साढ़े दस पर भी नहीं पहुंच रहे सरकारी कार्यालयों में कर्मी
कार्यालय में एंट्री करते ही पानी ही पानी जमा हुआ है उसमें से निकलने के लिए ईटें रखी हुई हैं। एंट्री करते ही साथ वाले कमरे पर ताला लटका हुआ है।
जागरण संवाददाता, अंबाला शहर
रेडक्रॉस कार्यालय, दिन बुधवार 10 बजकर 28 मिनट। कार्यालय में एंट्री करते ही पानी ही पानी जमा हुआ है, उसमें से निकलने के लिए ईटें रखी हुई हैं। एंट्री करते ही साथ वाले कमरे पर ताला लटका हुआ है। फिर अंदर जाकर देखा न तो कोई पूछताछ पर बैठा और अंदर भी कुर्सियां खाली पड़ी हैं। पूरे रेडक्रॉस कार्यालय में दो कर्मी नजर आए। खाली कुर्सियों की फोटो के बाद कर्मियों में हड़बड़ाहट मच गई और उन्होंने सहयोगियों को फोन कर बुलाना शुरू कर दिया। खैर, बाबू ठंड मना रहे हैं और कार्रवाई का भी कोई डर नहीं है। इसीलिये मर्जी से ही कार्यालय में पहुंच रहे हैं। ट्रेनिग के लिए ट्रेनी आइपीएस डीआरओ और तहसीलदार का करतीं रही इंतजार
करीबन 11 बजे लघु सचिवालय में ट्रेनी आइपीएस अधिकारी ट्रेनिग के चलते पहुंची। यहां उन्होंने सीएमजीजीए अधिकारी के पास कुछ जानकारियां हासिल की। कुछ देर में वहां से फारिग होने के बाद डीआरओ और तहसीलदार से भी ट्रेनिग लेनी थी। लेकिन मौके पर दोनों में से कोई अधिकारी नहीं मिला। काफी इंतजार के बाद तहसीलदार पहुंचे और मैडम से चर्चा की। सरल केंद्र की साइट पड़ी ठप लोग हुए परेशान
सरल केंद्र में सुबह तो काम ठीक ठाक चलता रहा। लेकिन अचानक 11 बजे सरल केंद्र की साइट ठप हो गई। इससे कंप्यूटरों पर काम थम गया। ऐसे में लोगों को आधा घंटा तक इंतजार करना पड़ा। साढ़े 11 बजे साइट चलने के बाद लोगों ने राहत की सांस ली। हालांकि इस दौरान पांच में से दो ही खिड़कियां चली। खिड़की नंबर दो और तीन नंबर पर कर्मी नहीं आये थे। पता चला कि कर्मी आज छुट्टी पर हैं। इस कारण उनका काम दूसरों को करना पड़ रहा है। हालांकि सरल केंद्र में ज्यादा पब्लिक नहीं थी। तीसरी मंजिल की नहीं किसी को खैर खबर
लघु सचिवालय में तीसरी मंजिल की किसी को कोई खैर खबर नहीं है। दस्तावेज कमरों में तो बिखरे पड़े ही हैं, सीढि़यों तक भी दस्तावेज यूं ही बिखरे हुए हैं। इनमें कोई दस्तावेज किस के लिए कितना महत्वपूर्ण है यह तो महकमा अच्छी तरह वाकिफ है। लेकिन ध्यान नहीं है। तहसील में खिड़की बन रही कर्मियों और लोगों में बाधा
तहसील में भी लोगों को परेशानी उठानी पड़ रही है। तहसील में लोगों को कर्मियों के साथ संवाद करना मुश्किल बन रहा है। क्योंकि खिड़कियों में फेस के पास से शीशा काटा हुआ नहीं गया है। इस कारण कर्मी क्या बता रहे हैं या लोग क्या कहना चाहते हैं। दोनों को एक दूसरे की बात समझने में शीशा बाधा बन रहा है। खैर लोगों को यह भी शिकायत रही कि वह तहसील में दस बजकर पांच मिनट पर पहुंच गये थे, उसके बाद भी उन्हें 40 के बाद का नंबर मिला। जबकि खिड़की पर इतने लोग भी नहीं थे। तो इतना अधिक नंबर कैसे आ गया। फोटो - 17
रामशरण ने बताया कि वह इंतकाल का नंबर लेने के लिये आया था। जब वह तहसील में कर्मी से बातचीत कर रहा था तो उसे समझने में मुश्किल हो रही थी। क्योंकि जो कांच की खिड़कियां बनी हुई हैं उनमें सही बात नहीं हो पाती। कर्मियों को दोबारा दोबारा पूछना पड़ता है। इन्हें सही करवाया जाना चाहिए। फोटो - 18
मुस्ताक अली ने बताया कि वह तहसीन में जमाबंदी के लिये पहुंचा था। यहां उन्हें कोई ओर दिक्कत तो नहीं आयी है। परंतु जो खिड़कियों के शीशे बनाये हुये हैं उन्हें वहां से कटिग करवाना चाहिए, जो लोगों फेस के पास से हो। ताकि लोगों को अपनी बातचीत करने में परेशानी न हो।