवाब संबंधित अधिकारी नहीं दे पा रहें हैं।

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फागिग के लिए नाकाफी साबित हो रही मशीनें

डेंगू के डंक को बेअसर करने के लिए नगर निगम अंबाला शहर के लिए छह मशीनें हैं। इन मशीनों का इस्तेमाल मच्छर के प्रकोप को कम करने के लिए फागिग के लिए होता है। फागिग मशीन का धुंआ मच्छर भगाने में कारगर साबित हो इसके लिए उसमें पड़ने वाले डीजल और मैलाथियान केमिकल को मिलाया जाता है। डीजल का भुगतान तो नगर निगम करता है पर मैलाथियान की आपूर्ति स्वास्थ्य महकमा करता है। स्वास्थ्य और नगर निगम महकमे की ऐसी जुगलबंदी कि मच्छर भागने की बजाय अपने डंग का असर दिखाने से परहेज नहीं कर रहें हैं। यही कारण है कि सरकारी और निजी अस्पताल में डेंगू का इलाज कराने वाले मरीजों की संख्या में बढोतरी हो रही है। हालांकि नगर निगम और स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी अपना दायित्व पूरी ईमानदारी के साथ करने का दावा करते नहीं थक रहे हैं।

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